!!मौत की छलांग!!
जै श्री महाकाल आदेशम!!
"गुरु आपको प्रकाश तो नहीं प्रदान कर सकते,किन्तु आपके अंधकार को मिटा सकते है"
कोई गुरु ज्ञान नहीं दे सकता क्योकि ज्ञान तो भीतर छिपा होता है!
किन्तु गुरु आपके भीतर के आवरण को हटा सकते है जैसे हनुमान जी के साथ आवश्यकता पड़ने पर जामवंत ने किया!मात्र स्मरण कराया,उनके आत्मा विशवास को जगाया !
किन्तु आवरण के हटते ही आप वैसे नहीं रहेगे जैसे आप पहले थे आपका पूरा जीवन बदल जाएगा ,
आपका अस्तित्व बदल जाएगा !आपकी मृत्यु हो जायेगी और उसी पल आपका नया जन्म भी हों जायेगा ! कुछ भी पुराना शेष नहीं बचेगा ,कल तक जैसे आपकी सोचा थी अब वह नहीं रहेगी जैसा आज तक आप करते थे अब वह नहीं कर पायेगे!
आपकी काया बदल जायेगी, आपकी चाल बदल जायेगी !मानो आपने परकाया सिद्धि प्राप्त कर ली हो या आपमे कोई अन्य प्रवेश कर गया हो!टोटल प्रस्नाल्टी चेंज!!
इस संसार में "गुरु"से बढ़कर कोई नाम नहीं है!
सर,शिक्षक,टीजर,मास्टर, और भी बहुत से शब्द है ज्ञान प्रदान करने वाले !
किन्तु "गुरु "जैसा शब्द नहीं!
क्योकि "गुरु "से हम कुछ सीखते नहीं हैकिन्तु हम कुछ हो जाते है कुछ और बन जाते है कुछ बदल जाता है जिसके द्वार ज्ञान की बढ़ोतरी नहीं होती हम ही बड़ जाते है!
"गुरु" वो जिसके द्वारा आपका ही रूपांतरण हो जाता है!ये नहीं की कुछ जानकारी एकत्रित कर ली ,
कुछ सिद्धियों की विधि जान ली !ऐसा कुछ भी नहीं प्राप्त होता गुरु से!
गुरु धारण कर लेना मतलब बस, अब आप प्रयास नहीं कर सकते ,बहती हुई नदी के साथ बहना है आपको नदी के विपरीत दिशा में प्रयास भी नहीं करना!
बस छलांग लगानी है नदी में और कुछ नहीं करना बस नदी के "आदेशो" का पालन करना,
फिर वह सीधी जाए ,उलटी जाए ,सर्प की भाति बहे या चक्कर लगा के बहे!
पहुचेगी तो सागर तक ही!!
जिस दिन आप अपनी बृद्धि लगाना छोड़ देगे उसी पल आपको" गुरुतत्व" प्राप्त हो जाता है!
बस देरी है आपके नदी में छलांग लगाने की!
आदेशम!!आदेश!!आदेश!!!श्री नाथ जी को आदेश।
।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।
(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
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