शुक्रवार, 22 जुलाई 2016

||कुण्डलिनी ऊर्जा एवं उसका परिपथ||

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||कुण्डलिनी ऊर्जा एवं उसका परिपथ||
जयश्री महाँकाल.....ॐ गुरूजी शिवगौरस सरकार
मानव शरीर में मूल रूप से ऊर्जा की धारा सहस्त्रार से रीढ़ की हड्डी के माध्यम से होकर ,सभी चक्रों से होते हुए मूलाधार चक्र के निचे उपस्थित ,रीढ़ के निचे की नोंक(जिसे भैरव कहा जाता है)से होते हुए निचे दोनों पैरो के माध्यम से धरती में विलीन हो जाती है।इस ऊर्जा का विलय होने का मुख्य स्थान पैरो के अंगूठो द्वारा होता है।इस ऊर्जा का पैरो के अंगूठो से लगातार रिसाव होता रहता है।यह समान्य  परिपथ है जो सभी मानव ,जिव-जंतु में एक सामान होता है।इसी कारण वष हिन्दू सनातन धर्म में पैरो के अंगूठो को छूकर आशीर्वाद प्राप्त करने कहा जाता है।आशीर्वाद प्राप्त करने का मूल सिद्धांत है की आपके हाथी की चार अंगुलिया एवं अंगूठा परस्पर ,जिसके चरण छुए जा रहे है उसके पैरो के चार अंगुलियो एवम् अंगूठो से जोड़ दे।जिससे की उस व्यक्ति की ऊर्जा धारा आपके शरीर में पहुच सके।इस प्रकार अच्छे आचरण एवं स्वभाव के व्यक्ति से सकारात्मक एवं बुरे स्वभाव के व्यक्ति से नकारात्मक ऊर्जा ग्रहण की जा सकती है।
इसी ऊर्जा का नाम "राधा" है। जिसे योगी ध्यान की एकाग्रता द्वारा वापस धरती से अंगूठो एवम् अंगुलियो के माध्यम से क्रमशः पैरो के तलवेे,पिंडली,घुटने,जंघा,कमर,भैरव,रीड के 5 चक्रों से होते हुए सहस्त्रार तक पहुचा देता है।इस अवस्था में ऊपर से निचे की और आने वाली ऊर्जा (राधा).उलट कर (धारा) बन जाती है।इसी ऊर्जा को शैव, प्रकृति या पार्वती कहते है जो सहस्त्रार में शिव से मिलन करती है।
गुरु शिष्य परम्परा के अंतर्गत होंने के कारण ऊपर ऊर्जा परिपथ के सम्पूर्ण बिन्दुओ का उल्लेख नहीं किया गया है।जो की गुरु शिष्य को परखने के बाद ,कुछ कसमो के माध्यम से प्रदान करते है एवं मात्र अपने शिष्यो को ही बताने का वचन लेते है।इस क्रिया में यदि शिष्य गुप्तता को तोड़ता है तो शिष्य को इसका प्रकृतिक दंड भुगतना पड़ता है।अतः अपनी बुद्धि एवम् विवेक से समझने का प्रयास करे। इस क्रिया को पूर्ण रूप से समझने के लिए ध्यान,एकाग्रता एवं एकासन(साढ़े तिन घंटे एक ही मुद्रा में खड़े या बैठे रहना) की सिद्धि आवश्यक होती है।
क्रमश:
।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
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