शनिवार, 23 जुलाई 2016

।।कस्ट ।।

🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
एक बार अवश्य पढ़े शायद आपकी मैं सहायता कर सकु?
शब्द साँचा,पिण्ड कांचा,फुरो मंत्र ईश्वरो वाँ चा!!
किसी भी प्रकार यदि आप कष्ट भोग रहे है तो यह निश्चित है की यह कष्ट भी आपको परमपिता ने प्रदान किया है आपके द्वारा किये गए गलत कार्यो के कारण जैसे ब्याज पे पैसा देना,बद्दुआ देना,किसी का अपमान करना,किसी का ह्रदय दुखाना,क्षल करना,कोसना,इसी प्रकार के अन्य कर्म !!इस कष्ट के निवारण हेतु आप जितना प्रयास करेगे उतना ही इस दल दल में फसते जायेगे!क्योकि यदि आप कष्ट निवारण हेतु तथा कथित जो परेशानियो को चमत्कार से ठीक करने का दावा करते है या किसी के पास भी जायेगे तो वो भी आपके कष्टो को और बढ़ाएगा और ये भी आप ईश्वरीय प्रेरणा से ही करेंगे और आप कष्ट भोगते रहेगे।
क्योकि कोई कितना भी बड़ा जानकार क्यों ना हो महादेव से बड़ कर नहीं है।ऐसी अवस्था में आपको चाहिए की स्थिर बुद्धि से परमेश्वर की शरण में जाए।कष्ट से मुक्ति वही दे सकता है जो कष्ट प्रदान करता है।बस एक बार प्रयास तो करे ।आपको क्षमा अवश्य मिलेगी।
प्रेम से मात्र "जय श्री महाकाल"कहे
दिन में तिन बार रोज कहे एवम् एक बार में 27 बार दोहराये!नित्य महाकाल सहित महाकाली कह कर 2 अगरबत्ती लगाए।कुछ ही दिनों में लाभ दिखने लगेगा।
और जो धन आप तथाकथित लोगो में व्यय करते है उस धन से गरीबो एवम् जरुरत मंदो की सहायता करे।।।
किसी के द्वारा प्रदान लिया यन्त्र,तंत्र ,प्रसाद ग्रहण ना करे।मंदिर मस्जिद,गुरूद्वारे जाए वहीपूजा करे।आपकी सुरक्षा होगी।!कुछ दिनों पूर्व एक परिवार ने मुझे अपने कष्टो के बारे में बताया कहा उनके परिवार में अचानक सब कार्य स्तंभित हो गया है और कोर्ट कचहरी में समय व्यय हो रहा है।
मैंने व्हाट्स अप पे उनके निवास के पूजा स्थान की छवि मंगवाई और देखा वहा स्तंभन की देवी का यन्त्र स्थापित है।बस उस यन्त्र को पानी में विसर्जन करते ही उस परिवार के कष्टो का अंत हुआ।।उस परिवार के मुखिया से पूछने पर उन्होने बताया की कुछ दिन पहले एक बाबा जी ने कल्याणार्थ यह यन्त्र भेट स्वरूप दिया था।और जब से यह यन्त्र जीवन में उनके आया था।सब कार्य रुक गया था!अब प्रश्न ये उठता है की उस तथा कथित बाबा जी ने ये यन्त्र क्यों दिया!कारण साफ़ है ।जब आपके शत्रु बड़ जाये,कोर्ट कचहरी या वाद विवाद की अवस्था में ही इस देवी की आपको आराधना करनी चाहिए।यदि आपको कोई रोग नहीं है तो फिर उस रोग के निदान की औषधि आप क्यों लेना चाहेंगे।इस विद्या का आविष्कार महादेव ने संसार के कल्याणार्थ किया है।भगवान शिव की पत्नी देवी गौरा ने दस रूप आवश्यकता के अनुसार लिए थे।और इनमे से कुछ देवियो की पूजा तो घर पे करनी भी नहीं चाहिए।हर देवी का अपना एक भैरव होता है और पूजन के समय उनका मान न करने से भगत को हानी ही होती है।

विशेष-:ये यन्त्र देने वालो की इच्छा से कार्य करते है लेने वालो की इच्छा से नहीं!!
।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
इस लेख में लिखे गए सभी नियम,सूत्र,तथ्य हमारी निजी अनुभूतियो के स्तर पर है।विश्व में कही भी,किसी भी भाषा में ये सभी इस रूप में उपलब्ध नहीं है।अत:इस लेख में वर्णित सभी नियम ,सूत्र एवं व्याख्याए हमारी मौलिक संपत्ति है।हमारे लेखो को पढने के बाद पाठक उसे माने ,इसके लिए वे बाध्य नहीं है।इसकी किसी भी प्रकार से चोरी,कॉप़ी-पेस्टिंग आदि में शोध का अतिलंघन समझा जाएगा और उस पर (कॉपी राइट एक्ट 1957)के तहत दोषी पाये जाने की स्थिति में तिन वर्ष की सजा एवं ढ़ाई लाख रूपये तक का जुर्माना हो सकता है।अतः आपसे निवेदन है पोस्ट पसंद आने से शेयर करे ना की पोस्ट की चोरी।

चेतावनी-हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे ।क्योकि हमारा उद्देश्य केवल विषय से परिचित कराना है। किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में अपने योग्य विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श ले। साधको को चेतावनी दी जाती है की वे बिना किसी योग्य व सफ़ल गुरु के निर्देशन के बिना साधनाए ना करे। अन्यथा प्राण हानि भी संभव है। यह केवल सुचना ही नहीं चेतावनी भी है।

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