सोमवार, 17 मई 2021

माँ हरसिद्धी (पहली बार प्रकाशित विधि)

माँ हरसिद्धी (पहली बार प्रकाशित विधि)
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आइये मित्रो आज हम परिचर्चा करते है देवी माता हरसिद्धी के विषय मे।देवी आदिशक्ति माता दुर्गा ही है एवं वैष्णवी है इसी कारण देवी मांस-मदिरा,बलि आदि से परे है एवं पूर्ण रूप से सात्विक विधि से पूजनीय है।राजा विक्रमादित्य की ये आराध्य देवी है।उज्जैन महाकाल मंदिर के समीप ही देवी का पूर्वाभिमुख मंदिर उपस्थित है।देवी को प्रसन्न करने हेतु विविध प्रकार की परेशानियों को दूर करने एवं इच्छापूर्ति हेतु मंत्रो का संग्रह नीचे लिखा गया है।किन्तु मेरा पोस्ट लिखने का मुख्य उद्देश्य देवी के उस मंत्र की जानकारी देना है जो सामान्यतः प्रचलित नही है या ऐसे कहे कि इस मंत्र का और विधी का ज्ञान सब को प्राप्त नही है,मैने स्वयं इस मंत्रविधि को पहली बार जाना और सुना।
छत्तीसगढ़ में एक दैविक स्थल प्रचिलत है "डोंगरगढ"।इसका मतलब जहा बड़े बड़े पत्थरो का पहाड़ है जिसपे देवी विराजमान है।इनका नाम मा "बमलेश्वरी" है।अक्सर मेरा इस स्थान पे जाना होता रहा है बाल्यावस्था से।बहुत से चमत्कारिक किस्से यहां देवी के विषय मे प्रचलित है।यहां मेरी भेट एक सिद्ध साधु-महात्मा से हुई थी जो कि रम्मत में थे,कहा से आये थे कहां जाना है ये उन्होंने नही बताया था।
करीब 2007-8 के आस-पास बार-बार निवेदन करने पर जन कल्याणार्थ उन्होंने यह पूजा एवं मंत्र विधि प्रसाद स्वरूप उनसे मुझे प्राप्त हुई थी।जो जनकल्याण हेतु मैं आप मित्र एवं भक्तो को प्रस्तुत करने जा रहा हूँ।विधि बहुत साधारण किन्तु अत्यंत कारगर है।
विधि:-
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सर्वप्रथम अपने निवास स्थान या व्यवसायिक स्थल के मुख्य द्वार के पास जाना है द्वार के बाई ओर सर्वप्रथम देवी को प्रणाम कर फिर दाई ओर प्रणाम करना है।भारी सिंदूर जो हनुमान जी को चड़ता है पारे वाला।इस सिंदूर को ताँबे या कांसे के प्लेट में शुद्ध गाय के घी से मिलाकर मिश्रण तैयार करे।इसी तरह से देवताओ को चोला चढ़ाया जाता है।इस मिश्रण से अनामिका अँगुली द्वारा ,मुख्य द्वार के बाई तरफ "ह्रीं" बीज मंत्र लिखे,इसके बाद दाई तरफ।अब बाई तरफ 27 अगरबत्ती चेतन करे माता के नाम से और बाई तरफ की दीवाल को दिखाते हुए आशय है घुमाते हुए ,आगे बढ़ते जाए,लगातार बढ़े कही रुके नही।स्मरण रहे दीवार का क्रम टूटे नही ,निवास की सभी दिवालो को इसी प्रकार अगरबत्ती दिखाते हुए ,अंत मे आप मुख्य द्वार के दाई तरफ पहुच जावे।इसी स्थान पे इन अगरबत्तियों को भूमि में स्थापित कर प्रणाम करें एवं अपने और अपने परिवार ,निवास,कारोबार की सफलता की कामना करें।अगरबत्ती चलाते समय और इस पूरी विधि में देवी के महा मंत्र का जाप करते रहे।हो सके तो मंत्र कंठस्थ कर ले, जिससे कि
विधि में व्यवधान ना पड़े।
मंत्र:-
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ॐ ह्रीं सर्वसिद्धि प्रदायनी,सर्व दुःख हारणी, सर्व ताप विनाशिनी,सर्व शूल मारिणी ,रक्ष रक्ष "ह्रीं"आदिशक्ति माँ हरसिद्ध्ये नमः।।
विषेष:-भोग प्रशाद मिष्ठान्न अपनी इच्छानुसार,दक्षिणा इच्छानुसार प्रदान करे।दिन मंगलवार या शुक्रवार का हो तो सर्वोत्तम है बाकी तो सभी दिन भगवान के ही है।वस्त्र काला धारण नही करना है इसके अलावा कोई रंग के वस्त्र धारण कर सकते है।मस्तक पे तिलक धारण करे एवं सिर वे वस्त्र धारण करे।आशा है कि ये नियम सब भाई-बंधुओ के लिए सरल ही होंगे।

🕉️🙏🏻🚩जयश्री माहाँकाल 🚩🙏🏻🕉️👉

व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार©२०१६ सर्वाधिकार सुरक्षित


☯️राहुलनाथ™ भिलाई 🖋️



माँ आदिशक्ति के कुछ महत्वपूर्ण मंत्र

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आप मित्रो के लिए ,जिससे कि आवश्यकता के अनुसार इनका जाप स्मरण आप कर सके।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
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यदि धन संबंधी परेशानियों से बुरी तरह परेशान हैं
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दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः।
सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।।

धन प्राप्त‌ि के साथ संतान सुख भी पाना चाहते हैं
*************************************** सर्वाबाधा वि निर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥

इन द‌िनों आपका बुरा समय चल रहा हैं तो **********************************
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते।।

स्वास्‍थ्य और धन के साथ ऐश्वर्य की प्राप्ति हेतु। *************************************
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै।।

मोक्ष प्राप्‍त‌ि के ल‌िए इस मंत्र का जप करें-
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सर्वस्य बुद्धिरुपेण जनस्य हृदि संस्थिते।
स्वर्गापवर्गदे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते।

सपने में भूत भविष्य जानने के लिए
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दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।

आकर्षक एवं वशीकरण हेतु
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ॐ महामायां हरेश्चैषा तया संमोह्यते जगत्, ज्ञानिनामपि चेतांसि देवि भगवती हि सा। बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।। दे

सुयोग्य जीवनसाथी पाने के लिए।।
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पत्‍‌नीं मनोरमां देहि नोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥

गुणवान और शक्त‌िशाली बनने हेतु।।
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सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते।।

प्रसन्नता और आनंद चाहते हैं तो
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प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि। त्रैलोक्यवासिनामीडये लोकानां वरदा भव।।

माँ दुर्गा के सिद्ध चमत्कारी तांत्रिक मंत्र
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1- ॐ ह्रींग दुंग दुर्गायै नमः।
2- "ॐ अंग ह्रींग क्लींग चामुण्डायै विच्चे।
3- सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

नोट:-मंत्रो को टाईप करने में कोई गलती होने से क्षमा करें एवं अवगत कराएं जिससे उस त्रुटि को ठीक किया जा सके।
*****🙏🏻🚩जै श्री महाकाल🚩🙏🏻******

क्या आप पर तांत्रिक प्रयोग हुआ है


क्या आप पर तांत्रिक प्रयोग हुआ है तो:-
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तंत्र क्रिया से भयभीत ना हो ।इसमे सामान्यतः पीड़ित रात को बीमार रहता है,दवाइयां रोग पे कार्य नही करती,व्यक्ति हमेशा बैचेन रहता है,बेवजह की बाते करता है और थोड़ा बहुत तुतलाकर बोलता है,मुह से लार निकलती हो,कभी हस्ता है कभी रोता है।हमेशा चिड़चिड़ापन रहता है,गाली देता है।अधिक शराब का सेवन करता है।कुल मिलाकर पीड़ित के अस्तित्व में अचानक परिवर्तन आ जाता है।तो
आप इन लक्षणों पर ध्यान दे कि पीड़ित से कितने लक्षण मिलते-जुलते है अथवा आपको जिस पर शक है कि इस पर तांत्रिक प्रयोग हो सकता है,इसे जानने के लिए पीडित के सिरहाने एक लोटे मैं पानी भर कर रखे और इस पानी को गमले मैं लगे या बगीचे मैं लगे किसी छोटे पौधे में प्रातःकाल सात दिन डाले ।स्मरण रहे कि पौधा काँटेदार ना हो।यदि किसी प्रकार का तांत्रिक दोष,नजर दोष या अन्य बाहरी दोष होने की अवस्था मे ,एक सप्ताह मैं वो पौधा कुम्हला जायगा या मर जाएगा । कभी कभी पौधा 3 दिन मैं भी सूख जाता है ।ऐसे में कारगर उपाय करें एवं एक बार चिकित्सक से भी सलाह अवश्य ले।
🙏🏻🚩जै श्री महाकाल🚩🙏🏻
।। राहुलनाथ।।™
भिलाई,छत्तीसगढ़, भारत
📞+ 917999870013,+919827374074 (w)
चेतावनी:-इस लेख में वर्णित नियम ,सूत्र,
व्याख्याए,तथ्य गुरू एवं साधु-संतों के कथन,ज्योतिष,तांत्रिक-आध्यात्मिक ग्रंथो एवं स्वयं के अभ्यास अनुभव के आधार पर मात्र शैक्षणिक उद्देश्यों हेतु दी जाती है।अतः बिना गुरु के निर्देशन के साधनाए या प्रयोग ना करे।विवाद की स्थिति में न्यायलय क्षेत्र, दुर्ग,छत्तीसगढ़,भारत

रविवार, 9 मई 2021

🚩नवदुर्गा शक्ति कवच 🎂🚩

🚩नवदुर्गा शक्ति कवच 🎂🚩
सर्व-कामना-सिद्धि स्तोत्र
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श्री हिरण्य-मयी हस्ति-वाहिनी, सम्पत्ति-शक्ति-दायिनी।
मोक्ष-मुक्ति-प्रदायिनी, सद्-बुद्धि-शक्ति-दात्रिणी।।१
सन्तति-सम्वृद्धि-दायिनी, शुभ-शिष्य-वृन्द-प्रदायिनी।
नव-रत्ना नारायणी, भगवती भद्र-कारिणी।।२
धर्म-न्याय-नीतिदा, विद्या-कला-कौशल्यदा।
प्रेम-भक्ति-वर-सेवा-प्रदा, राज-द्वार-यश-विजयदा।।३
धन-द्रव्य-अन्न-वस्त्रदा, प्रकृति पद्मा कीर्तिदा।
सुख-भोग-वैभव-शान्तिदा, साहित्य-सौरभ-दायिका।।४
वंश-वेलि-वृद्धिका, कुल-कुटुम्ब-पौरुष-प्रचारिका।
स्व-ज्ञाति-प्रतिष्ठा-प्रसारिका, स्व-जाति-प्रसिद्धि-प्राप्तिका।।५
भव्य-भाग्योदय-कारिका, रम्य-देशोदय-उद्भाषिका।
सर्व-कार्य-सिद्धि-कारिका, भूत-प्रेत-बाधा-नाशिका।
अनाथ-अधमोद्धारिका, पतित-पावन-कारिका।
मन-वाञ्छित॒फल-दायिका, सर्व-नर-नारी-मोहनेच्छा-पूर्णिका।।७
साधन-ज्ञान-संरक्षिका, मुमुक्षु-भाव-समर्थिका।
जिज्ञासु-जन-ज्योतिर्धरा, सुपात्र-मान-सम्वर्द्धिका।।८
अक्षर-ज्ञान-सङ्गतिका, स्वात्म-ज्ञान-सन्तुष्टिका।
पुरुषार्थ-प्रताप-अर्पिता, पराक्रम-प्रभाव-समर्पिता।।९
स्वावलम्बन-वृत्ति-वृद्धिका, स्वाश्रय-प्रवृत्ति-पुष्टिका।
प्रति-स्पर्द्धी-शत्रु-नाशिका, सर्व-ऐक्य-मार्ग-प्रकाशिका।।१०
जाज्वल्य-जीवन-ज्योतिदा, षड्-रिपु-दल-संहारिका।
भव-सिन्धु-भय-विदारिका, संसार-नाव-सुकानिका।।११
चौर-नाम-स्थान-दर्शिका, रोग-औषधी-प्रदर्शिका।
इच्छित-वस्तु-प्राप्तिका, उर-अभिलाषा-पूर्णिका।।१२
श्री देवी मङ्गला, गुरु-देव-शाप-निर्मूलिका।
आद्य-शक्ति इन्दिरा, ऋद्धि-सिद्धिदा रमा।।१३
सिन्धु-सुता विष्णु-प्रिया, पूर्व-जन्म-पाप-विमोचना।
दुःख-सैन्य-विघ्न-विमोचना, नव-ग्रह-दोष-निवारणा।।१४
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं श्रीसर्व-कामना-सिद्धि महा-यन्त्र-देवता-स्वरुपिणी श्रीमहा-माया महा-देवी महा-शक्ति महालक्ष्म्ये नमो नमः।
ॐ ह्रीं श्रीपर-ब्रह्म परमेश्वरी। भाग्य-विधाता भाग्योदय-कर्त्ता भाग्य-लेखा भगवती भाग्येश्वरी ॐ ह्रीं।
कुतूहल-दर्शक, पूर्व-जन्म-दर्शक, भूत-वर्तमान-भविष्य-दर्शक, पुनर्जन्म-दर्शक, त्रिकाल-ज्ञान-प्रदर्शक, दैवी-ज्योतिष-महा-विद्या-भाषिणी त्रिपुरेश्वरी। अद्भुत, अपुर्व, अलौकिक, अनुपम, अद्वितीय, सामुद्रिक-विज्ञान-रहस्य-रागिनी, श्री-सिद्धि-दायिनी। सर्वोपरि सर्व-कौतुकानि दर्शय-दर्शय, हृदयेच्छित सर्व-इच्छा पूरय-पूरय ॐ स्वाहा।
ॐ नमो नारायणी नव-दुर्गेश्वरी। कमला, कमल-शायिनी, कर्ण-स्वर-दायिनी, कर्णेश्वरी, अगम्य-अदृश्य-अगोचर-अकल्प्य-अमोघ-अधारे, सत्य-वादिनी, आकर्षण-मुखी, अवनी-आकर्षिणी, मोहन-मुखी, महि-मोहिनी, वश्य-मुखी, विश्व-वशीकरणी, राज-मुखी, जग-जादूगरणी, सर्व-नर-नारी-मोहन-वश्य-कारिणी, मम करणे अवतर अवतर, नग्न-सत्य कथय-कथय।
अतीत अनाम वर्तनम्। मातृ मम नयने दर्शन। ॐ नमो श्रीकर्णेश्वरी देवी सुरा शक्ति-दायिनी। मम सर्वेप्सित-सर्व-कार्य-सिद्धि कुरु-कुरु स्वाहा। ॐ श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं श्रीमहा-माया महा-शक्ति महा-लक्ष्मी महा-देव्यै विच्चे-विच्चे श्रीमहा-देवी महा-लक्ष्मी महा-माया महा-शक्त्यै क्लीं ह्रीं ऐं श्रीं ॐ।
ॐ श्रीपारिजात-पुष्प-गुच्छ-धरिण्यै नमः। ॐ श्री ऐरावत-हस्ति-वाहिन्यै नमः। ॐ श्री कल्प-वृक्ष-फल-भक्षिण्यै नमः। ॐ श्री काम-दुर्गा पयः-पान-कारिण्यै नमः। ॐ श्री नन्दन-वन-विलासिन्यै नमः। ॐ श्री सुर-गंगा-जल-विहारिण्यै नमः। ॐ श्री मन्दार-सुमन-हार-शोभिन्यै नमः। ॐ श्री देवराज-हंस-लालिन्यै नमः। ॐ श्री अष्ट-दल-कमल-यन्त्र-रुपिण्यै नमः। ॐ श्री वसन्त-विहारिण्यै नमः। ॐ श्री सुमन-सरोज-निवासिन्यै नमः। ॐ श्री कुसुम-कुञ्ज-भोगिन्यै नमः। ॐ श्री पुष्प-पुञ्ज-वासिन्यै नमः। ॐ श्री रति-रुप-गर्व-गञ्हनायै नमः। ॐ श्री त्रिलोक-पालिन्यै नमः। ॐ श्री स्वर्ग-मृत्यु-पाताल-भूमि-राज-कर्त्र्यै नमः।
श्री लक्ष्मी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीशक्ति-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीदेवी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्री रसेश्वरी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्री ऋद्धि-यन्त्रेभ्यो नमः। श्री सिद्धि-यन्त्रेभ्यो नमः। श्री कीर्तिदा-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीप्रीतिदा-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीइन्दिरा-यन्त्रेभ्यो नमः। श्री कमला-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीहिरण्य-वर्णा-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीरत्न-गर्भा-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीसुवर्ण-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीसुप्रभा-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीपङ्कनी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीराधिका-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीपद्म-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीरमा-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीलज्जा-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीजया-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीपोषिणी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीसरोजिनी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीहस्तिवाहिनी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीगरुड़-वाहिनी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीसिंहासन-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीकमलासन-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीरुष्टिणी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीपुष्टिणी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीतुष्टिनी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीवृद्धिनी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीपालिनी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीतोषिणी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीरक्षिणी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीवैष्णवी-यन्त्रेभ्यो नमः।
श्रीमानवेष्टाभ्यो नमः। श्रीसुरेष्टाभ्यो नमः। श्रीकुबेराष्टाभ्यो नमः। श्रीत्रिलोकीष्टाभ्यो नमः। श्रीमोक्ष-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीभुक्ति-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीकल्याण-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीनवार्ण-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीअक्षस्थान-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीसुर-स्थान-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीप्रज्ञावती-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीपद्मावती-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीशंख-चक्र-गदा-पद्म-धरा-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीमहा-लक्ष्मी-यन्त्रेभ्यो नमः। श्रीलक्ष्मी-नारायण-यन्त्रेभ्यो नमः। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं श्रीमहा-माया-महा-देवी-महा-शक्ति-महा-लक्ष्मी-स्वरुपा-श्रीसर्व-कामना-सिद्धि महा-यन्त्र-देवताभ्यो नमः।
ॐ विष्णु-पत्नीं, क्षमा-देवीं, माध्वीं च माधव-प्रिया। लक्ष्मी-प्रिय-सखीं देवीं, नमाम्यच्युत-वल्लभाम्। ॐ महा-लक्ष्मी च विद्महे विष्णु-पत्नि च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्। मम सर्व-कार्य-सिद्धिं कुरु-कुरु स्वाहा।
विधि:-सामान्य रूप से नित्य कम से कम 3 पाठ करना उचित होता है दिन रविवार या मंगलवार से प्रारंभ करें।सर्व प्रथम देवी के मंदिरमे जा कर पंचोपचार विधि से पूजन करे।फल-फूल प्रदान करे।प्रसाद में खीर या इच्छानुसार मिष्ठान प्रदान कर मंदिर में ही 3 पाठ कर नित्य 3 पाठ करने की माता से अनुमति प्रदान करे।विधि प्रारम्भ करने के पहले हनुमानजी को प्रणाम करें एवं पूजा सम्पन्न होने पर श्री भैरव जी को प्रणाम करें।इनके बाद रोज अपने निवास स्थान पे एक नियमित समय पे पाठ करे।
ये सामान्य विधि है माता का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त हो शारिरिक मानसिक एवं आध्यात्मिक रक्षा प्राप्त होती हैं।इसके अलावा जटिल विधि भी है सिद्ध करने की किन्तु इसे सिर्फ गुरु आदेश से और हो सके तो गुरु सानिध्य में ही कि जा सकती है।इस स्तोत्र मव भगवती आदिशक्ति नवदुर्गा जी शक्ति विद्यमान है।जिससे शारिक रक्षा,दुखो को दूर करने की शाक्ति है।किसी भी प्रकार के रोग ऋण शत्रु से मुक्ति प्राप्त होती है।यदि आपको लगता है कि आपके या आपके परिवार के ऊपर बाहर की बाधा हो,नजर दोष हो,तो इस कवच का पाठ अवश्य करे।यदि आप चाहे तो संकल्प प्रदान कर इस कवक्ज6 का जाप अनुष्ठान करा कर ,इसे कवच के रूप में धारण किया जा सकता है।किंतु स्मरण रहे अनुष्ठान हेतु अनुष्ठानकर्ता अनुभवी एवं सिद्ध हो।।
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**** #मेरी_भक्ति_अघोर_महाकाल_की_शक्ति ****
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शनिवार, 17 अप्रैल 2021

वीर चालन मंत्र

वीर चालन मंत्र
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अय हनुमान बारा वर्ष का जवान
हाथ में लड्डू मुख्य में पान
हाँक मारत आय बाबा हनुमान
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।।

दिखने में ये बहुत ही साधारण मंत्र है किंतु इसका असर बहुत शीघ्र होता है और ये खतरनाक भी है।ब्रह्मचर्य का नियम है।इस मंत्र के आराध्य भगवान हनुमान जी महाराज है।किसी भी प्रकार की विपदा,जैसे शत्रुओ से परेशानी,भुत-प्रेत या अतृप्त आत्माओ से ये मंत्र रक्षा करता है।साथ ही साथ साधना काल मे आने वाली रुकावटो से भी ये मंत्र रक्षा करता है।यदि कोई व्यक्ति इसे विधि-विधान से सिद्ध करता है तोवो सारे संकटों से मुक्त हो सकता है।चाहे कोई भी दोष हो,वायव्य आत्माओ से,पैशशाचिक पीड़न से,राक्षस या प्रेत दोष से,या किसी के द्वारा किया कराया अभिचार कर्म हो,यदि जंगली एवं घातक पशुओ ने आप को घेर लिया हो,ऐसी सभी संकट की घड़ी में ये शक्तिशाली मंत्र अपना अमोघ प्रभाव प्रदान करता है।
परन्तु स्मरण रहे कि इस मंत्र को पहले दीपावली,होली,दशहरा आदि को मध्य रात्रि में सिद्ध करना चाहिए ,पुनः हर वर्ष उसी दिन इस मंत्र को पढ़ना चाहिए।ये लगातार हर वर्ष चलने वाली सिद्ध क्रिया है।इसके अलावा वे साधक जिनके पास अधिक समय है और वे हनुमान जी के प्रति समर्पित है वे हर मंगलवार या शनिवार को1100 मंत्र जाप करके हनुमानजी के नाम से गूगुल एवं लुभान की धूनी दे सकते है।इस मंत्र का लगातार किसी विशेष उद्देश्य से बाबा-बार जपना ही "वीर चलना"कहते।मूलतः यह "वीर चालन मंत्र"है।मंत्र की अमोघ शक्ति को ध्यान में रखते हुए इसकी यहां पोस्ट पे सम्पूर्ण विधि जैसे :-भोग-प्रशाद,आसन, फूल-फल और इसको चलाने की कसमें/आन यहां नही दी गई है।इसे आप ज्ञानार्थ ही ले अथवा अपने गुरुदेव के सानिध्य में साधना सम्पूर्ण करे।अभी इस पोस्ट पे एक वीर की जानकारी दी गई है भविष्य में अन्य वीरो की जानकारी दी जाएगी।

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व्याख्याए,एवं तथ्य गुरू कथन,ज्योतिष,तांत्रिक-आध्यात्मिक ग्रंथो एवं स्वयं के अभ्यास अनुभव के आधार पर मात्र शैक्षणिक उद्देश्यों हेतु दी जाती है।तंत्र-मंत्रादि की जटिल एवं पूर्ण विश्वास से  साधना-सिद्धि गुरु मार्गदर्शन में होती है अतः बिना गुरु के निर्देशन के साधनाए ना करे।विवाद की स्थिति में न्यायलय क्षेत्र दुर्ग छत्तीसगढ़,भारत,©कॉपी राइट एक्ट 1957)
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