शनिवार, 23 जुलाई 2016

||कृष्णम् शरणम् गच्छामि ||

||कृष्णम् शरणम् गच्छामि ||
(व्यक्तिगत अनुभूति एवम् विचार )
मित्रों कृपया इस पोस्ट को अपना कीमती समय दे कर अवश्य पढ़े,जो आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन अवश्य प्रदान करेगी।
श्रीमद्भगवत गीता पढने जीवन बदल जाता है एवम् दिव्या ऊर्जा का अनुभव होता है जीवन में कम से कम 7 बार तो गीता जी का पाठ करना ही चाहिए।गीताजी के पाठ से उत्पन्न ऊर्जा को और ज्यादा बढ़ाया जा सकता है और भगवान श्री कृष्ण को अपने भीतर देखा जा सकता है।उनके सानिध्य एवम् आशीर्वाद को प्राप्त किया जा सकता है ।मैंने गीता जी को अपने जीवन में अभी तक 2 बार पढ़ा है किन्तु गीताजी का दीव्य ज्ञान मैं आत्मा साधा नहीं कर पाता था।उन्ही दिनों एक स्वप्न में मुझे भगवान श्री कृष्ण के दर्शन हुए ,
जो की मेरे एक बचपन के मित्र (गणपत स्वामी) के शक्ल में थे। उन्होंने कहा की श्री गीता जी में जहां-जहाँ भी मैं अर्जुन से बात कर,उसे उसके नाम से बुलाता हु वहाँ-वहाँ तू अर्जुन का नाम हटा कर अपने नाम का उच्चारण कर ,वो नाम जो तुम्हे तुम्हारे माता-पिता ने प्रदान किया है।
इस विधि का उपयोग करने से जो अनुभूतियाँ मुझे प्राप्त हुई उनको शबदो में लिख पाना मेरे लिए मुमकिन नहीं।क्योकि शक्कर कितनी मीठी है उसे शब्दों से नहीं लिखा जा सकता ।।
व्यक्तिगत अनुभूति जिसे आप मानने के लिए बाध्य नहीं है
।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
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