बुधवार, 2 अगस्त 2017

आओ जोड़े आध्यात्मिक षड्यंत्र की कड़ियाँ

आओ जोड़े आध्यात्मिक षड्यंत्र की कड़ियाँ
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"कही की ईंट कही का रोड़ा ,भानमती ने कुनबा जोड़ा"
आज से सैकड़ो वर्ष पूर्व जब ज्ञान की कमी थी या कह सकते है कि जब विज्ञान ने अपने स्तर पे सफलता नही पाई थी ।उस समय के सीधे साधे लोगो को मूर्ख बना कर बहुत से रसायनिक चमत्कार दिखाकर बहुत से लोगो ने अपने कुनबो और पीठो का निर्माण किया ,कुछ झूठे रासायनिक चमत्कारों को दिखा के लोगो को आकर्षित कर धर्म परिवर्तन भी किया गया और इस कार्य मे अध्यात्म का पूरा सहारा लिया गया,ये उस समय की बात है जब छाप खाने भी नही हुआ करते थे जो भी लिखा जाता था भोज पत्र या इस प्रकार के अन्य पत्रों की सहायता से गुप्त भाषा मे लिखा जाता था जो सामान्य व्यक्ति की समझ मे भी नही आता रहा होगा,इन बातों का बहुत बड़ा गुप्त भाग तो लिखा भी नही जाता था वो तो गुरु शिष्य परंपरा में कानो मे बताया जाता रहा होगा ।ये सब चमत्कार किसी फकीरी के,सिद्धि के साधना के नही होते थे ये सब चमत्कार रसायनिक होते थे जिनको देख सामान्य व्यक्ति प्रभावित हो कर अपना धन घर,भूमि आश्रम,मठ या जो भी तात्कालिक शासन होता था उन्हें प्रदान कर देता था ,आपही सोचिये इस युग मे चमत्कार कोई क्यो नही दिखाता जैसे ,गरम कढ़ाई से पुरिया निकालना,सोना बनाना,निम्बू से खून निकालना इस प्रकार के और चमत्कार।उस समय इन चमत्कारियों से यदि सीधे साधे लोग सवाल करते थे तो उनका उत्तर होता था की ये हमारी मंत्र विद्या का चमत्कार है।और मंत्र पूछा जाए तो कहा जाता रहा होगा जैसे कि आज भी कहते  है कि मंत्र गुप्त है ।और किसी ने मंत्र बता भी दिया तो विधि ऐसी बता दी जाती थी कि उसका बाप क्या आने वाली औलाद भी ना कर सके जैसे कि 9 करोड़ मंत्रो से सिद्ध होगा,गड्ढे में बैठ कर सिद्ध होगा,पानी मे डूब कर सिद्ध होगा,200 दिन उपवास से सिद्ध होगा।
इस सब क्रिया कांड में सबसे ज्यादा उपयोग की गया साबरी मंत्रो का,बस कोई भी मंत्र बनाया,जिसका कोई हाथ पैर नही और प्रारम्भ में लिख दिया गया "ॐ गुरुजी"सतनाम आदेश जैसे सबद और अंत मे टिका दी जिसकी जो मर्जी वो कसम और कसम ना मिले तो फिर तो है ही भगवान महादेव कसम खाने के लिए ,लिख दिया फुरो मंत्र ईश्वर वाचा,शव्द साँचा पिंड कांचा,ईश्वर महादेव गौरा की दुहाई।
जबकि ये साबर मंत्र है ही नही गुरु गोरख जी की सबदि पढिये ,देखिये वहां उन्होंने कौन सी कसम दी है,स्वरूप मंत्र,नवनाथ मंत्र और ऐसे बहुत से सिद्ध मंत्र है जहां कोई कसम दी ही नही गई है।तो ये कसमे आई कहा से ये सोचने का विषय है।
सामान्य मानव का लक्ष्य होता ही है भयो से मुक्ति ,रोगों से मुक्ति और सुखों की प्राप्ति और वो भी आसानी से बस इसी लिए मानव इधर उधर अज्ञानता वश भटकाता रहता है और इसका फायदा उठाके ही मायावी गुरुओ का दरबार सजने लगता है चौक चौराहे में विचित्र विचित्र से धर्मावलंबि ओझाओं,बाबाओ,मठाधीशों,संतो,नवाबो,मुल्लो,पिरो, भगवानो ,फकीरों ,सिद्धहो, जिन्नों शैतानो,की चौकी का धंधा पनपने लगता है।
बेचारा परेशान आदमी क्या नही करता उसे बोलो तो अपनी परेशानी की मुक्ति के लिए 100/500 फिट का गड्ढा भी वो खोद ही देगा और आजकल के यांत्रिक युग मे तो वो इतना बैचेन है जल्दबाज है मानव की वो जे सी बी मशीन लगा के गड्ढा खोद देगा।
उस समय जो भी तत्कालिक शासक रहा उनकी चापलूसी करके कोई कोई सिद्ध,गोसाई,मठाधीश्वर,औलिया,हजरत और नवाब वे बन गए जिनकी वंश परंपरा अब भी चल रही है बाकी रही सही कसर छाप खाना आने के बाद प्रकाशकों ने अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए उल्टी सीधी बाते,मंत्र और साधनाये लिख कर पूरी कर दी।किंतु स्मरण रहे अब विज्ञान का युग है और यदि आप विज्ञान की कसौटी पे खरे नही उतरे तो आप अपने आप को सिद्ध नही कर पाएंगे इसीकारण आज चमत्कार करने वाले पैदा नही होते क्योकि आजका मानव पढ़ालिखा है और तर्क अपनी जेब मे ले कर घूमता है।क्रमशः

   व्यक्तिगत अनुभूति एवं।विचार©₂₀₁₇
।। महाकाल राहुलनाथ।।™
भिलाई,छत्तीसगढ़,भारत
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चेतावनी:-इस लेख में वर्णित सभी नियम ,सूत्र एवं व्याख्याए,एवं तथ्य हमारी निजी अनुभूतियो के स्तर पर है जिसे मानने के लिए आप बाध्य नहीं है।अतः हमारी मौलिक संपत्ति है।विश्व में कही भी,किसी भी भाषा में ये इस रूप में उपलब्ध नहीं है|लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे । तंत्र-मंत्रादि की जटिल एवं पूर्ण विश्वास से  साधना-सिद्धि गुरु मार्गदर्शन में होती है अतः बिना गुरु के निर्देशन के साधनाए ना करे।बिना लेखक की लिखितअनुमति के लेख के किसी भी अंश का कही भी प्रकाषित करना वर्जित है।न्यायलय क्षेत्र दुर्ग छत्तीसगढ़(©कॉपी राइट एक्ट 1957)
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