शुक्रवार, 22 जुलाई 2016

।। इष्ट-चयन ।।

"ॐ गुरूजी शिवगोरख आदेश "
मैं किस मंत्र का जाप करू?मैं किसका ध्यान करू?
कौन है मेरे इष्ट? इस प्रकार के बहुत से प्रश्न भक्तों के मन में पैदा होते रहते है।इस का समाधान क्या होगा?
आपको किसी नए मंत्र या देवता में मन नहीं लगाना है और ना ही उनका जाप करना है।आपने अपने पूर्व जीवन में जिस मंत्र का जाप किया हो या जिस देवता की आराधना की हो,उनकी प्राप्ति आपको समयानुसार स्वयं प्राप्त हो जायेगी।अतः आप किसी मंत्र को या देवता को धारण न करे।
आपका मंत्र साधना की ओर झुकाव होना इस तरफ निर्देश करता है की आप पूर्व जन्म में भी साधना के मार्ग में प्रशस्त थे।
जिस साधक की साधना उसके वर्त्तमान जीवन में पूर्ण नहीं हो पाती है।अगले जन्म में ,उसकी साधना वही से प्रारम्भ होती है,जहाँ उसने ख़त्म की थी।।।
और जिनका साधना भक्ति में मन नहीं लगता
इसका आशय मात्र यह है की वो किसी भी जन्म में भक्त नहीं था ,उसके जीवन में वो प्रारंभिक बिंदु ही नहीं होता ।।जहाँ से साधना प्रारम्भ होती है।

।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
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