मंगलवार, 30 अगस्त 2016

शाबर जागरण मन्त


|| शाबर जागरण मन्त्र ||

सत नमो आदेश !

गुरूजी को आदेश !
ॐ गुरूजी !
ड़ार शाबर बर्भर जागे ,
जागे अढैया और बराट
मेरा जगाया न जागे
तो तेरा नरक कुंड में वास !
दुहाई शाबरी माई की !
दुहाई शाबरनाथ की !
आदेश गुरु गोरख को !

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||मेरी भक्ति गुरु की शक्ति,फुरो मंत्र ईश्वरो वाँचा||

।।राहुलनाथ ।।
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चेतावनी-हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे ।हमारा उद्देश्य केवल विषय से परिचित कराना है। किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में विशेषज्ञ से परामर्श ले। साधको को चेतावनी दी जाती है की वे बिना गुरु निर्देशन के साधनाए ना करे। अन्यथा प्राण हानि भी संभव है। यह केवल सुचना ही नहीं चेतावनी भी है।बिना लेखक की लिखितअनुमति के लेख के किसी भी अंश का कॉपी-पेस्ट ,या कही भी प्रकाषित करना वर्जित है।न्यायलय क्षेत्र दुर्ग छत्तीसगढ़
(©कॉपी राइट एक्ट 1957)

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||जयश्री महाकाल ।।

साबर काली पञ्च बाण

साबर काली पञ्च बाण

।।प्रथम वाण।।

ॐ नमः काली कंकाली महाकाली
मुख सुन्दर जिए ब्याली
चार वीर भैरों चौरासी
बीततो पुजू पान ऐ मिठाई
अब बोलो काली की दुहाई !

।।द्वितीय वाण।।

ॐ काली कंकाली महाकाली
मुख सुन्दर जिए ज्वाला वीर वीर
भैरू चौरासी बता तो पुजू
पान मिठाई !

।।तृतीय वाण।।

ॐ काली कंकाली महाकाली
सकल सुंदरी जीहा बहालो
चार वीर भैरव चौरासी
तदा तो पुजू पान मिठाई
अब बोलो काली की दुहाई !

।।चतुर्थ वाण।।

ॐ काली कंकाली महाकाली
सर्व सुंदरी जिए बहाली
चार वीर भैरू चौरासी
तण तो पुजू पान मिठाई
अब राज बोलो
काली की दुहाई !

।।पंचम वाण।।

ॐ नमः काली कंकाली महाकाली
मख सुन्दर जिए काली
चार वीर भैरू चौरासी
तब राज तो पुजू पान मिठाई
अब बोलो काली की दोहाई !

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||जयश्री महाकाल ।।

नवनाथ-स्तुति

 

 नवनाथ-स्तुति

“आदि-नाथ कैलाश-निवासी, उदय-नाथ काटै जम-फाँसी। सत्य-नाथ सारनी सन्त भाखै, सन्तोष-नाथ सदा सन्तन की राखै। कन्थडी-नाथ सदा सुख-दाई, अञ्चति अचम्भे-नाथ सहाई। ज्ञान-पारखी सिद्ध चौरङ्गी, मत्स्येन्द्र-नाथ दादा बहुरङ्गी। गोरख-नाथ सकल घट-व्यापी, काटै कलि-मल, तारै भव-पीरा। नव-नाथों के नाम सुमिरिए, तनिक भस्मी ले मस्तक धरिए। रोग-शोक-दारिद नशावै, निर्मल देह परम सुख पावै। भूत-प्रेत-भय-भञ्जना, नव-नाथों का नाम। सेवक सुमरे चन्द्र-नाथ, पूर्ण होंय सब काम।।”

 

 नवनाथ-स्तुति

आदि-नाथ ओ स्वरुप, उदय-नाथ उमा-महि-रुप। जल-रुपी ब्रह्मा सत-नाथ, रवि-रुप विष्णु सन्तोष-नाथ। हस्ती-रुप गनेश भतीजै, ताकु कन्थड-नाथ कही जै। माया-रुपी मछिन्दर-नाथ, चन्द-रुप चौरङ्गी-नाथ। शेष-रुप अचम्भे-नाथ, वायु-रुपी गुरु गोरख-नाथ। घट-घट-व्यापक घट का राव, अमी महा-रस स्त्रवती खाव। ॐ नमो नव-नाथ-गण, चौरासी गोमेश। आदि-नाथ आदि-पुरुष, शिव गोरख आदेश। ॐ श्री नव-नाथाय नमः।।”

 

नवनाथ-स्तुति

“ॐ नमो आदेश गुरु की। ॐकारे आदि-नाथ, उदय-नाथ पार्वती। सत्य-नाथ ब्रह्मा। सन्तोष-नाथ विष्णुः, अचल अचम्भे-नाथ। गज-बेली गज-कन्थडि-नाथ, ज्ञान-पारखी चौरङ्गी-नाथ। माया-रुपी मच्छेन्द्र-नाथ, जति-गुरु है गोरख-नाथ। घट-घट पिण्डे व्यापी, नाथ सदा रहें सहाई। नवनाथ चौरासी सिद्धों की दुहाई। ॐ नमो आदेश गुरु की।।”

 

 

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रविवार, 28 अगस्त 2016

साबर भूत-प्रेत बांधने का मन्त्र

साबर भूत-प्रेत बांधने का मन्त्र

भूत-प्रेत बांधने का मन्त्र

ऐठक बाँधौ बैठक बाँधौ आठ हाथ के भुइयाँ बाँधौ,

बाँधौ सकल शरीर,

भूत आवे भूत बाँधौ प्रेत आवे प्रेत बाँधौ,

मरी मसान चटिया बाँधौ,

मटिया आवे मटिया बाँधौ,

बाँध देहे फाँद देहे,

लोहे की डोरी शब्द का बन्धन,

काकर बाँधे गुरु के बाँधे

गुरु कोन महादेव-पार्वती के बाँधे जा रे भूत बंधाजा।।

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साबर शरीर बांधने का मंत्

साबर शरीर बांधने का मंत्र

शरीर बांधने का मंत्र
ॐ वज्र का सीकड़ !

वज्र का किवाड़ ! वज्र बंधे दसो द्वार !

वज्र का सीकड़ से पी बोल !

गहे दोष हाथ न लगे !

आगे वज्र किवाड़ भैरो बाबा !

पसारी चौसठ योगिनी रक्षा कारी !

सब दिशा रक्षक भूतनाथ !

दुहाई इश्वर , महादेव, गौरा पारवती की !

दुहाई माता काली की ||

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नवग्रह दोष दूर करने के अचूक उपाय

नवग्रह दोष दूर करने के अचूक उपाय

Posted on August 28, 2016 by Rahulnath Osgy

नवग्रह के दोष दूर करने के अचूक उपाय

1. सूर्य दोष के लक्षण:
असाध्य रोगों के कारण परेशानी सिरदर्द, बुखार, नेत्र संबंधी कष्ट सरकार के कर विभाग से परेशानी, नौकरी में बाधा

उपाय:
भगवान विष्णु की आराधना करें
ऊं नमो भगवते नारायणाय मंत्र का 1 माला लाल चंदन की माला से जाप करें
गुड़ खाकर पानी पीकर कार्य आरंभ करें
बहते जल में 250 ग्राम गुड़ प्रवाहित करें
सवा पांच रत्ती का माणिक तांबे की अंगूठी में बनवायें
रविवार को सूर्योंदय के समय दाएं हाथ की मध्यमा अंगूली में धारण करें
मकान के दक्षिण दिशा के कमरे में अंधेरा रखें
पशु-पक्षियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करें
घर में मां, दादी का आशीर्वाद जरूर लें

2. चंद्रमा दोष के लक्षण:
जुखाम, पेट की बीमारियों से परेशानी
घर में असमय पशुओं की मत्यु की आशंका
अकारण शत्रुओं का बढ़ना, धन का हानि

उपाय:
भगवान शिव की आराधना करें
ऊं नम शिवाय मंत्र का रूद्राक्ष की माला से 11 माला जाप करें
बड़े बुजुर्गों, ब्रह्मणों, गुरूओं का आशीर्वाद लें
सोमवार को सफेद कपड़े में मिश्री बांधकर जल में प्रवाहित करें
चांदी की अंगूठी में चार रत्ती का मोती सोमवार को जाएं हाथ अनामिका में धारण करें
शीशे की गिलास में दूध, पानी पीने से परेहज करें
28 वर्ष के बाद विवाह का निर्णय लें
लाल रंग का रूमाल हमेशा जेब में रखें
माता-पिता की सेवा से विशेष लाभ

3. मंगल दोष के लक्षण:
घर में चोरी होने का डर
घर-परिवार में लड़ाई-झगड़े की आशंका
भाई के साथ संबंधों में अनबन
दांपत्य जीवन में तनाव, अकाल मृत्यु की आशंका

उपाय:
भगवान हनुमान की आराधना करें
ऊं हं हनुमते रूद्रात्मकाय हुं फट कपिभ्यो नम: का 1 माला जाप करें
हनुमान चालीसा या बजरंगबाण का रोज पाठ करें
त्रिधातु की अंगुठी बाएं हाथ की अनामिका अंगूली में धारण करें
400 ग्राम चावल दूध से धोकर 14 दिन तक पिवत्र जल में प्रवाहित करें
घर में नीम का पौधा लगायें
बहन, बेटी, मौसी, बुआ, साली को मीठा खिलायें
बहन, बुआ को कपड़े भेंट न दें
तंदूर की बनी रोटी कुत्तों को खिलायें

4. बुध दोष के लक्षण:
स्वभाव में चिड़चिड़ापन
जुए-सट्टे के कारण धन की बड़ी हानि
दांत से जुड़े रोगों के कारण परेशानी
सिर दर्द के कारण अधिक तनाव की स्थिति

उपाय:
मां दुर्गा की आराधना करें
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का 5 माला जाप करें
देवी के सामने अखंड घी का दीया जलायें
घर की पूर्व दिशा में लाल झंडा लगायें
सोने के आभूषण धारण करें, हरे रंग से परहेज करें
खाली बर्तनों को ढ़ककर न रखें
चौड़े पत्ते वाले पौधे घर में लगायें, मुख्य द्वार पंचपल्लव का तोरण लगायें
100 ग्रíम चावल, चने की दाल बहते जल में प्रवाहित करें

5. गुरू दोष के लक्षण:
सोने की हानि, चोरी की आशंका
उच्च शिक्षा की राह में बाधाएं
झूठे आरोप के कारण मान-सम्मान में कमी
पिता को हानि होने की आशंका

उपाय:
परमपिता ब्रह्मा की आराधना करें
बहते पानी में बादाम, तेल, नारियल प्रवाहित करें
माथे पर केसर का तिलक लगायें
सोने की अंगूठी में सवा पांच रत्ती का पुखराज गुरूवार को दाएं हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण करें
पूजा स्थल की नियमित रूप से सफाई करें
पीपल के पेड़ पर 7 बार पीला धागा लेपटकर जल दें
600 ग्राम पीले चने मंदिर में दान दें
जुए-सट्टे की लत न पालें, मांसाहार-मद्यपान से परहेज करें
कारोबार में भाई का साथ लाभकारी संबंध मधुर बनायें रखें

6. शुक्र दोष के लक्षण:
बिना किसी बीमारी के अंगूठे, त्वचा संबंधी रोगों से परेशानी
राजनीति के क्षेत्र में हानि, प्रेम व दापंत्य संबंधों में अलगाव
जीवनसाथी के स्वास्थ्य को लेकर तनाव

उपाय:
मां लक्ष्मी की आराधना करें
ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसिद प्रसिद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम
रोज रात में मंत्र का 1 माला जाप करें
मां लक्ष्मी को कमल के पुष्पों की माला चढ़ायें
मंदिर में आरती पूजा के लिए गाय का घी दान करें
2 किलो आलू में हल्दी या केसर लगाकर गाय को खिलायें
चांदी या मिटटी के बर्तन में शहद भरकर घर की छत पर दबा दें
आडू की गुटली में सूरमा भरकर घास वाले स्थान पर दबा दें
शुक्रवार के दिन मंदिर में कांसे के बर्तन का दान करें
लाल रंग के गाय की सेवा करें, 800 ग्राम जिमीकंद मंदिर में दान करें

7. शनि दोष के लक्षण:
पैतृक संपत्ति की हानि, हमेशा बीमारी से परेशानी
मुकदमे के कारण परेशानी
बनते हुए काम का बिगड़ जाना

उपाय:
भगवान भैरव की आराधना करें
ऊं प्रां प्रीं प्रौं शं शनिश्चराय नम मंत्र का 1 माला जाप करें
शनिदेव का 1 किलो सरसों के तेल से अभिषेक करें
सिर पर काला तेल लगाने से परहेज करें
43 दिन तक लगातार शनि मंदिर में जाकर नीले पुष्प चढ़ायें
कौवे या सांप को दूध, चावल खिलायें
किसी बर्तन में तेल भरकर अपना चेहरा देखें, बर्तन को जमीन में दबा दें
शनिवार 800 ग्राम दूध, उड़द जल में प्रवाहित करें
जल में दूध मिलाकर लकड़ी या पत्थर पर बैठकर स्नान करें
घर की छत पर साफ-सफाई का ध्यान रखें
12 नेत्रहीन लोगों को भोजन करायें

8. राहु दोष के लक्षण:
मोटापेके कारण परेशानी
अचानक दुर्घटना, लड़ाई-झगड़े की आशंका
हर तरह के व्यापार में घाटा

उपाय:
मां सरस्वती की आराधना करें
ऊं ऐं सरस्वत्यै नम मंत्र का 1 माला जाप करें
तांबेके बर्तन में गुड़, गेहूं भरकर बहते जल में प्रवाहित करें
माता से संबंध मधुर रखें
400 ग्राम धनिया, बादाम जल में प्रवाहित करें
घर की दहलीज के नीचे चांदी का पत्ता लगायें
सीढ़ियों के नीचे रसोईघर का निर्माण न करवायें
रात में पत्नी के सिर के नीचे 5 मूली रखें, सुबह मंदिर में दान कर दें
मां सरस्वती के चरणों में लगातार 6 दिन तक नीले पुष्प की माला चढ़ायें
चांदी की गोली हमेशा जेब में रखें
लहसुन, प्याज, मसूर के सेवन से परहेज करें

9. केतु दोष के लक्षण:
बुरी संगत के कारण धन का हानि
जोड़ों के दर्द से परेशानी
संतान का भाग्योदय न होना, स्वास्थ्य के कारण तनाव

उपाय:
भगवान गणेश की आराधना करें
ऊं गं गणपतये नम मंत्र का 1 माला जाप करें
गणेश अथर्व शीर्ष का पाठ करें
कुंवारी कन्याओं का पूजन करें, पत्नी का अपमान न करें
घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ तांबे की कील लगायें
पीले कपड़े में सोना, गेहूं बांधकर कुल पुरोहित को दान करें
दूध, चावल, मसूर की दाल का दान करें
बाएं हाथ की अंगुली में सोना पहनने से लाभ
43 दिन तक मंदिर में लगातार केला दान करें
काले व सफेद तिल बहते जल में प्रवाहित करें. …..

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||जयश्री महाकाल ।।

काली-शाबर-मन्त्र

काली-शाबर-मन्त्र

“काली काली महा-काली, इन्द्र की बेटी, ब्रह्मा की साली।

पीती भर भर रक्त प्याली, उड़ बैठी पीपल की डाली।

दोनों हाथ बजाए ताली। जहाँ जाए वज्र की ताली, वहाँ ना आए दुश्मन हाली।

दुहाई कामरो कामाख्या नैना योगिनी की,

ईश्वर महादेव गोरा पार्वती की, दुहाई वीर मसान की।।”

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||जयश्री महाकाल ।।

कार्य-सिद्धि हेतु गणेश शाबर मन्त्र

कार्य-सिद्धि हेतु गणेश शाबर मन्त्र
“ॐ गनपत वीर, भूखे मसान, जो फल माँगूँ, सो फल आन। गनपत देखे, गनपत के छत्र से बादशाह डरे।

राजा के मुख से प्रजा डरे, हाथा चढ़े सिन्दूर।

औलिया गौरी का पूत गनेश, गुग्गुल की धरुँ ढेरी,

रिद्धि-सिद्धि गनपत धनेरी। जय गिरनार-पति।

ॐ नमो स्वाहा।”

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बुधवार, 24 अगस्त 2016

तांत्रिक दोष नाशक मन्त्रं

खड्गरावण महातन्त्र

ॐ नमो भगवते पशुपतये ॐ नमो भूताधिपतये ॐ नमो खड्गरावण लं लं विहर विहर सर सर नृत्य नृत्य व्यसनं भस्मार्चित शरीराय घण्टा कपाल- मालाधराय व्याघ्रचर्मपरिधानाय शशांककृतशेखराय कृष्णसर्प यज्ञोपवीतिने चल चल बल बल अतिवर्तिकपालिने जहि जहि भुतान् नाशय नाशय मण्डलाय फट् फट् रुद्राद्कुशें शमय शमय प्रवेशय प्रवेशय आवेणय आवेणय रक्षांसि धराधिपति रुद्रो ज्ञापयति स्वाहा 

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चेतावनी-हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे ।हमारा उद्देश्य केवल विषय से परिचित कराना है। किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में विशेषज्ञ से परामर्श ले। साधको को चेतावनी दी जाती है की वे बिना गुरु निर्देशन के साधनाए ना करे। अन्यथा प्राण हानि भी संभव है। यह केवल सुचना ही नहीं चेतावनी भी है।बिना लेखक की लिखितअनुमति के लेख के किसी भी अंश का कॉपी-पेस्ट ,या कही भी प्रकाषित करना वर्जित है।न्यायलय क्षेत्र दुर्ग छत्तीसगढ़
(©कॉपी राइट एक्ट 1957)

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||जयश्री महाकाल ।।

मातंगी यन्त्र एवं कवच का प्रभाव और उपयोग


मातंगी यन्त्र का प्रभाव और उपयोग
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१. यन्त्र धारण करने से वशीकरण की शक्ति बढती है |व्यक्तित्व का प्रभाव बढ़ता है |
२. अधिकारी वर्ग को अपने कर्मचारियों पर नियंत्रण और उन्हें वशीभूत रखने में आसानी होती है |
३.कर्मचारी को अपने अधिकारियों को अनुकूल रखने में मदद मिलती है |
४.पति को पत्नी की और पत्नी को पति की अनुकूलता अपने आप प्राप्त होती है और धारण करने वाले का पति या पत्नी वशीभूत होता है |
५.सेल्स ,मार्केटिंग ,पब्लिक रिलेसन का कार्य करने वालों को लोगों का अपेक्षित सहयोग मिलता है |
६.व्यवसायी को ग्राहकों की अनुकूलता मिलती है और अपरोक्त उन्नति में सहायत मिलती है |
७.रुष्ट परिवार वालों को इससे अनुकूल करने में मदद मिलती है |
८.वाद-विवाद ,मुकदमे ,बहस ,समूह वार्तालाप ,आपसी बातचीत में सामने वाले की अनुकूलता प्राप्त होती है |
९. चूंकि यह महाविद्या यन्त्र है और काली की शक्ति से संयुक्त है अतः नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है |
१०. किसी पर पहले से कोई वशीकरण की क्रिया है तो यन्त्र भरे हुए चांदी कवच को सुबह शाम कुछ दिन एक गिलास जल में डुबोकर वह जल व्यक्ति को पिलाने से वशीकरण का प्रभाव उतरता है |
११.किसी भी तरह के इंटरव्यू में परीक्षक पर सकारात्मक प्रभाव देता है |
१२. व्यक्ति विशेष के लिए बनाया गया यन्त्र धारण और मंत्र जप निश्चित रूप से सम्बंधित व्यक्ति को वशीभूत करता है |
१३.दाम्पत्य कलह ,पारिवारिक कलह ,मनमुटाव ,विरोध में लोगों को प्रभावित करता है और व्यक्ति के अनुकूल करता है |
१४.सामाजिक संपर्क रखने वालों को लोगों की अनुकूलता प्राप्त होती है |
१५.ज्ञान-विज्ञानं-अन्वेषण-परीक्षा-प्रतियोगिता ,प्रवचन ,भाषण से समबन्धित लोगों को सफल होने में मदद करता है |

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पोस्ट की सिद्धि-साधना एवं पूजा विधि जानने के लिए हमसे संपर्क करे
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||मेरी भक्ति गुरु की शक्ति,फुरो मंत्र ईश्वरो वाँचा||

।।राहुलनाथ ।।
{साधक,ज्योतिष,वास्तु ,एवं आध्यात्मिक लेखक}

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||जयश्री महाकाल ।।

चौंसठ योगिनी मंत्र

चौंसठ योगिनी मंत्र :-

१. ॐ काली नित्य सिद्धमाता स्वाहा
२. ॐ कपलिनी नागलक्ष्मी स्वाहा
३. ॐ कुला देवी स्वर्णदेहा स्वाहा 
४. ॐ कुरुकुल्ला रसनाथा स्वाहा
५. ॐ विरोधिनी विलासिनी स्वाहा
६. ॐ विप्रचित्ता रक्तप्रिया स्वाहा
७. ॐ उग्र रक्त भोग रूपा स्वाहा
८. ॐ उग्रप्रभा शुक्रनाथा स्वाहा
९. ॐ दीपा मुक्तिः रक्ता देहा स्वाहा
१०. ॐ नीला भुक्ति रक्त स्पर्शा स्वाहा
११. ॐ घना महा जगदम्बा स्वाहा
१२. ॐ बलाका काम सेविता स्वाहा
१३. ॐ मातृ देवी आत्मविद्या स्वाहा
१४. ॐ मुद्रा पूर्णा रजतकृपा स्वाहा
१५. ॐ मिता तंत्र कौला दीक्षा स्वाहा
१६. ॐ महाकाली सिद्धेश्वरी स्वाहा
१७. ॐ कामेश्वरी सर्वशक्ति स्वाहा
१८. ॐ भगमालिनी तारिणी स्वाहा
१९. ॐ नित्यकलींना तंत्रार्पिता स्वाहा
२०. ॐ भेरुण्ड तत्त्व उत्तमा स्वाहा
२१. ॐ वह्निवासिनी शासिनि स्वाहा
२२. ॐ महवज्रेश्वरी रक्त देवी स्वाहा
२३. ॐ शिवदूती आदि शक्ति स्वाहा
२४. ॐ त्वरिता ऊर्ध्वरेतादा स्वाहा
२५. ॐ कुलसुंदरी कामिनी स्वाहा
२६. ॐ नीलपताका सिद्धिदा स्वाहा
२७. ॐ नित्य जनन स्वरूपिणी स्वाहा
२८. ॐ विजया देवी वसुदा स्वाहा
२९. ॐ सर्वमङ्गला तन्त्रदा स्वाहा
३०. ॐ ज्वालामालिनी नागिनी स्वाहा
३१. ॐ चित्रा देवी रक्तपुजा स्वाहा
३२. ॐ ललिता कन्या शुक्रदा स्वाहा
३३. ॐ डाकिनी मदसालिनी स्वाहा
३४. ॐ राकिनी पापराशिनी स्वाहा
३५. ॐ लाकिनी सर्वतन्त्रेसी स्वाहा
३६. ॐ काकिनी नागनार्तिकी स्वाहा
३७. ॐ शाकिनी मित्ररूपिणी स्वाहा
३८. ॐ हाकिनी मनोहारिणी स्वाहा
३९. ॐ तारा योग रक्ता पूर्णा स्वाहा
४०. ॐ षोडशी लतिका देवी स्वाहा
४१. ॐ भुवनेश्वरी मंत्रिणी स्वाहा
४२. ॐ छिन्नमस्ता योनिवेगा स्वाहा
४३. ॐ भैरवी सत्य सुकरिणी स्वाहा
४४. ॐ धूमावती कुण्डलिनी स्वाहा
४५. ॐ बगलामुखी गुरु मूर्ति स्वाहा
४६. ॐ मातंगी कांटा युवती स्वाहा
४७. ॐ कमला शुक्ल संस्थिता स्वाहा
४८. ॐ प्रकृति ब्रह्मेन्द्री देवी स्वाहा
४९. ॐ गायत्री नित्यचित्रिणी स्वाहा
५०. ॐ मोहिनी माता योगिनी स्वाहा
५१. ॐ सरस्वती स्वर्गदेवी स्वाहा
५२. ॐ अन्नपूर्णी शिवसंगी स्वाहा
५३. ॐ नारसिंही वामदेवी स्वाहा
५४. ॐ गंगा योनि स्वरूपिणी स्वाहा
५५. ॐ अपराजिता समाप्तिदा स्वाहा
५६. ॐ चामुंडा परि अंगनाथा स्वाहा
५७. ॐ वाराही सत्येकाकिनी स्वाहा
५८. ॐ कौमारी क्रिया शक्तिनि स्वाहा
५९. ॐ इन्द्राणी मुक्ति नियन्त्रिणी स्वाहा
६०. ॐ ब्रह्माणी आनन्दा मूर्ती स्वाहा
६१. ॐ वैष्णवी सत्य रूपिणी स्वाहा
६२. ॐ माहेश्वरी पराशक्ति स्वाहा
६३. ॐ लक्ष्मी मनोरमायोनि स्वाहा
६४. ॐ दुर्गा सच्चिदानंद स्वाहा

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{साधक,ज्योतिष,वास्तु ,एवं आध्यात्मिक लेखक}

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