शनिवार, 15 अप्रैल 2017

यात्रा

संसार में सब कुछ चक्र स्वरूप ही है पहले कामना का चक्र,फिर कामना से प्राप्त गर्भ का चक्र,जन्म से मरण का चक्र,सब कुछ चक्र/गोल ही है।जन्म देने वाला गर्भ गोल,संसार देखने वाली आँखे गोल,मानव की पहचान उसका मुख मंडल गोल ,इन आखो से दिखने वाले चाँद ,तारे ,धरती ,आकाश गोल  इसी कारण ही तो गुरु का सहस्त्रार गोल श्री नाथ जी का धुना गोल...इस चक्र से दूर हो कर जीना मुमकिन नहीं।आप यात्रा जारी रखिये ,लक्ष्य समीप है,जिन खोजे,तिन पाइया...जयश्री महाकाल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें