!!चमत्कारी चालीसा पढ़ने की गुप्त एव्म रहस्यमय विधि!!
एक बार अवश्य पढ़े ये विधि आपकी इच्छाओ को पूरा कर सकती है!
!!शब्द साँचा पिण्ड काँचा !!
जय श्री महाकाल....
मुझसे बहुत मित्रो और भक्तों ने कहा की वे लगातार चालिसा पड़ते आ रहे है किन्तु उन्हें कोई लाभ नजर आता कारण क्या है??कोई भी चालिसा हो उसके पड़ने का एक मुख्य नियम है जो गुप्त है।किन्तु समाज के कल्याणार्थ ,भक्तों के कल्याणार्थ मैं इस रहस्य को प्रगट करता हूँ!!
रहस्य मात्र इतना है की जब भी आप किसी चालीसा को पढ़ते हैंतो उस चालीसा में कही न कही भक्त का नाम का उल्लेख होता है !जैसे श्री शिव चालिसा में जो दोहा है !
।।दोहा।।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
एवं चालिसा के अंतिम दो लाइन में लिखा हैँ।
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
इन दोनों श्लोको में "अयोध्यादास "जो नाम लिखा वो आपका नहीं है वो किसी अन्य का नाम लिखा है ।उस स्थान पे आप अपने नाम का उच्चारण करे!और चालिसा के पन्नों में भी व्हाइटनर लगा के ऊपर अपना नाम लिखेें ।अयोध्यादास जी को प्रणाम कर दो अगरबत्ती अयोध्या दास जी को इस चालीसा को प्रदान करने ,धन्यवाद स्वरूप लगा कर पाठ प्रारम्भ करे।
जैसे यदि मैं पाठ करता हूँ तो-
।।दोहा।।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत "राहुलनाथ" तुम, देहु अभय वरदान॥
एवं चालिसा के अंतिम दो लाइन में लिखा हैँ।
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे "राहुलनाथ" आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
बस इतना सा परिवर्तन आपको चमत्कारी लाभ प्रदान करेगा एवम् आपको आदिनाथ शिव शम्भू महादेव की कृपा पूर्ण रूप से प्राप्त होगी!!
विशेष:-किसी भी चालिसा का पाठ करने से पहले अपने गुरुदेव से,ज्योतिष्य से,या किसी इस विषय के जानकारी प्राप्त कर लेना चाहिए।की किसी चालीसा के पाठ करने से आपको लाभ होगा!अपनी इच्छा से किसी भी देवता की चालिसा पढ़ने से लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है!इसी प्रकार से सभी मंत्रो के रहस्य होते है चाँबी होती है!!इसी प्रकार से भगवान शिव ने सारे मंत्रो तंत्रो का किलन किया हुआ है!जो गुरु शिष्य परम्परा में प्रदान करना मान्य हैं!
आदेश यह पोस्ट मेरे निजी अनुभव के अनुसार है !! ये मेरी अपनी अनुभुतियों का स्तर है !! यदी आपको ये पोस्ट सही लगे तो कमेंट में लिखे ! इसके आगे कि जानकारी क्रमश : मै आपको देने का प्रयास करुगा !! मेरा संकल्प समाज से धर्म के नाम पे कचडा फैलाने वालो का सफ़ाया !कर धर्म की सही जानकारी का प्रचार करना!
क्रमश:
तो आओ भक्तो 43 दिन शिव चालिसा का पाठ करे.......
।।दोहा।।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्या तुम, देहु अभय वरदान॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे "अयोध्या "आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
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।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।
(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
इस लेख में लिखे गए सभी नियम,सूत्र,तथ्य हमारी निजी अनुभूतियो के स्तर पर है।विश्व में कही भी,किसी भी भाषा में ये सभी इस रूप में उपलब्ध नहीं है।अत:इस लेख में वर्णित सभी नियम ,सूत्र एवं व्याख्याए हमारी मौलिक संपत्ति है।हमारे लेखो को पढने के बाद पाठक उसे माने ,इसके लिए वे बाध्य नहीं है।इसकी किसी भी प्रकार से चोरी,कॉप़ी-पेस्टिंग आदि में शोध का अतिलंघन समझा जाएगा और उस पर (कॉपी राइट एक्ट 1957)के तहत दोषी पाये जाने की स्थिति में तिन वर्ष की सजा एवं ढ़ाई लाख रूपये तक का जुर्माना हो सकता है।अतः आपसे निवेदन है पोस्ट पसंद आने से शेयर करे ना की पोस्ट की चोरी।
चेतावनी-हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे ।क्योकि हमारा उद्देश्य केवल विषय से परिचित कराना है। किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में अपने योग्य विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श ले। साधको को चेतावनी दी जाती है की वे बिना किसी योग्य व सफ़ल गुरु के निर्देशन के बिना साधनाए ना करे। अन्यथा प्राण हानि भी संभव है। यह केवल सुचना ही नहीं चेतावनी भी है।
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