शनिवार, 16 जुलाई 2016

साबर मंत्र ।।

।।सर्वकार्य-सिद्ध शाबर मन्त्र ।।
  सर्वकार्य-सिद्ध भैरव शाबर मन्त
“ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ-कार ! ॐ गुरु भु-मसान, ॐ गुरु सत्य गुरु, सत्य नाम काल भैरव कामरु जटा चार पहर खोले चोपटा, बैठे नगर में सुमरो तोय दृष्टि बाँध दे सबकी । मोय हनुमान बसे हथेली । भैरव बसे कपाल । नरसिंह जी की मोहिनी मोहे सकल संसार । भूत मोहूँ, प्रेत मोहूँ, जिन्द मोहूँ, मसान मोहूँ, घर का मोहूँ, बाहर का मोहूँ, बम-रक्कस मोहूँ, कोढ़ा मोहूँ, अघोरी मोहूँ, दूती मोहूँ, दुमनी मोहूँ, नगर मोहूँ, घेरा मोहूँ, जादू-टोना मोहूँ, डंकणी मोहूँ, संकणी मोहूँ, रात का बटोही मोहूँ, पनघट की पनिहारी मोहूँ, इन्द्र का इन्द्रासन मोहूँ, गद्दी बैठा राजा मोहूँ, गद्दी बैठा बणिया मोहूँ, आसन बैठा योगी मोहूँ, और को देखे जले-भुने मोय देखके पायन परे। जो कोई काटे मेरा वाचा अंधा कर, लूला कर, सिड़ी वोरा कर, अग्नि में जलाय दे, धरी को बताय दे, गढ़ी बताय दे, हाथ को बताय दे, गाँव को बताय दे, खोए को मिलाए दे, रुठे को मनाय दे, दुष्ट को सताय दे, मित्रों को बढ़ाए दे । वाचा छोड़ कुवाचा चले, माता क चोंखा दूध हराम करे । हनुमान की आण, गुरुन को प्रणाम । ब्रह्मा-विष्णु साख भरे, उनको भी सलाम । लोना चमारी की आण, माता गौरा पारवती महादेव जी की आण । गुरु गोरखनाथ की आण, सीता-रामचन्द्र की आण । मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति । गुरु के वचन से चले, तो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।”

****दूसरा***
नमो सात समुन्द्र के बीच शिला, शिला के ऊपर सूलेमान पैगम्बर बैठा। सुलेमान पैगम्बर के चार मवक्किलतारिया, सारिया, जारिया, जमारिया। एक मवक्किल पूर्व को धाया देव-दानव को बाधिलाया दूसरा मवक्किल आश्रम को धाया भूत-प्रेत बाधि लाया तीसरा मवक्किल दक्षिण को धाया डाकिनी शाकिनी को पकडि लाया चारि मवक्किल चहुँ दिशी धावै। छल छिद्र मोऊ रहन न पावै रोग-दोष को बहावे शब्द साचा पिण्ड काचा। फुरो मंत्र ईश्वरो बाचा।

।।लक्ष्मी साबर मंत्र ।।
***पहला***
ॐ विष्णु-प्रिया लक्ष्मी, शिव-प्रिया सती से प्रकट हुई कामाक्षा भगवती आदि-शक्ति, युगल मूर्ति अपार, दोनों की प्रीति अमर, जाने संसार। दुहाई कामाक्षा की। आय बढ़ा व्यय घटा। दया कर माई। ॐ नमः विष्णु-प्रियाय। ॐ नमः शिव-प्रियाय। ॐ नमः कामाक्षाय। ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।

***दुसरा***
ॐ श्री शुक्ले महाशुक्ले, महाशुक्ले कमलदल निवासे श्री महालक्ष्मी नमो नमः। लक्ष्मी माई सबकी सवाई, आओ चेतो करो भलाई, ना करो तो सात समुद्रों की दुहाई, ऋद्धि नाथ देवों नौ नाथ चैरासी सिद्धों की दुहाई।

***तीसरा***
ॐ ह्रीं श्रीं ठं ठं ठं नमो भगवते, मम सर्वकार्याणि साधय, मां रक्ष रक्ष शीघ्रं मां धनिनं, कुरु कुरु फट् श्रीयं देहि, ममाप निवारय निवारय स्वाहा।
***चौथा***

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