शुक्रवार, 22 जुलाई 2016

||रहस्य प्रार्थनाओं का ||

||रहस्य प्रार्थनाओं का ||
अवचेतन मस्तिष्क के अज्ञान से लाभ हुआ या हानि ?
एक लड़की मेरी मित्र थी।  सोने से पूर्व रोज उसे मैं उसे याद करते रहता था,यह मेरा रोज का क्रम था ।इसी वजह से  कई बार उसे मैंने अपने सपने में भी देखता था इससे मेरा मानसिं तनाव कुछ समय के लिए कम हो जाता था।  इस प्रकार जाने अनजाने मैं अपने अवचेतन मन को प्रतिदिन एकप्रकार की विशेष सूचना दे रहा था।  इस क्रिया से मेरी उस कन्या पर निर्भरता बढ़ती चली गई।इसका दीर्घकालीन असर मुझपे ये हुआ की धीरे-धीरे वह मेरे लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण हो गई। किन्तु जब अवचेतन की शक्ति को मैं समझ पाया तो मैंने इस क्रिया को करना छोड़ दिया ।
परन्तु, मैं सोने से पूर्व उसे निरन्तर याद करता रहा था, ईसी कारण वष  मैंने उसे कुछ अनावश्यक महत्त्व दे दिया था इस कारण मुझे भविष्य में काफी हानि उठानी पढ़ी और मैं ठीक से अपनी साधना भी नहीं कर पा रहा था। इस क्रिया के लगातार करने के कारण उस कन्या का रुझान मेरी और बहुत ज्ज्यादा हो गया था और वो मुझसे दूर नहीं हो पा रही थी।ये सब अनजाने में हुआ था।अज्ञानता वष हुआ था उस समय मेरी आयु 24 वर्ष के आस पास रही होगी।किन्तु हर समस्या में उसका समाधान छुपा होता है इसी कारण वष अब हर रात मैं उस कन्या को अपने आप से दूर होते हुए देखता रहा ,सोचता रहा।उसके सुन्दर और सुरक्षित जीवन की नित्य प्रार्थना करने लगा ।मैं रोज रात को उसकन्या का विवाह ,एक सुशिक्षित एवं धनवान पुरुष से हो रहा है ऐसे रोज विचार करने लगा।
धीर धीरे सकारात्मक परिणाम आने लगे एवम् उस कन्या के जीवन में वैसा ही पुरुष उपलब्ध हो गया ।कालान्तर में उस कन्या का विवाह उस पुरुष से हो गया।
आज इस बात का ज्ञान हो रहा है की अवचेतन एक धरती की सतह के सामान है और इसमें जैसे बिज बोये जाए वैसा ही भविष्य में फल प्राप्त होता है।इस अवचेतना के भीतर प्रवेश करने का सबसे सरल समय रात्रि में सोने के ठीक पहले का समय होता है।योगी,ज्ञानी एवम् ध्यानी अवचेतन की इस अवस्था में इच्छानुसार ध्यान के द्वारा पहुच सकते है।चेतन मन एवं अवचेतन मन के मध्य सही सामंजस्य न होने की अवस्था में हमारा जीवन दुविधा में पड़ सकता है।आपके पास चयन की क्षमता है,आप अच्छे और बुरे में फर्क समझ सकते है।इस समय का सदुपयोग करे एवं रात्रि में सोने से पूर्व अपने अवचेतन मन को सकारात्मक निर्देश प्रदान करे।किसी के लिए अहित ना सोचे।किसी अन्य का बुरा सोचने के लिए सबसे पहले आपको अपने भीतर गलत सोचना होता है जिसके परिणाम गलत ही होते है।
आध्यात्मिक दुनिया पूर्ण रूप से अवचेतन पे ही निर्भर करती है।अवचेतन के भीतर प्रवेश आप लगातार अभ्यास द्वारा प्राप्त कर सकते है।मेरे साथ हुए इस चमत्कार ने मेरे जीवन जीने की शैली एवम् सोच पे गहरा असर डाला था।किन्तु कही ना कही मैं भीतर से ग्लार्नि का भाव ही मुझ में स्वयं के लिए पैदा हो गया था।इस आत्म ग्लार्नि से बाहर निकलने के लिए मैं रोज रात्रि सोने से पहले ,उन लोगो के लिये प्रार्थना करने लगा जो मुझे अपनी परेशानिया बताते थे।धीर धीर सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगे।ज्योतिष होने के कारण मेरे पास परेशानियो की कमी न थी रोज कोई ना कोई आकर अपना दुःख बता कर जाता था।उनमे से किसी एक का चयन कर के मैं उसके लिए रोज प्रार्थना करता था।उस क्षण के बाद आज तक यही होता रहा है।और आज भी सिर्फ रात्रि का इन्तजार होता है।की रात्रि हो और प्रार्थना शुरू हो।आज भी मैं उन लोगो के लिए प्रार्थना करता हु जो मेरे पास आते है।ईश्वर का ये वरदान जाने अनजाने ही मिला।
किन्तु सब व्यक्ति की प्रार्थना स्वीकार हो ये आवश्यक नहीं है ये तो ईश्वर के ऊपर ही निर्भर करता है की किसकी लिए की गई प्रार्थना जायज है या ना जायज।मेरा कार्य तो आज भी मात्र रोज रात्रि में 12 बजे प्रार्थना करना ही है।
।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
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