सोमवार, 5 जून 2017

तेलगु भूत का आतंक.

तेलगु भूत का आतंक..{सत्य घटना}
कृपया इस पोस्ट को एक बार अवश्य पढ़ें
हमारे बिहारी भाई शर्मा जी बहुत परेशानी में एक दिन मिलने आये और बताया कि उनके रिश्तेदार की पत्नी को कुछ दिनो से भूत-प्रेत की बाधा हो गई है और उसे तेलगु -भूत ने उसे पकड़ रखा है जब उसे बाधा होने लगती है तो वो गालियाँ देने लगती है मार-पिट करने लगती है और सबसे अचम्भे की बात कि वो तेलगु भाषा बोलने लगती और दो-चार क्वाटर दारू पी जाती है।
शर्मा जी के अनुसार उस स्त्री के पति ने मनोचिकित्सक,बाबा-तांत्रिक,ओझा-गुनिया,मंदिर-मस्जिद सब जगह दिखाया और निराश हो के अब जो होता है ईश्वर की मर्जी समझ कर ,बर्दाश्त कर रहे है।
शर्मा जी चाहते थे कि एक बार मैं उस परिवार की परेशानी समझने का प्रयास करू, जिससे कि समस्या का समाधान हो।
मित्रों यहां पहले एक बात आपको अपने विषय मे बता दु की भूत-प्रेत उतारना मेरा काम नही है किंतु हां "आत्मा-परमात्मा,तंत्र-मंत्र,अध्यात्म-दर्शन "मेरा अध्यन का विषय होने के कारण ,ऐसी बहुत से घटनाओ को देखने समझने और सीखने का मुझे अवसर प्राप्त हुआ ।भूत प्रेतों के अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता सभी जाति धर्म के लोग कही ना कही इनकी उपस्थिति को स्वीकार करते है।मैंने अपने अध्ययन में भगवान-शैतान,भूत-प्रेत,देवी-देवता,सिद्ध-साधुओ की उपस्थिति स्वीकार किया है और इनकी बातो की सत्य होते भी पाया है।इस संबंध में एक घटना आपको बताना चाहूंगा कि
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2009 में नौरात्री के समय 125000 मंत्रो के जाप का संकल्प-अनुष्ठान मैंने प्रारम्भ किया था,अनुष्ठान के दौरान मैं नित्य किये जाप एवं हवन की संख्या को एक डायरी में लिखा करता था इसके अलावा किसी को भी इस बात की जानकारी नही रहती थी कि मैं कौन रुप मे ईश्वर को पूज रहा हूँ और कौन सा मंत्र कितनी बार जप चुका हूं।
अभी मैं नित्य जाप में 9200 मंत्र जाप तक पहुचा ही था कि,एक सज्जन जिनकी 17 वार्षिक कन्या ने 5 दिन से भोजन नहीं खाया और किसी से कुछ बातचीत नही करती सिर्फ छत और दिवालो को बहुत कम पलके झुकाए देखती रहती है।
संध्या 7 बजे के आस-पास मै उस कन्या के घर,उसके सामने खड़ा था।मैंने कन्या को प्रणाम किया और दो अगरबत्ती देवी के नाम से उसके सामने जला दी।अगरबत्ती जलने के मिनट भर बाद वो कन्या अपने बिस्तर से उठी और जमीन पे आ कर बैठ गई अपने गुंथे हुए बालों को उसने खोला और सिर को जोर-जोर से गोल घुमाने लगी।मेरे पूछने पर उसने बताया कि वो वही देवी है जिसके मंत्रो का मैं रोज जाप कर रहा हूँ और उस कन्या ने मेरे अभी तक किये जाप की संख्या भी बताई और मेरा संकल्प जाप करने का कारण भी ,जो सिर्फ मेरे ही ज्ञान म् था।देवी ने ये भी कहा था कि जब भी कोई मुझे आत्मा की आवाज से बुलायेगा तो मुझे किसी ना किसी रूप से उससे मिलने जाना ही होगा,बस उसके पास मुझे पहचाने की दृष्टि होनी चाहिए।देवी के अनुसार कन्या 5 दिन पहले दुर्गा जी के मंदिर गई थी तभी से वो उसके साथ है।
उसके बाद देवि ने उस परिवार के साथ-साथ मुझे भी आशीर्वाद दिआ और जाप निरंतर करने का आदेश दे कर ,करीब 16-17 मिनट के बाद वो चले गई ।
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तो चलते है तेलगु भूत के पास।संध्या के समय शर्मा जी के साथ मैं उस स्त्री के घर पहुचा,वहां देखता हूं कि बड़ा भारी माहौल बना हुआ है 10-12 लोग भी वहां नारियल-निम्बू उस स्त्री को चढ़ा रहे थे साथ ही साथ गुलाल ,सिंदूर आदि का टीका लगा रहे थे।मैंने उन्हें प्रणाम किया और कौन है वो उनसे पूछा।उन्होंने कोई जवाब भी नही दिया।उस स्त्री पे मंत्र-प्रार्थना का भी कोई असर नहीं होता था।बस उसने मुझे तेलगु मे बोलना शुरू की,मुझे उसकी भाषा समझ नही आ रही थी तो मैंने किसी से पूछा ये क्या कह रही है,तो उन्होंने कहा महाराज गाली दे रहीं है।
मैं वहां से घर आ गया।दो दिन एक स्वयं से विचार विमर्श कर मैं इस नतीजे पे पहुचा की उस स्त्री को कोई बाधा नही है।फिर ये प्रश्न भी मेरे भीतर उठने लगा कि वो स्त्री ऐसा काम क्यो कर रही है?
दो दिन बाद मैं उस स्त्री के घर पहुचा और उसको प्रणाम कर मैने उसके पति को कहा कि भाई तू एक काम कर एक "खराटा झाड़ू" ले ले, और देवि का नाम ले कर जब तक आज भूत ना उतर जाए तब तक झाड़ू चलाते रहना।करीब करीब 25 झाड़ू पड़े होंगे अभी की वो भूत भाग गया।
ऐसा पहली बार हुआ था कि भूत भागा था इसीलिए उस परिवार के लोग बहुत खुश थे।
इस घटना के 2 दिन बाद मुझे उस स्त्री ने फोन किया और अपनी परेशानी बताई ।उस स्त्री के अनुसार ,उसका मायका बिहार से है जब तक वो माता पिता के साथ रही आनंद में रही, अच्छी पढ़ाई की,अच्छे कपडे पहने और कोई रोक-टोक नही थी।और जब से शादी हुई है सिवाय रोक टोक के कुछ नही है।संयुक्त परिवार में रहना है दिन भर घूंघट में।पति के साथ कही आना जाना नही है जीवन मे प्रेम जैसा कुछ नही है।पति ही कि अपनी माता की बात पे विश्वास करता है मेरा कोई वजूद नही था।इसीलिए जब मैं पिछली बार बिहार गई तब एक बाबा जी महाराज से मिली थी उनकी अपनी परेशानी बताने से उन्होंने बताया कि कोई परेशानी की बात नही है।तुम सिर्फ रोज शाम को अपने पे भूत चढ़ा लिया करो,गाली-गलौज किया करो ,जिस-जिस पे घुस्सा आये उसे मारा करो।सब ठीक हो जाएगा।उस स्त्री ने वैसा ही किया और अब वह बहुत खुश है ना कोई काम बताता है ,ना डाँटता है,घूंघट का अब टेंशन ही नहीं ,घर की बाकी महिलाएं भूत ना पकड़ ले यह सोच कर खुद घूंघट में रहती है।घर मे जो भी भोजन बनता है सबसे पहले मुझे ही मिलता है ,जो पति कभी घूमने नही ले जाता था अब महीने में 4 या 5 बार मंदिर-मस्जिद घुमाने ले जाता है।सब कुछ सही चल रहा था मेरी जिंदगी में की आप आ गए ,पूरा किये कराए पे आपने पानी फेर दिया ।
मैंने पूछा और वो तेलगु भाषा और शराब?
स्त्री ने कहा महाराज ,अब 7 साल से तेलगु मोहल्ले में रह रहे है तो इतना तेलगु तो सिख ही गए है और शराब के बिना कॉन्फिडेंस पैदा नहीं होता,दो-चार गाली निकालते ही शराब हाजिर हो जाती है।
मैंने कहा धन्य है देवी!आप, अब ये बताओ कि मुझे क्यो फोन किया अपने।उसने कहा कि महाराज आप कृपया मेरे घर मे मत आना कृपा होगी बस।
मैंने कहा ठीक है मैं तुम्हारी बात मान लेटा हु किन्तु तुम्हे भी मेरी बात माननी पढ़ेगी।मैंने कहा तुम रोज रोज घर-मोहल्ले वालों को परेशान ना किया करो।
महीने में एक दिन अमावस्या को भूत चढ़ा लिया करो।अन्यथा मुझे आना होगा ।
वो स्त्री मेरी बात मान गईं, अब अमावस अमावस को ही भूत चढ़ता है।सब कुछ पहले जैसा ही है।
बस उस स्त्री के पति को मैंने एक उपाय बताया है कि घर के मुख्य दरवाजे के पास खड़ी अवस्था मे "खराटा झाड़ू"
रख दे ताकि उसकी पत्नी झाड़ू देखे संयम में रहे।
महिला मित्रों से निवेदन है इस पोस्ट को अन्यथा ना लेते हुए इसे सकारात्मक रूप से ले एवं इस विधि का उपयोग निजी रूप से ना करे।

व्यक्तिगत अनुभूति एवं।विचार©₂₀₁₇
।। राहुलनाथ।।™भिलाई,छत्तीसगढ़,भारत
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
इस लेख में वर्णित सभी नियम ,सूत्र एवं व्याख्याए,एवं तथ्य हमारी निजी अनुभूतियो के स्तर पर है अतः हमारी मौलिक संपत्ति है।विश्व में कही भी,किसी भी भाषा में ये इस रूप में उपलब्ध नहीं है।इसकी किसी भी प्रकार से चोरी,कॉप़ी-पेस्टिंग आदि में शोध का अतिलंघन समझ कार्यवाही की जायेगी।

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हमारे लेखो को पढने के बाद पाठक उसे माने ,इसके लिए वे बाध्य नहीं है।हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है।यहां वैदिक-साबर-तांत्रिक ग्रंथो एवं स्वयं के अभ्यास अनुभव के आधार पर कुछ मंत्र-तंत्र संभंधित पोस्ट दी जाती है जो हामरे पूर्वज ऋषि-मुनियों की धरोहर है इसे ज्ञानार्थ ही ले ।लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे । किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में अपने योग्य विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श ले। साधको को चेतावनी दी जाती है की तंत्र-मंत्रादि की जटिल एवं पूर्ण विश्वास से  साधना सिद्धि गुरु मार्गदर्शन में होती है अतः बिना गुरु के निर्देशन के साधनाए ना करे।
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