शनिवार, 23 जुलाई 2016

।।शिव शिवा से हमारा मिलन।।(वैज्ञानिक विश्लेषण )

Jai shri mahakal Osgy
।।शिव शिवा से हमारा मिलन।।(वैज्ञानिक विश्लेषण )
मनुष्य के दिमाग के दो हिस्से होते है किन्तु ये एक दुसरे से जुड़े हुए।
जिस तरफ के दिमाग का प्रभुत्व ज्यादा हो उसी के आधार पर मनुष्य का चरित्र तय होता है।
दाया दिमाग कला,साहित्य के लिए होता है।यह मस्तिष्क पुरुष है इसे शिव कहते है! इस दिमाग के प्रभुत्व वाले आदमी को समाज का ज्यादा भय नहीं होता।वह बेखोफ होता है ।जैसे भगवन शिव ।वे प्रेतों के साथ रहते है और मानव समाज के अनुसार नहीं रहते और
ना ही दुसरे देवताओ की तरह सज धज के।
अब बाया दिमाग ठीक इसके विपरीत होता है गणित या विज्ञानं के लिए होता है।यह स्त्री स्वभाव है ! इसे श्रृंगार से प्रेम होता है यह पार्वती है !
इस दिमाग के प्रभुत्व वाले मनुष्य समाज  के अनुसार जीते है।
यदि आप उन्हें कुछ बताये तो वे पहले सोच विचार के ही उसे मानेंगे।
अब यह आप पर निर्भर करता है कि
आप क्या बनना चाहते है शिव या शिवा?
यदि आप शिव बनना चाहते है तो शिव साधना करनि होगी एवं आप शिवा बनना चाहते है तो आपको शिवा कि साधना करनि होगी किन्तु साधना कि कैसे जाये ?
जब आप बाएं नाक (छिद्र)से श्वास लेते है तब आप शिव हो जाते है एवम् जब आप दाये नाक(छिद्र) से श्वास लेते है तब आप शिवा बन जाते है।
और जब कुछ क्षणों के लिए दोनों नाक (छिद्रो)से श्वास लेते है तब आप अर्धनारीश्वर बन जाते है।।।यही गुरुपद भी है और शिव सूत्र भी।
इस रहस्य को समझने वाला,कही नहीं भटकता और ना ही कुछ बाहर ढूंढता है।इसमें लगातार अपने आपको एक नाक छिद्र पे लगातार बनाये रखना ही साधना है।।।इसमें विशेष ये है की शिव भगत को हमेशा बाई करवट पे सोना चाहिए ,क्योकि आप जिस करवट पे सोते है ठीक उसके विपरीत नाक के छिद्र से वायु का प्रवाह होने लगता है।
12मार्च 2014
21:12
।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
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