शनिवार, 23 जुलाई 2016

लव जेहाद वशिकरण से

।।JSM OSGY ।।
लव जेहाद वशिकरण से(व्यक्तिगत अनुभूति)
शब्द साँचा,पिण्ड काँचा।फुरो मन्त्र ईश्वरो वाँचा!
मेरी पोस्ट ने बहुत से लोगो का जीवन बदला है !
एक नयी दिशा दी है सोच की !
मारन मोहन वशीकरण जैसे षट के मायाजाल में फसा कर लोगो को अध्यात्म में जोड़ा जा रहा है जो भविष्य में देश को नपुंसकता की और ले जाएगा।
ज्ञात हो की धर्म इससे परे है!!षट कर्मो का प्रयोग भगवान शिव ने स्वयं के मन को वशीकरण ,मोहन इत्यादि के लिए की है किसी मानव या अन्य जिव के लिये नहीं!
आज का युवा वर्ग जो ख़ास कर अपनी इच्छानुसार प्रियसी को पाने हेतु वशीकरण विद्या की और झुक रहा है और लगातार मंत्रो का जाप कर रहा है होता कुछ भी नहीं किन्तु जब एक बार जाप करने की आदत मस्तिष्क को पढ़ जाती है तो उसे किसी अन्य कार्य में मन नहीं लगता !!!मन का उच्चाटन हो जाता है।सफलता नहीं मिलने से मन को जो आघात पहुचता है।जिससे युवा अशांत हो कर अपने जीवन से पलायन कर जाता है!
श्री नाथ जी का मार्ग मात्र भक्ति का है श्री कृशन का मार्ग भी भक्ति का ही है।आज के इस आधुनिक युग में कोई भी गोरख जैसा सिद्ध नहि...नानक रहीम जैसा या अन्यो के समान सिद्ध नहीं।सभी पूर्व के सिद्धो का एक एक फोटो लगा कर स्वयं को सिद्ध बताने का प्रयास कर रहे ।किन्तु सत्य है की शिष्य कभी गुरु नहीं बन पाता।
क्योकि देने वाला एक है किन्तु फ्रेंचाइजी सभी बाबा,पिर,फ़क़ीर,मौलवियो,तांत्रिको ने ले रखी है। स्वयं प्रार्थना करे।जिस प्रकार भूख लगने पर भोजन स्वयं खाना होता है उसी प्रकार आवश्यकतानुसार प्रार्थना भी स्वयं ही करने से लाभ होता है।वैदिक ऋषियो ने पहले से ही अवाश्यक्तानुसार प्रार्थनाएं बना रखी है जैसी विपदा आने से गजेंद्रमोक्ष,दरिद्रता से निवृति हेतू शिव दारिद्र्य दहन स्त्रोत इत्यादि।
आप विशवास रखे अपने आप पर !स्वयं माँगे उस परमात्मा से ! यकीन माने वे आपसे उतना प्रेम करते है जितना आप भी उनसे नहीं करते।।।
यदि वशीकरण से कार्य हो जाता तो वे लोग जो एक से ज्यादा विवाह कर अपनी नसल को बढ़ाने में लगे है वे अन्य उपाय क्यों करते सीधे वशीकरण से अपनी जनसख्या आसानी से बड़ा लेते!
मेरे लेख का उद्देश्य मात्र सत्य को बताना है किसी भी धर्म का अपमान करना नहीं है !मेरे किसी शब्द से यदि आपको दुःख पहुचे तो आशा करता हु आप मुझे क्षमा करेगे!!
और कोई लव जेहाद भी नहीं होता!!
आप सब क्या कहते है?????

।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
https://m.facebook.com/yogirahulnathosgy/
*******************************************************
सूचना:-कृपया इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें,शायद यह पोस्ट किसी के काम आ सके।
Please share this post as more as possible, it may help someone inneed.
*******************************************************
🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
इस लेख में लिखे गए सभी नियम,सूत्र,तथ्य हमारी निजी अनुभूतियो के स्तर पर है।विश्व में कही भी,किसी भी भाषा में ये सभी इस रूप में उपलब्ध नहीं है।अत:इस लेख में वर्णित सभी नियम ,सूत्र एवं व्याख्याए हमारी मौलिक संपत्ति है।हमारे लेखो को पढने के बाद पाठक उसे माने ,इसके लिए वे बाध्य नहीं है।इसकी किसी भी प्रकार से चोरी,कॉप़ी-पेस्टिंग आदि में शोध का अतिलंघन समझा जाएगा और उस पर (कॉपी राइट एक्ट 1957)के तहत दोषी पाये जाने की स्थिति में तिन वर्ष की सजा एवं ढ़ाई लाख रूपये तक का जुर्माना हो सकता है।अतः आपसे निवेदन है पोस्ट पसंद आने से शेयर करे ना की पोस्ट की चोरी।

चेतावनी-हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे ।क्योकि हमारा उद्देश्य केवल विषय से परिचित कराना है। किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में अपने योग्य विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श ले। साधको को चेतावनी दी जाती है की वे बिना किसी योग्य व सफ़ल गुरु के निर्देशन के बिना साधनाए ना करे। अन्यथा प्राण हानि भी संभव है। यह केवल सुचना ही नहीं चेतावनी भी है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें