मंगलवार, 8 नवंबर 2022

श्रीविष्णुसहस्रनाम_स्तोत्रम् [भाग-१]°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°

#श्रीविष्णुसहस्रनाम_स्तोत्रम् [भाग-१]
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#विष्णु_सहस्त्रनाम_की_सही_विधि_जानें_महत्व_और_फायदे
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🚩जयश्री महाकाल दोस्तों....
गुरुवार का दिन #भगवानविष्णु और #देवगुरुबृहस्पतिदेव को समर्पित होता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने और व्रत आदि करने से व्यक्ति को पापों से छुटकारा मिलता है।#भगवानविष्णु को सृष्टि का पालहरा भी कहा जाता है।चातुर्मास की अवधि मे भगवान #श्रीहरि योग निद्रा में चले जाते हैं जो कि चार माह बाद समाप्त होता है।
#ज्योतिषशास्त्र के अनुसार चातुर्मास में पूजा-पाठ, जप, तप और साधना आदि का विशेष महत्व बताया जाता है. ऐसे में #विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना विशेष लाभदायी बताया गया उस। बता दें कि #विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ सही विधि और नियमों का पालन करके किया जाए। तो व्यक्ति के सभी संकट दूर हो जाते हैं। आइए जानें #विष्णुसहस्त्रनाम की सही विधि और फायदे.
#विष्णुसहस्त्रनाम की सही विधि:-
१.#विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ वैसे तो कभी भी किया जा सकता है, लेकिन अगर सूर्योदय के समय किया जाए, तो उत्तम होता है. पाठ करने से पहले तन और मन दोनों की पवित्रता का विशेष ध्यान रखें.

२.पाठ की शुरुआत गुरुवार के दिन करें.स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आह्वान करें और फिर पाठ की शुरुआत करें.
- पाठ शुरू करने से पहले कलश पर आम के पत्ते और नारियल रखें. पाठ समाप्त होने के बाद भगवानविष्णु को लगाया पीला भोग ग्रहण करें.
३.किसी विशेष इच्छा की पूर्ति के लिए पीले रंग के वस्त्र पहनें.पानी से भरा कलश रखें।कहते हैं कलश के बिना ये पाठ अधूरा माना जाता है।
#विष्णुसहस्त्रनाम_के_फायदे
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४.धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गुरुवार या फिर किसी विशेष अवसर पर पूजा के बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि आती है.
५.मान्यता है कि #विष्णुसहस्त्रनाम के पाठ में भगवान विष्णु के 1000 नामों का वर्णन किया गया है. इसे करने से व्यक्ति की सभी भौतिक सुविधाएं पूरी होती हैं. साथ ही, व्यक्ति के बिगड़े काम बनते हैं.
६.शास्त्रों के अनुसार कुंडली में बृहस्पित के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए #विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है.
७.इस पाठ का नियमिच जाप करने से व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास की बढ़ोतरी होती है. मन एकाग्र होता है और तनाव से राहत मिलती है.
८.ऐसा माना जाता है कि नियमित रूप से #विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ सुनने मात्र से ही व्यक्ति का भय कम होता है. साथ ही, लक्ष्य को प्राप्त करने की शक्ति मिलती है.
९.इसका नियमित जाप करने से घर में सौभाग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही, आर्थिक पक्ष में मजबूती मिलती है.

भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार माना जाता है। मान्यता है कि जिस व्यक्ति पर इनकी कृपा होती है,वह किसी भी परिस्थिति में असफल नहीं होता है और उसे भाग्य, धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। बता दें की #भगवानविष्णु चातुर्मास में चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान सृष्टि का कार्यभार #भगवानशिव संभालते हैं। पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु को पूजा-पाठ के द्वारा योग निद्रा से जगाया जाता है। 
शास्त्रों में बताया गया है कि #भगवानविष्णु कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन चार मास के योग निद्रा से जागते हैं। 

#चातुर्मास_में_क्यों_योग_निद्रा_में_जाते_हैं #श्रीहरि

किवदंतियों के अनुसार भगवानविष्णु अपने भक्तों की प्रार्थनाओं को सुनने में इतने लीन हो गए थे कि वह कई दिनों तक आराम नहीं करते थे। जिसके कारण माता लक्ष्मी और उनकी सेवा में लगे देवी-देवताओं को भी आराम नहीं मिल पाता था। लेकिन जब वह सोते थे तब कई वर्षों के लिए निद्रा धारण कर लेते थे। ऐसे में माता लक्ष्मी उन्हें नींद लेने के लिए एक नियम बनाने का सुझाव दिया। ताकि श्री हरि के साथ-साथ उन्हें भी कुछ समय आराम मिल सके। तब से भगवान विष्णु ने चातुर्मास में योग निद्रा लेते हैं।

#प्रार्थना
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महाभारतमें भगवान के अनन्य भक्त #पितामहभीष्मद्वारा भगवान के जिन परम पवित्र सहस्र नामोंका उपदेश किया गया,उसीको #श्रीविष्णुसहस्रनाम कहते हैं । भगवान के नामोंकी महिमा अनन्त है । हीरा,लाल,पन्ना सभी बहुमूल्य रत्न हैं पर यदि वे किसी निपुण जड़ियेके द्वारा सम्राट् के किरीटमें यथास्थान जड़ दिये जायँ तो उनकी शोभा बहुत बढ़ जाती है और अलग अलग एक एक दानेकी अपेक्षा उस जड़े हुए किरीटका मूल्य भी बहुत बढ़ जाता है । यद्यपि भगवान के नामके साथ किसी उदाहरणकी समता नहीं हो सकती, तथापि समझनेके लिये इस उदाहरणके अनुसार भगवान् के एक सहस्र नामोंको शास्त्रकी रीतिसे यथास्थान आगे पीछे जो जहाँ आना चाहिये था वहीं जड़कर भीष्म सदृश निपुण जड़ियेने यह एक परम सुन्दर, परम आनन्दप्रद अमूल्य वस्तु तैयार कर दी है । एक बात समझ रखनी चाहिये कि जितने भी ऐसे प्राचीन नामसंग्रह, कवच या स्तवन हैं वे कविकी तुकबन्दी नहीं हैं । सुगमता और सुन्दरताके लिये आगे पीछे जहाँ तहाँ शब्द नहीं जोड़ दिये गये हैं । परन्तु इस जगत् और अन्तर्जगत्का रहस्य जाननेवाले, भक्ति, ज्ञान, योग और तन्त्रके साधनमें सिद्ध, अनुभवी पुरुषोंद्वारा बड़ी ही निपुणता और कुशलताके साथ ऐसे जोड़े गये हैं कि जिससे वे विशेष शक्तिशाली यन्त्र बन गये हैं और जिनके यथा रीति पठनसे इहलौकिक और पारलौकिक हु कामना सिद्धिके साथ ही यथाधिकार भगवान् की अनन्यभक्ति या सायुज्य मुक्तितककी प्राप्ति सुगमतासे हो सकती है । इसीलिये इनके पाठका इतना महात्मय है और इसीलिये सर्वशास्त्रनिष्णात परम योगी और परम ज्ञानी सिद्ध महापुरुष प्रात स्मरणीय आचार्यवर श्रीआद्यशङ्कराचार्य महाराजने लोककल्याणार्थ इस #श्रीविष्णुसहस्रनामका भाष्य किया है । आचार्यका यह भाष्य ज्ञानियों और भक्तों दोनोंके लिये ही परम आदरकी वस्तु है ।
(संकलित पोस्ट)
#क्रमशः-

👉 आपका
#रां_राहुलनाथ™#राहुलनाथ™ 
[ ज्योतिष-तंत्र-वास्तु एवं अन्य अनुष्ठान-जीवन प्रशिक्षक ]
महाकाल आश्रम,भिलाई,३६गढ़,भारत,📱+९८२७३७४०७४(w)
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#निष्कर्ष:-
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