शनिवार, 23 जुलाई 2016

"आँत से आत्मा तक "

"आँत से आत्मा तक "
।।चमत्कारी मंत्रपाठ सिद्धि अनुष्ठान विधि ।।
"कामना और कर्म के एक साथ मिलने से,हर स्वप्न पुरे हो जाते है।"
मंत्र को सिद्ध करने के लिए मंगलवार एवम् रविवार दिन उत्तम होता है किन्तु शुभ दिन के साथ-साथ सही मुहूर्त होने से मंत्र सिद्धि सर्वोत्तम होती है सर्वोत्तम मुहूर्त दीपावली,होली,दशहरा,चारो नवरात्री,सावन माह,अमावस्या एवम् पूर्णिमा।
मंत्र सिद्धि की संख्या शास्त्रो में बताई संख्या को 21,31,51 दिन में जपना होता है कुछ मंत्रो की सिद्धि की साधनाए वर्षो तक चलती रहती है।हठयोग के अनुसार तो जब तक इच्छा पूरी ना हो जाए तब तक मंत्र पाठ नित्य करना होता है।
जितनी भी संख्या में आप नित्य जाप करे उसका दशांस हवन जापकर्म के तुरंत बाद में रोज करना चाहिए।21 दिन जाप किया है तो 21 दिन लगातार हवन करना चाहिए।हवन नित्य नहीं करने की अवस्था में हवन किसी अन्य ब्राह्मण,साधू-संत,माहात्मा से नित्य करवा लेना चाहिए किन्तु जाप स्वयं करने चाहिए है।मंत्र सिद्धि अनुष्ठान के नित्य कर्म में बाधा नहीं आनी चाहिए।नित्य एक निश्चित की गई संख्या में रोज उसका दशांस जाप बड़ा देना चाहिए।यदि आप रोज 1000 मंत्रपाठ की संख्या सोचते है तो प्रथम दिवस 1000 मंत्रपाठ करेगे दूसरे दिन 100 मंत्र बढ़ाकर 1100,तीसरे दिन 110 बढ़ाकर 1210 ,इस क्रम से मंत्र पाठ करतेरहना चाहिए।किन्तु दीर्घकालीन साधनाओ में मंत्रपाठ की संख्या रोज एक समान होनी चाहिए।मंत्रपाठ अनुष्ठान की सम्पूर्ण होने पर,जितने दिनों का अनुष्ठान किया है उतनी संख्या के बराबर लोगो को भोजन खिलाना है।21 दिन के अनुष्ठान करने पर 21 लोगो को भोजन खिलाना होगा।ये 21 लोग कोई भी हो सकते है गुरु,माता-पिता,भाई-बहन,पत्नी,सगे-संबंधी,मित्र-शत्रु,साधू-संत,महात्मा,ब्राह्मण-क्षत्रिय-शुद्र-वैश्य,प्रतिष्ठित-अप्रतिष्ठित इत्यादि सामाजिक व्यक्ति।इन 21 लोगो का भोजन आप चाहे जहाँ वहाँ अपनी इच्छानुसार कर सकते है।घर में मंदिर में ,होटल में या फिर स्मशान के बाहर आपकी इच्छानुसार है ।, मात्र एक नियम है की आमंत्रित लोगो को उनकी इच्छानुसार भोजन खिलाना होगा,फिर वो भोजन सात्विक हो या तामसिक।
आत्मा तक पहुचने का मार्ग मन से होकर जाता है और मन तक पहुचने का मार्ग "आँत"(पेट)से |"आँत से आत्मा तक " तक"|मैंने बहुत से लोगो को "आँत्मा" शब्द का उच्चारण करते सूना है।अब सत्य आँत्मा है या आत्मा,इसका मुझे ज्ञान नहीं है।
इन 21लोगो को आप अलग-अलग भोज भी खिला सकते है ।जैसे आपको आसानी हो और आनंद प्राप्त हो।
आनँद से ही आशीर्वाद,दुआ,आशीष नाम की शक्ति का जन्म होता हैं।इस शक्ति से ही "मंत्रपाठ"द्वारा कामना की सिद्धि प्राप्त होती है।मंत्र आपकी कामना होती है एवम् भोजन आपका कर्म।कामना और कर्म के एक साथ मिलने से,हर स्वप्न पुरे हो जाते है।

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
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