गुरुवार, 25 मई 2017

जन्म पत्रिका द्वारा साधना का चयन !!

जन्म पत्रिका द्वारा साधना का चयन !!
प्राचिन धर्म ग्रंथानुसार देवताओं की संख्या 33 करोड बताई गई है! ऎसी अवस्था मे यह निर्णयक करना कठीन हो जाता है !!की  हम किसकी उपासना करे किस्की साधना करने से सफलता प्राप्त होगी !!मेरा ऎसे साधको से संपर्क भी हुआ है जिनका मानना है की वो लगातार साधना कर रहे है कुछ तो 20 वर्षो से इस मार्ग पे प्रशस्त है किन्तु सफलता नही प्राप्त हो रही ! क्या कारण है??
इसका मुख्य कारण है  देवि देवता का सही चयन नही करना !! इसी कारण इष्ट का चयन महत्वपुर्ण होता है !! अब समस्या है की आप इष्ट का चयन कैसे करेंगे? वो कौन सा देवता है जिसकी प्रार्थना पुजा से सफलता प्राप्त हो?
इसका निर्णय गुरु मुख द्वारा या ज्योतिष विज्ञान के गुप्त एवं सुत्रों द्वारा जानना ही ठीक रहता है !जन्म पत्रिका के पंचम भाव से बुद्धि एवं प्रवृ्ति  का और नवम भाव से धर्म एवं अनुकुल देवि देवता  का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है! यदि
पंचम भाव- में शुभ ग्रह और बुद्ध,चंद्र,गुरु,शुक्र,पंचमेश शुभ ग्रह हो,यो जातक सात्विक भाव का साधक होता है ! यदी पंचम भाव में राहु-केतु हो,तो साधक भुत-प्रेत,जादु-टोना आदि आसुरिक साधनाओ को करने वाला होता हे!यदि पंचम भाव का स्वामी पाप ग्रह सुर्य,मंगल,शनि हो अथवा पंचम में पाप ग्रह उपस्थित हो,तो साधक राजसिक एवं तामसिक साधनाये करता है !
नवम भाव-नवम भाव मेंपुरुष ग्रह जैसे सुर्य,मंगल, हो अथवा नवम भवन का स्वामी पुरुष ग्रह हो,तो पुरुष देवता की साधना करना उत्तम होता है !गुरु होने से सात्विक एवं वैष्णव साधना करना उत्तम होता है !सौम्य चंद्र तथा शुक्र होने से तथा इनका संबंध होने से देवी की साधना मे सफलता प्राप्त होती है ! बुद्ध एवं शनि का नवम स्थान मे होना या  नवमेश शनि का होने  से श्री शिव साधना मे सफलता प्राप्त होति है!नवम में बुद्ध होने अथवा नवमेष बुद्ध होने से देवि की साधना मे सफलता मिलति है!नवम मे एक ग्रह होने से या एक भी ग्राह नही होने से नवमेश से  देवि देवता का चयन करना चाहिये !नवम  से राहु-केतु  का संबंध होने से उग्र देवताऔ की साधना  मे सफलता प्राप्त होती है !
व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार©
।।राहुलनाथ।।
भिलाई,छत्तिसगड +919827374074
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