।।महाकाल स्तवन।।
असंभवं संभव-कर्त्तुमुघतं, प्रचण्ड-झंझावृतिरोधसक्षम।
युगस्य निर्माणकृते समुघतं, परं महाकालममुं नमाम्यहम॥
यदा धरायामशांतिः प्रवृद्घा, तदा च तस्यां शांतिं प्रवर्धितुम।
विनिर्मितं शांतिकुंजाख्य-तीर्थकं, परं महाकालममुं नमाम्यहम॥
अनाघनन्तं परमं महीयसं, विभोः स्वरुपं परिचाययन्मुहुः।
यगगानुरुपं च पंथं व्यदर्शयत्, परं महाकालममुं नामाम्यह॥
उपेक्षिता यज्ञ महादिकाः क्रियाः, विलुप्तप्राय खलु सान्ध्यमाहिकम।
समुद्धृतं येन जगद्धिताय वै, परं महाकालममुं नामाम्यहम॥
तिरस्कृतं विस्मडतमप्युपेक्षितं, आरोग्यवहं यजन प्रचारितुंम।
कलौ कृतं यो रचितुं समघतः, परं महाकालममुं नामाम्यहम॥
तपः कृतं येन जगद्घिताय, विभीषिकायाश्च जगन्नु रक्षितुम।
समुज्ज्वला यस्य भविष्य-घोषणा, परं महाकालममुं नामाम्यहम॥
मृदुहृदारं हृदयं नु यस्य यत्, तथैव तीक्ष्णं गहनं च चिन्तनम।
ऋषेश्चरित्रं परमं पवित्रकं, परं महाकालममुं नामाम्यहम॥
जनेष देवत्ववृतिं प्रवर्धितुं, वियद् धरायाच्च विधातुमक्षयम।
युगस्य निर्माणकृता च योजना, परं महाकालममुं नामाम्यहम॥
यः पठेच्चिन्त येच्चापि, महाकाल-स्वरुपकम।
लभेत परमां प्रीति, महाकाल कृपादृशा॥
॥इति महाकाल स्तवन संपूर्ण॥
।। जयश्री महाँकाल ।।
🚩🚩🚩जयश्रीमहाँकाल 🚩🚩🚩
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।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
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