रविवार, 9 अप्रैल 2017

माँ कुण्डलिनी प्रार्थना

माँ कुण्डलिनी प्रार्थना।।
ब्रह्मांडीय सिद्धांत के अनुसार -विश्राम करती हुई शक्ति अथवा कुण्डलिनी अवश्य प्राप्त होगी।यही विज्ञान का सत्य देवी माँ काली के चित्र में बताया गया है-यहाँ सदाशिव जो की शुद्ध चित्त की स्थिर पृष्ठभूमि है,निष्क्रिय है,उनके वक्ष पर गतिमान शक्ति के रूप में माँ काली चल रही है।गुणमयी माँ सभी कार्य करती है।
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।।।। प्रार्थना ।।।
जागो माँ कुल कुण्डलिनी जागो माँ।
तुम नित्यानंद-स्वरूपिणी।।
तुमि ब्रह्मानन्द-स्वरूपिणी।।
प्रसुप्त भुजगाकारा आधार पद्मवासिनी।।
त्रिकोने जले कृशानू,तापित हईलो तनु।।
मूलाधार त्यज शिवे स्वयंभू-शिव-वेष्ठिनि।।
गच्छ सुषूम्नार पथ,स्वाधिष्टाने हवो उदित,
मणिपुर अनाहत विशुद्धाज्ञा संचारिणी।।
शिरसे सहस्रदले,परम शिवेते मिले।।
क्रीड़ा करो कुतूहले सच्चिदानन्ददायिनी।।
जागो माँ कुल कुण्डलिनी जागो माँ।।

।।।भावार्थ।।
जागो माँ कुल कुण्डलिनी।।
तुम नित्यानद स्वरूपिणी।।
तुम ब्रह्मानदस्वरूपिणी ।।
तुम भुजंगाकार रूप में मूलाधार के कमल पर सोई हुई हो।
मैं शरिर और मन में पीड़ित ,रोगी तथा हताश हूँ।
मुझे तुम आशीर्वाद दो और अपने स्थान मूलाधार को त्याग दो।
शिव पत्नी तथा विश्व की स्वयंभू देवी तुम सुषम्ना के पथ से ऊपर चलो।।
स्वाधिष्ठान,मणिपुर,अनाहत,विशुद्ध तथा आज्ञा चक्र से होते हुए,तुम सिर के शीर्ष में स्थित सहस्त्र दलकमल में अपने भगवान शिव से मिलो।।
हे परमानंददायी माँ तुम वहाँ क्रीड़ा करो।।
जागो माँ कुल कुण्डलिनी जागो।।
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हे देवि माँ कुण्डलिनी,वह दैवी ब्रह्मांडीय ऊर्जा जो पुरुष में गुप्त है।तुम ही काली,दुर्गा,आदि शक्ति,राजराजेश्वरी,त्रिपुरसुंदरी,महालक्ष्मी,महासरस्वती हो।।
तुमने ही सभी नाम और रूपो को धारण किया है।तुम ही इस विश्व में प्राण,विद्युत्,बल,चुम्बकत्व,संयोग,गुरूत्वाकर्षण हो।
ये सम्पूर्ण विश्व तुम्हारी गोद में विश्राम कर रहा है।आपको करोडो प्रणाम।हे जगन्माता मुझे सुषुम्ना नाड़ी को जाग्रत करने तथा उसे षद्चचक्रो से तथा सहस्त्रार चक्र तक ले जाने हेतु तथा स्वयं को आपमे और आपके स्वामी भगवान् शिव में विलीन करने हेतु मेरा पथ प्रदर्शन करे।।
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श्री स्वामी शिवानंद सरस्वती कृत
"कुण्डलिनी योग""द्वारा
Isbn 81-7052-205-6

"तेरा तुझ को अर्पण,क्या लागे मोर"

🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
Kawley rahulnaath osgy
||MAHAAKAALAASHRAM||
Bhilai,Chattishgarh
+919827374074(whatsapp)

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