शनिवार, 23 जुलाई 2016

||कर्णपिशाचिनी का रहस्य ||

||कर्णपिशाचिनी का रहस्य ||
!!जै श्री महाकाल !!
मित्रों ये पोस्ट मेरे जिवन के अनुभव के आधार पर मैने लिखी है और मेरा प्रारम्भ से ही ये प्रयास रहा है कि आपके समक्ष सत्य एवं पवित्र अध्यात्म का वर्णन कर सकु एवं समाज मे फ़ैले अध्यात्मिक मायाजाल से आप सब को सजग करु !!सावधान करु!!
मैने अपने जिवन का एक बहुत बडा समय रहस्यमयी शक्तियो के ग्यानार्थ लगाया,बहुत से सच्छे लोग ज्ञानी, सिद्धो से भी मित्रता हुई एवं बहुत से गलत ढोंगीयो के साथ भी मैने अपना समय वयर्थ किया !! सच्चा ग्यान पाना तो मात्र तिल से तेल निकालने जैसा है!!
2008 मे मै तारापिठ दर्शन के लिये गया था |कलकत्ता के पास एक स्टेशन आता है रामपुराहाट,वहा से निजी सवारी द्वारा तारापिठ पहुचा जा सकता है!!
जब मै कलकत्ता पहुचा तो मेरी मुलाकात कलकत्ता स्टेशन पर एक अध्यात्मिक व्यक्ति से हुई,बड़ी हुई दाडी,काले गन्दे दाँत,मैले से कपडे,ना ना प्रकार कि माला धारण किये हुये वह व्यक्ति करिब 85-90 किलो का होगा,बाल जट्ट हो गये थे उनके! सामान के नाम पर एक झोली,एक कमन्डल और एक आधारी ले के घुमते रमने वाला ये शक्स इतनी सामर्थ रखता था कि कोई भी व्यक्ति उस्के आकर्षन से बच ना पाये !!
मुझे देख कर,वह मेरे पासा आये और कहाते है
तुम महाकाली के सेवक हो?
मैने कहा अभी पता नहि फ़िलहाल भटक रहा हुँ!तो उनहोने कहा चलो साथ भटकते है!
यहा से दो दिन वे मेरे साथ ही रहे तारा पीठ मे!उनहोने अपना नाम कल्याण ........बताया था!!
उनके अनुसार जिवन कुछ भी नहि था मात्र खेल था! मैने पुछा महाराज चमत्कार क्या होता है?
उनका जवाब था सब बेकार है धोखा है!!
मैने पुछा कि क्या आप किसि प्रकार कि सिद्धि जानते है?
जैसे "कर्ण पिशाचनि " जो सब के बारे मे बता दे तो वे हसने लगे,
फिर उनहोने अपनी झोलि से एक डायरि निकाली और मेरी तरफ़ बडाई,मैने देखा तो उस डायरी मे बहुत से लोगो के नाम, पता,फोन नं,माता पिता सन्तान का नाम,घर के पास का परिचिति के लिये (लैंड मार्क) जैसे स्कुल,तालाब मन्दिर इत्यादि.. और उनकी समस्या कि जानकारि दर्ज थी!
मैने कहा महाराज ये तो सबके पास होती है दोस्तो मित्रो के पते तो सब लिखते ही है..
तब उन्होने कहा ये है "कर्ण पिशाचिनि!!!
मैने कहा कैसे??
तो वो कहते है कि अधिकतर कर्णपिशाचिनी के चमत्कार दिखाने वाले, ईस कार्य मे लगे है इसी प्रकार की एका डायरी मेन्टेन करते है,कन्याकुमारी से काश्मिर तक!!और जब कोई मित्र मुझे मार्ग मे मिलेगा तो ये डायरी मै उसे दे दुन्गा और उसकि डायरी मै ले लुंगा!!
फिर मेरि डायरी के अनुसार वो और उसकी डायरी के अनुसार मै उन्ही लोगो से जा के मिलुन्गा जिनका नाम मित्र ने डायरी मे लिख रखा है,मै उस डायरी से एक पता निष्चित कर उस पते पर पहुच कर अगले व्यक्ति को उस्के नाम से पुकारुंगा,जिस्से वो प्रभावित हुये बिना नहि रहेगा,औए फिर डायरी के अनुसार अन्य बातो को भी मै उसे बता दुन्गा जैसे नाम,क्या काम करते है,सन्तान कितनि है,पत्नि का नाम क्या है और उन्की समस्या क्या है।
और यहि कार्य उसका वो मित्र भी करेगा जिसे उसने अपनि डायरी दि है...
बस यहि है राज ,कर्ण पिशाचनि का...
मित्रों हो सकता है कलयाण जी गलत हो ,
हो सकता है कि और भी बहुत सी विधि हो सिद कि....
किन्तु जो मैने पाया वो आप्के समक्ष लिखा है,आगे क्या सत्य क्या अस्त्य ये आप अपने ग्यान के अनुसार ही फैसला करे....

15 मार्च 2015,20:10 मिनट

।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
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चेतावनी-हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे ।क्योकि हमारा उद्देश्य केवल विषय से परिचित कराना है। किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में अपने योग्य विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श ले। साधको को चेतावनी दी जाती है की वे बिना किसी योग्य व सफ़ल गुरु के निर्देशन के बिना साधनाए ना करे। अन्यथा प्राण हानि भी संभव है। यह केवल सुचना ही नहीं चेतावनी भी है।

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