!!खुल जा सिम सिम 2 उखेल मन्त्र !!
मै आपको एक विधि बता रहा हुँ जिससे वे सारे मन्त्रों का कु प्रभाव
आप पर से धिरे- धिरे कम होते हुये पलायन कर जायेगे !!जो अभि तक आपने बिना मार्ग दर्शन के जप किये है और आप उनके प्रभाव के कारण कष्ट भोग रहे है!!
!!सत नमो अदेश गुरुजि को आदेश ऊँ गुरुजी जय श्री महाकाल
पिछली पोस्ट “खुल जा सिम सिम “ के अध्यन के बाद बहुत से मित्रों ,पाठको,भक्तों एवं साधको कि प्रतिक्रिया प्राप्त हुई !!सभि ने किसि ना किसि व्यक्ति से,किताबों से,फेसबुक से मन्त्रों को धारण कर जाप प्रारंभ किया था और वे सब इस समय परेशानियो का सामना कररहे है! जो मंत्र मिला उसे पढा और उसकी विधि पढि और जाप शुरु कर दिये जिसमे से अधिकतर साबर मन्त्र है !!किन्तु उस्से बचाव का कोई भी मार्ग अब प्रशस्त नहि हुआ !! जिन शिष्यो ने किसि व्यक्ति से मन्त्र धारण किया था जिन्होने मन्त्र दिया था उनहे अप्नि समस्या बताने से वे मुस्कुरा कर कहते है कि ये अनुभुतियाँ है !जप करते रहो !! ऎसी अवस्था मे अब उन साधको भक्तो का क्या होगा???धन भी गया ! श्रम भी गया !समय गया ! और सबसे बडि बात जो ऊनका अध्यात्म से विषवास कम हो गया और उनहोने आत्म विष्वास खो दिया !!दोषी कौन है? जो भी हो मेरा कार्य है मार्ग प्रशस्त करना गुरु गोरख के आदेश से जो मै करता हुं और भविष्य मे भी करता रहुंगा !! पिछली पोस्ट “खुल जा सिम सिम “का यहाँ लिंक प्रेशित कर रहा हुँ जिससे आन्कलन करने मे सुविधा हो !! पिछली पोस्ट “खुल जा सिम सिम "https://m.facebook.com/photo.php?fbid=488230004718792&id=100005953891679&set=a.272613889613739.1073741857.100005953891679&source=48&ref=bookmarks
मै आपको एक विधि बता रहा हुँ जिससे वे सारे मन्त्रों का कु प्रभाव आप पर से धिरे- धिरे कम होते हुये पलायन कर जायेगे !! किन्तु नियम ये है कि इस विधि के अलावा कोई भी मन्त्र जाप नहि करना है !!किसि भि कब्र के पास जाना स्खत मना है !!हो सके तो आप “ सर्व बाधा निवारण नृ्सिंह साधना दिक्षा “
ग्रहण करे जिससे इस मन्त्र के जाप से होने वाले दोषो को भी काटा जा सके !!क्योकि कोई भी साधान बिना मार्ग दर्षन के बिना गुरु के सिद्ध नहि होति या पुर्ण फल प्रदान नही करती !!
भगवान नृ्सिंह भगवान विष्णु के सबसे उग्ररुप को धारन करते है वे जहाँ उग्र है वहां वे ज्यादा शक्तिशालि होते हुये भी दयावान प्रवृ्त्ति को धारण करते है !!भगवान नृ्सिंह यन्त्र-तन्त्र-मन्त्र और तन्त्रशास्त्र के मूलाधार भी है यहि कारण है देवो श्री भैरवजी,श्री बजरंगबली और माता चण्डि तथा श्री नृ्सिंह देवजी अग्रणिय है !!श्री नृ्सिंह देव जी की पूजा बिना हनुमान जि , भैरव जी और चण्डि माता के संपुर्ण नही होति !! तिनो देवताओ का मान दे कर पुजन करने से सफलता मिलति है !!इस पुजन मे काला,लाल एवं पिला रंग के वस्त्रो का उपयोग होता है !!
इस विधि का प्रारंभ आप किसि भि मंगलवार से प्रारंभ कर सकते है एक हि मंगलवार चारो मन्दिर जाये !!
1. श्री हनुमान मंदिर:- श्री हनुमान जि के मंदिर मे जा कर दंड्वत प्रणाम कर भोग प्रदान करे वस्त्र प्रदान करे !!
भोग मे बुंदि के लड्डु, नारियल !! वस्त्र मे लाल रंग कि लंगोट !! जै श्री राम 7बार कहे
2.श्री भैरव मंदिर या शिव मंदिर:- श्री भैरव जि के मंदिर मे जा कर दंड्वत प्रणाम कर भोग प्रदान करे वस्त्र प्रदान
करे !!भोग मे दहि-बडा,, नारियल !! वस्त्र मे काला रंग कि लंगोट !!जै श्री महाभैरव 7 बार कहे
3.चण्डी माता के मंदिर :- श्री चण्डिमाता के मंदिर मे जा कर दंड्वत प्रणाम कर भोग प्रदान करे वस्त्र प्रदान करे !!भोग मे खीर,हलवा,पुरी,, नारियल !! वस्त्र मे लाल रंग का वस्त्र !!जै श्री चामुण्डायै 7 बार कहे
4.श्री नृ्सिंहदेव जि के मंदिर:- श्री नृ्सिह देव जि या विष्णु जी के मंदिर मे जा कर दंड्वत प्रणाम कर भोग प्रदान करे वस्त्र प्रदान करे !!भोग मे मिश्री,रोट,, नारियल !! वस्त्र मे पिला रंग का उपवस्त्र या गमछा !! जै नमो नारायणाय !
॥ श्री गणेशाय नमः ॥
प्रातःकाल की संध्या तारे छिपने के बाद तथा सूर्योदय पूर्व करनी चाहिए।
शौच एवं स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र पहन कर, पूजा के कमरे या मन्दिर में प्रवेश से पहले द्वार पर इन तीनों मंत्रों से तीन बार अपने कान स्पर्श करे –
ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः।
फिर बायें हाथ पर दायें हाथ से ताली बजा कर नम्रता से प्रवेश करे!!
आसन ग्रहण करने से पुर्व 7 अगरबत्तियां चेतन करे !!
!! पाठ प्रारंभ !!
सतनमोआदेशगुरुजि को आदेश ओम गुरुजि
आदौ गणपति नत्वा,नत्वा शिव जगत्गुरुं!!
शंकर-गोरक्ष नत्वा,भजे हे माँ शक्ति...
!!श्री हनुमान जि महामन्त्र!!
ऊँ नमो हनुमन्ते वज्रकाय वज्रमुंड कपिलपिंगल कराल वदनोर्ध्वकेश महावल रक्तमुख तडिज्जिह्भ महारौद्र दृंष्ट्रात्कट कटकरालिन महादृ्ढ प्रहार लंकेश्र्वर सेतुबन्ध शैल प्रवाह गगनचर ऎह्योहि भगवन्महाबलपराक्रम भैरवो ग्यापयति ऎह्योहि महारौद्र दीर्घलांकलेन (गुप्तकष्ट) वेष्टय वेष्टाय जम्भय जम्भय खन-खन वैते ह्रूँ फट् !! ऊँ अंन्जनीगर्भसंभूताय नम: ऊँ पवनपुत्राय नम: ऊँ केसरीनंन्दाय नम: ऊँ लक्ष्मणप्राणदाताय नम: ऊँ सीता शोक विनाशाय नम: ऊँ रामचन्द्रभक्ताय नम: !!{मात्र 1बार पढे }
!! श्री महाभैरव फेतकरणी महामन्त्र !!
ऊँ शत्रुमुखस्तम्भनी कामरुपा आली ढकरी! ह्रीं फें फेत्कारिणी मम गुप्तकष्टानां मुखं स्तम्भय-स्तम्भय मम सर्वविद्वेषणां मुखस्तम्भनं कुरु कुरु ऊं हुँ फें फेत्कारिणी स्वाहा :!!
{मात्र 1बार पढे }
!!श्री त्रैलोक्य विजय चंडि महामन्त्र !!
ऊँ ह्रूँ क्षूँ ह्रूँ
ऊँ नमो भगवति दंष्ट्रिणि भिमवक्त्रे महोग्ररुपे हिलि हिलि रकतनेत्रे किलि किलि,महानिखने कुलु
ऊँ विधृ्ज्जिह्ने कुलु ऊँ निमसि कट कट,गोनसाभरणे चिलि चिलि,शव मालाधारीणि द्रावय
ऊँ महांरौद्रि सार्द्रचयर्मकृ्ताच्छदे विजृ्म्
ऊँ नृ्त्यासिलता धारिणि भ्रुकुटी कृ्तापागे विषमनेत्रेकृ्तापागे विषमनेत्रेकृ्तानेन वसामे दो विलि प्रशात्रे कह कह ,ऊँ हस हस क्रुध्य क्रुध्य
ऊँ निलजीमूतवर्णे Sभ्रामालाकृ्ता भरणे विस्फ़ुर
ऊँ घन्टाखार्कीणदेहे
ऊँ सिंसिस्थेSवरुपवर्णे
ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रूँ रौद्ररुपे ह्रूँ ह्रीं क्लीं
ऊँ ह्रीं ह्रूँ भोक्ताकर्ष
ऊँ धून धून
ऊँ हे हे: स्व: स्व: व्रजिजिणे ह्रूँ क्षूँ क्षा क्रोधरूपिणि प्रज्वल प्रज्वल
ऊँ भीम भीषणे भिन्द ,
ऊँ महाकाये छिन्द
ऊँ करालिनि किटि किटि महाभूतमात: सर्वद्रुष्टनिवारिणी जये,
ऊँ विजये
ऊँ त्रैलोक्यविजये ह्रूँ फट् स्वाहा !! {मात्र 1बार पढे }
!! श्री नृ्सिंह महामन्त्रराज !!
ऊँ नमो भगवते महावलपराक्रमाय नृ्सिंहाय,भूतप्रेत,पिशाच,शाकिनी-डाकिनी,याक्षिणी,पूतना,मारी-महामारी,यक्ष-राक्षस,भैरव-वेताल,ग्रह-राक्षसादिकं,क्षणेन हन-हन,भंजय-भंजय,मारय-मारय,क्षय-शिक्षय महाविष्णुवतार हुँ फट् स्वाहा !ऊँ नमो भगवते नृ्सिंहायदाख्या उग्रनृ्सिंह सर्वनदुष्ट मुखस्तम्भनं कुरु-कुरु क्षां क्षीं क्षौं फट् स्वाह !!
ऊँ नमो भगवते विष्णुवतार सर्व जन नन्दाय जोगी सन्यासी प्रकाशकाय हिराण्क्ष हिरण्याकश्यप साधकाय प्रल्हाद भक्ताय वशाय गम्भिर शब्दोदाय नरसिंह मुखाय,वज्रनखाय पीत्तवर्णाय क्षां क्षीं क्षौं सर्वदुष्ट निवारण फट् स्वाह !!
ऊँ नमो भगवते नृ्सिंहाय सर्वग्रहान भूताभविष्यद्वर्तमानान्दूरस्थान समीपस्थान सर्वकालदुष्ट दुर्बुद्धिनच्टायोचाटय परवलानि क्षोभय-क्षोभय मम् सर्व कार्य साधय नृ्सिंहाय
ऊँ क्षां क्षीं क्षौं फट् स्वाहा !
ऊँ शिवं ऊँ सिद्धि ऊँ फ़ट स्वाहा !!
ऊँ नमो भगवते नृ्सिंहाय परकृ्त यंत्र परSहंकार भूत प्रेत पिशाच पर दृ्ष्टि सर्वविघ्न दुर्जन चेटक विद्या सर्व ग्रहानिवाराय,वध-वध,पच-पच,इल-इल,चिलु-चिलु,किल-किल,सर्वकुयन्त्राणि दृ्ष्टवाचं फट् स्वाहा !!
ऊँ नमो भगवते नृ्सिंहाय पाहि-पाहि,एहि-एहि,सर्वग्रह भूतानां शाकिनी-डाकिनी,नाम विषम दुष्टानाम सर्वविषयानकर्षयाकर्षय मर्द-मर्दय,भेदय-भेदय,मृ्त्युत्पाटयोत्पाटय: शोषय-शोषय,ज्वल-ज्वल, प्रज्वल-प्रज्वल,भूत मंडल प्रेतमंडलम्,निरासय-निरासय,भूत ज्वर प्रेतज्वर,चातुर्थिकज्वर,
विषमज्वर,माहेश्वरज्वर छिन्द्धी-छिन्द्धि,भिन्धि-भिन्दि,अक्षशूल-वक्षशूल,शिरोशूल,गुल्मशूल,पितशूल ब्रह्मराक्षस कुल,परकूल नागकुल,विषम् नाशये-नाशय,निर्विषम् कुरु-कुर फ़ट् स्वाहा!
ऊँ नमो नृ्सिंहाय नरसिंह मुखाय हन-हनानय,दृ्ष्टाय पापदृ्ष्टिं षढदृ्ष्ट्रिं हन-हन ,नृ्सिंहाय ग्याय स्फुर-स्फुर फ़ट् स्वाहा !{7 बार जाप करे }
विसर्जन मंत्र –
ॐ उत्तमे शिखरे देवी भूम्यां पर्वतमूर्धनि।
ब्रह्मणेभ्योऽभ्यनुज्ञाता गच्छ देवि सर्व गणासहित यथासुखम॥
अब नीचे लिखा वाक्य पढ़कर संध्योपासन कर्म परमेश्वर को समर्पित करे।
अनेन संध्योपासनाख्येन कर्मणा श्रीपरमेश्वरः प्रीयतां न मम। ॐ तत्सत् श्रीब्रह्मार्पणमस्तु।
अब भगवान् का स्मरण करे।
यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या तपोयज्ञक्रियादिषु।
न्यूनं सम्पूर्णतां याति सद्यो वन्दे तमच्युतम्॥
ॐ श्रीविष्णवे नमः॥ ॐ श्रीविष्णवे नमः॥ ॐ श्रीविष्णवे नमः॥
॥ श्रीविष्णुस्मरणात् परिपूर्णतास्तु॥
॥इति॥
आप सभि मित्रो से निवेदन है कि इस विष्य पे ईस पोस्ट पर अपने विचार व्यक्त करे एवं ज्यादा से ज्यादा इस पोस्ट को शेयर करे ताकी समाज मे फैले कुसाहित्य का दमन हो सके एवं सुसाहित्य एवं सच्चे अध्यात्म का प्रचार हो सके!
(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
क्रमश:
🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
Kawley rahulnaath osgy
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(Dharmnirpeksh)
Bhilai,Chattishgarh
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इस लेख में लिखे गए सभी नियम,सूत्र,तथ्य हमारी निजी अनुभूतियो के स्तर पर है।विश्व में कही भी,किसी भी भाषा में ये सभी इस रूप में उपलब्ध नहीं है।अत:इस लेख में वर्णित सभी नियम ,सूत्र एवं व्याख्याए हमारी मौलिक संपत्ति है। किन्ही स्थानों में शास्त्रीय एवं ज्ञान वर्धक साहित्य का उपयोग आवश्यकतानुसार किया गया है।मेरे लेखो को पढने के बाद पाठक उसे माने ,इसके लिए वे बाध्य नहीं है।इसकी किसी भी प्रकार से चोरी,कॉप़ी-पेस्टिंग आदि में शोध का अतिलंघन समझा जाएगा और उस व्यक्ति पे वैधानिक कार्यवाही की जायेगी।
चेतावनी-हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे ।क्योकि हमारा उद्देश्य केवल विषय से परिचित कराना है। किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में अपने योग्य विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श ले। साधको को चेतावनी दी जाती है की वे बिना किसी योग्य व सफ़ल गुरु के निर्देशन के बिना साधनाए ना करे। अन्यथा प्राण हानि भी संभव है। यह केवल सुचना ही नहीं चेतावनी भी है।
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