शनिवार, 23 जुलाई 2016

।।बालक हनु।।

!!जै श्री महाकाल!!
एक “हनु” नाम का बालक था ! उसका नाम “हनु” होने का एक कारण था इस बालक ने जन्म के बाद कोई शब्द कहा ही नही था ! अन्य शिशु जन्मोपरांत “माँ” शब्द क ही उच्चारण करते है फ़िर यदि उनमे माता-पिता या अन्य रिश्तेदारो के समक्ष हो अकेले हो या निंद में ! उच्चारण की गति,लय या तिक्षणता में असमानता हो सकती है ! किन्तु इस शिशु ने प्रथम उच्चारण “हनु” शब्द का हि किया था उसके बाद दुसरा शब्द बोला ही नही !! उससे कोई पुछता तुमहारा नाम क्या है तो वो कहता “हनु”,कोई पिता,माता,भाई,मित्र,दुकानदार,भोजन,या कुछ भी पुछता किसी भी विषय पे पुछता तो जवाब “हनु” हि होता !यही कारण था जिसके कारण वो “हनु” नाम से प्रसिद्ध हुआ !
किसि भी प्रकार से बोलने की क्षमता न होने के कारण बहुत से लोग उसका मजाक उडाते !! कारण यह था कि ह्नुमान जी का ही नाम हनु होता है इसि कारण सभी उसे भक्त समझते थे ! वे सोचते थे की ये बालक हनुमान जी की चमत्कारी शक्तियों को रखता है!!कुछ लोग इस बात का सम्मान भी करते कीन्तु मे समाज में नकारात्मक बुद्धिं के लोगों की बहुलता के कारण अधिक उसका उपहास ही उडाया करते !! समय बितता गया !उसकी इस विशेषता के कारण उसका पाठशाला में प्रवेश भी ना हो सका ! दिन भर माता-पिता के स्नेह एवं सानिध्य मे रहता !काल की गति कभी रुकती नही उसकी आयु 14 वष की हुई !!एक दिन हनु पिता की आग्या से बाल काटने हेतु नाई के पास पहुचा! वहां उपस्थित मित्रों ने हनु का उपहास प्रारंभ किया ! ना ना प्रकार के उपद्रव की बहुत परेशान किया एवं अंत मे उसकी धोती भी उतार दी !! और कहने लगे की कहाँ है तेरा हनुमान रात दिन भजता रहता हैं अगर सत्य तो दिखा तेरी भक्ती हमे प्रमाण चाहिये!!रोज बच जाता है हम आज तो तुझे नही छोडेगें!हमें प्रमाण चाहिये हो सकता है तुम ढोंगी हो? हो सकता है तुमहारे माता पिता नें प्रतिष्ठा हेतु तुमसे ये स्वांग रचने के लिये कहा हो? इस अवस्था में हनु को बहुत दुख: प्राप्त हुआ और नेत्रों से आँसु बहने लगे !और इस अवस्था में हनु ने जिवन में पहली बार कहा की मुझे नही पता की कौन है हनुमान? मै नही जानता ! मे नही जानता वो कौन है हनुमान जिसके नाम के कारण मैने बचपन से दुख: सहे !!किन्तु यदि वो है तो मै आप सभी मित्रों को वचन देता हु की कल जब सुर्य देव आकाश के मध्य में होगे तब मै उनहे बुलाऊगा! यदि मेरी भक्ति जो तुम कहते हो वो सत्य होगी तो वे अवश्य आयेगें!! ऎसा कह हनु घर वापस आ गया !! उस क्षेत्र मे तो हनु पहले से ही अपनी अवस्था के कारण प्रसिद्ध था किन्तु हनु के वचन देते ही ये बात पुरे गांव में आग की तरह तत्काल फ़ैल गई की हनु ने बात की है और वो बोलना भी जानता था !और आज तक न बोलने का स्वांग रचता था !! हमारे समाज की विडंबना ये है की उसे हर अव्स्था में प्रमाण चाहिये!!किन्तु भक्ति और भावना का प्रमाण नही होता वो बस पैदा होती है!!!रात्रि बिति,दोप्पहर होने तक हनु के घर के बाहर भीड इकहट्टा होने लगी !सभी के हनु के घर से बाहर आने की प्रतिक्षा थी! सुर्य देवता आकाश के मध्य जैसे ही आये हनु घर से बाहर निकला और एक पल के लिये श्री हनुमान जी की मुद्रा मे खडा हुआ और लोगो के देखते देखते ही हनुमान जी के वेग से हनु का पुर्ण शरीर बिस्फ़ोट से फट पडा !! इस कहानी में जित किस्की हुई?
19.05.2014
।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
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