सोमवार, 17 अक्तूबर 2016

त्रिया राज...स्त्रियों का संसार


त्रिया राज...स्त्रियों का संसार
क्या लगता है मित्रो त्रिया राज क्या है?
सूना है सिद्धों से साधू संतो से की
गुरु मचिंद्रनाथ जी भी इस त्रिया राज में फस गए थे?
कुछ कहते है त्रिया राज आसाम के आसपास है।
ये तो आसाम के चरित्र पे अत्याचार है।
मुझे लगता है की इस धरती पे ऐसा कौन सा स्थान है
जहा त्रिया राज नहीं है।हर पुरुष के भीतर त्रिया राज पैदा हो जाता है।फिर वो पुरुष भारत में हो या किसी राज्य में या फिर किसी किसी अन्य देश में ।
त्रिया राज मतलब स्त्रियों का राज ।
ये हर गली में ,हर नुक्कड़ में ,हर मोहल्ले में उपलब्ध होता है ।
इतिहास गवाह है ,शास्त्र गवाह है हर युद्ध त्रिया राज के कारण ही हुआ है।त्रिया राज की रानी मतलब एक ऐसी कामुक स्त्री जिसको काम के अलावा कुछ पसंद ही ना हो।
हमेशा कामातुर जिसके लिए पुरुष मात्र एक जिव है कुत्ते एवं गधे के सामान,जो उसे भोगे ।किन्तु हकीकत ये है की पुरुष कभी भोग ही नहीं पाता बल्कि भुगतता ही रहता है।
ये एक ऐसा गुण है जो 60%स्त्रियों में मिलता है ये बात अलग है की वो इसे माने या ना माने।कोई खुल के करता है कोई बंध के करता है।

एक शिष्य था जिसने कभी कभी स्त्री को नहीं देखा था
जिस दिन उसने पहली बार स्त्री को देखा तो सोचा ,
पूछा अपने गुरु से गुरूजी ये कौन है?
ये मेरे जैसी नहीं है ।
मेरा सीना तो सपाट किन्तु इसका गोल क्यों है?
गुरूजी ने कहा
ये स्त्री है दूर ही रहना क्योकि तू पुरुष है
और स्त्री के समतुल्य नहीं है।
इसका सीना गोल है क्योकि इसका कोई छोर नहीं है
ये कब किस और डोलेगी इसका पता तो उसको खुद को भी नहीं है।इस गोल सीने के पीछे गोल समुन्दर भी है बस याद रख जब ,ये जननी बने तो ब्रहम्मा विष्णु भी नत मस्तक है
और जब ये काल बने तो साक्षात यम का स्वरूप है।
गोल है धरती गोल है चन्द्रमा ,
गोल का ही खेल है।
जो इस गोल टकराये
वो माटी के मोल मिल जाए।

ठीक है गुरूजी चेले ने कहा
समय बदला ,माह बदला महीना भी बदला
गुरु ने देखा एक रूपवती स्त्री को।
जाग गई काली
उत्तपन हो गई काम काली,बिखर गया संन्यास।
भटक गया गुरु ,चेतन करने में शिष्य को।
फिर एक समय आया
चेले ने पूछा गुरु कहा है अपने
गुरु भाइयो से ?
चेले ने कहा भाई वो तो एक संतान के पिता है
भविष्य की तैयारी है।
जागा चेला
लगाईं अलख ,
पहुचा गुरु के पास कहा
गुरूजी अब क्या?
गुरु ने कहा बच्चे ,माया है ,माया से बचा ना कोई
सोचा कुछ ऐसा करू की
फिर करने की हिम्मत करे ना कोई
किया पैदा मछली को
कहा
तू अब तो पुरुष बन जा
कर पैदा सिद्ध को ,साधू को
कुछ ऐसा भेष बना
चेले ने कहा गुरु से
गुरु! क्यों ना अब तू जनक बन जा
भेद मिटा ,स्त्री पुरुष का
अब तो तू एक बार बाप बन जा।
जागा गुरु लगाईं अलख
हे प्रभु जिसे समझा था राई
वो निकली माई
जागी बुद्धि अब स्त्री की
छोड़ा पुरुष का रास
बन गई वो माया
शिव शंकर की दास

अलख निरंजन जय शिव गोरक्ष
पढ़ु तो सिद्ध होवे सब काम
कहत राहुलनाथ गुरु
आपकी चरण मोर धाम
भटक ना सकु प्रभु अब
हर लो मोर हर धाम

।।जय शिव गोरक्ष।।

*****जयश्री महाकाल****
(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
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।। मेरी भक्ति गुरु की शक्ति।।
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(©कॉपी राइट एक्ट 1957)

17 टिप्‍पणियां:

  1. Ek Mst My WhatsApp . No. 9304427596
    Only Triya Raaj Striyon ke liye

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  2. Triya choritro kha hain and near rly stn nojdik kon sa rly hain or bhi triya janeka konsa raste jata hain

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  3. Triya raajya bangool me hai aur vahaa par jeens ki sankhyaa bahut hi kam hai

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  4. Urisa may be the right name of that time, it was triyaraj

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  5. बहुत अच्छी जानकारी मिली है। आपका धन्यवाद। पढ़ते पढ़ते त्रियाराज शब्द आ गया जिसे पहले कभी नही सुना था। इसलिए ढूंढा तो ये अछि जानकारी मिली।
    प्रमोद कापुरे।

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  6. Jai guru gorakhnath bhagvan ki jai jaharveer gogaji maharaj ki me veereshnathji Sri Shiv Gorakshnath katha vachak

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