****शकुन -अपशकुन विचार*****
प्राचीन काल से ही भारत में शकुन द्वारा शुभाशुभ विचार करके यात्रा या किसी नवीन कार्य के आरम्भ करने की परंपरा रही है |प्रकृति से प्राप्त संकेत ही शकुन का आधार हैं | अच्छी या बुरी किसी भी महत्वपूर्ण घटना से पूर्व प्रकृति में कुछ विकार उत्पन्न होता है | हमारे ऋषि मुनियों ने इन प्राकृतिक विकारों का अपने अनुभव के आधार पर शुभाशुभ वर्गों में वर्गीकरण किया |वास्तव में शकुन स्वयम न तो शुभ हैं न अशुभ , ये केवल इष्ट अथवा अनिष्ट के सूचक मात्र हैं |किसी महत्वपूर्ण कार्य को आरम्भ करते समय या उसके लिए यात्रा पर जाते समय शकुन पर विचार किया जाता है | शुभ शकुन होने पर कार्य सिध्धि तथा अशुभ शकुन होने पर कार्य की हानि का संकेत मिलता है | प्राचीन राजा –महाराजा भी अपने दरबार में विद्वान शकुनी को महत्वपूर्ण स्थान देते थे तथा प्रत्येक कार्य से पूर्व उसका परामर्श लेते थे |
पुराणों में शकुन विचार
पुराणों में अनेक स्थानों पर शकुन के विषय में लिखा गया है | रामायण तथा महाभारत में भी शकुन के विषय में विस्तृत वर्णन मिलता हें | अग्नि पुराण के अनुसार शकुन दो प्रकार के होते हैं –
1.दीप्त शकुन
2.शांत शकुन
दीप्त शकुन
काल की सूक्ष्म गति को जानने वाले ऋषि मुनियों ने दीप्त शकुन का फल अशुभ व कार्य नाशक कहा है| दीप्त शकुन के छह भेद कहे गए हैं |
1.वेला दीप्त शकुन – शकुन का विचार करते समय दिन में विचरने वाले प्राणी रात्री को तथा रात्रिचर प्राणी दिन में शकुन कारक हों तो वेलादीप्त शकुन कहा जाता है |शकुनकालीन लग्न या नक्षत्र पाप ग्रह से पीड़ित हो तो भी वेला दीप्त शकुन होता है |
2.दिग्दीप्त शकुन – सूर्य जिस दिशा में स्थित हो उसे ज्वलिता ,जिस दिशा से आये हों उसे धूमिता तथा जिस दिशा में जाने वाले हों उसे अन्गारिणी कहते हैं |ये तीनों दिशाएँ दीप्त कही गयी हैं |दीप्त दिशा में होने वाले शकुन को दिग्दीप्त कहा गया है जिसका फल अशुभ व कार्य नाशक होता है |
3. देश दीप्त शकुन – जंगली पशु –पक्षी का गाँव व शहर में तथा शहर के पालतू पशु –पक्षियों का जंगल में दिखना देश दीप्त शकुन है |शकुन यदि अशुभ स्थान पर दिखाई दे तो भी देश दीप्त शकुन होता है जिस का फल अशुभ कहा गया है |
4.क्रिया दीप्तशकुन- कोई पुरुष,स्त्री या पशु पक्षी अपने स्वभाव के विरुद्ध आचरण करता हुआ दिखाई दे तो क्रिया दीप्त शकुन कहलाता है |
5. रुतदीप्त शकुन – फटी हुई ,कर्कश एवम रोने की आवाज का सुनाई देना रुतदीप्त शकुन कहलाता है |
6.जाति दीप्त शकुन – मांसाहारी प्राणियों का दर्शन जाति दीप्त शकुन कहलाता है जिसका फल कार्य की असफलता का सूचक है |
शांत शकुन
उपरोक्त सभी दीप्त शकुनों से विपरीत शकुनों वाले सभी शकुन शांत शकुन होते हैं जिनका दर्शन या श्रवण कार्य में सफलता का संकेत देता है | दीप्त व शांत दोनों ही शकुन दिखाई दें तो कठिनता से कार्य सिध्धि समझनी चाहिए |
शुभ संज्ञक शकुन
यात्रा ,प्रश्न या किसी कार्य के आरम्भ में निम्नलिखित पदार्थों का दर्शन या श्रवण कार्य में सफलता का सूचक होता है ——-
श्वेत पुष्प ,भरा हुआ घड़ा ,प्रज्ज्वलित अग्नि ,घास ,ताजा गोबर, सोना ,चांदी,रत्न,मत्स्य,सरसों,मूंग,तलवार ,छाता,राज चिन्ह ,फल,घी,दही,दूध,चावल,दर्पण,मधु,शंख,ईख ,शुभ वचन ,भजन कीर्तन ,गौ,अश्व,हाथी,बकरा,मन में संतोष |
नारद पुराण के अनुसार सुन्दर स्त्री ,चन्दन,चूना ,पालकी,खाद्य पदार्थ ,धुला वस्त्र ,श्वेत बैल ,ब्राह्मण ,नगाड़ा, मृदंग,वीणा,वेद मन्त्र , आरती ,मंगल गीत शुभ सूचक शकुन होते हैं |
गरुड़ पुराण के अनुसार अपने दाएँ ओर हिरन ,सर्प,वानर,बिलाव,कुत्ता,सूअर,नीलकंठ ,नेवला,व चूहा तथा बाएं ओर गीदड ,ऊंट व गधे का दिखना शुभ होता है |ब्राह्मण कन्या,सदाचारी व्यक्ति ,वेणु,शंख व संगीत ध्वनि ,पूर्व पश्चिम वायव्य कोण में छींक कार्य की सफलता का परिचायक होती है|
अग्नि पुराण के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर कौए का बार बार आना जाना किसी मेहमान के आगमन का सूचक है | कौआ किसी व्यक्ति के सामने पीले रंग के पदार्थ डाल दे तो सोने की , कच्चा मांस डालने पर धन ,मिटटी का डला गिराए तो भूमि ,रत्न गिराए तो राज्य प्राप्ति का सूचक है | किसी अशुभ स्थान पर स्थित कौए का आवाज करना कार्य नाश की सूचना देता है |कुत्ते का व्यक्ति के बाएं अंग को सूंघना ,मुख में मांस या जूता ले कर सामने आना शुभ सूचक है | मूत्र त्याग कर कुत्ता किसी शुभ स्थान ,वृक्ष या मांगलिक पदार्थ के पास जाए तो कार्य सिध्धि का सूचक है|
अशुभ संज्ञक शकुन
यात्रा ,प्रश्न या किसी कार्य के आरम्भ में निम्नलिखित पदार्थों का दर्शन या श्रवण कार्य में असफलता का सूचक होता है ——-
कपास ,सूखा गोबर ,अंगार ,नग्न साधु ,लोहा ,कीचड ,चमड़ा,बाल,पागल,नपुंसक ,चांडाल,गर्भिणी ,विधवा ,भूसा,राख,शव,हड्डी,टूटा बर्तन इत्यादि |
कौआ मकान के ऊपर लाल रंग की या जली वस्तु डाल दे तो मकान में आग लगने का भय होता है|जिस पदार्थ को कौआ मकान से उठा कर ले जाता है उस से सम्बंधित पदार्थ की हानि घर के स्वामी की होती है |सामने से कौआ कांव –कांव करता आये तो यात्रा में असफलता मिलती है |किसी सूखे या खोखले पेड़ पर बैठा कौआ आवाज करे तो कार्य की हानि करता है |बाहर से भौंकता या रोता कुत्ता घर के अंदर आये तो गृह स्वामी पर कष्ट आने का संकेत है |कुत्ता मार्ग रोक कर खड़ा हो तो यात्रा में चोरी का भय होता है | मुख में हड्डी ,रस्सी ,फटा कपडा लिए हुए कुत्ते का दिखना अशुभ सूचक है |
गरुड़ पुराण के अनुसार अग्नि कोण में छींक होने पर शोक व संताप ,दक्षिण में हानि , नैऋत्य में शोक ,उत्तर में कलह तथा ईशान में मृत्यु तुल्य कष्ट की परिचायक है |
नारद पुराण के अनुसार चर्बी ,पतित ,अंगार ,जटाधारी ,वन्ध्या स्त्री ,गिरगिट,नमक ,सूखी घास,भूखा नंगा ,शरीर में तेल लगाता हुआ व्यक्ति ,रात्रि में कौए या दिन में कबूतर का क्रन्दन कार्य नाशक होता है |
ज्योतिष शास्त्र में शकुन विचार
ज्योतिष शास्त्र के संहिता विभाग में शुभाशुभ शकुनों का विस्तृत वर्णन मिलता है |बृहत संहिता में शाकुनाध्याय में लिखा है –
अन्य जन्मांतर कृतं कर्म पुंसां शुभाशुभं |
यत्तस्य शकुन: पाकं निवेदयति गच्छ्ताम ||
अर्थात मनुष्य ने पूर्व जन्म में जो भी शुभाशुभ कर्म किये हैं शकुन उनके शुभाशुभ फल को प्रकाशित करता है |
बृहत संहिता ,योगयात्रा ,भद्रबाहू संहिता ,प्रश्न मार्ग व वसंतराज शाकुन इत्यादि ग्रंथों के आधार पर निम्नलिखित प्रकार से शकुनों का शुभाशुभ फल जानना चाहिए –
शंख व वेद ध्वनि ,पुराण कथा ,नीलकंठ ,मोर ,चकोर ,कीचड से लिप्त सूअर की पीठ पर बैठा कौआ ,पंखा , चन्दन,गौ,बकरा,निम्बू फल ,ध्वजा,भरा हुआ पात्र ,पगड़ी ,स्वस्तिक ,सरसों ,दर्पण ,जल ,सुरमा ,वीणा ,स्वर्णपात्र ,घी ,मधु,गोरोचन,कुमारी कन्या ,कमल पुष्प,मत्स्य ,ब्राह्मण ,अग्नि,आम,खाद्य पदार्थ ,रत्न,चावल,देव मूर्ति,अलंकार,पान,आसन, शरीर के दायें अंगों का फडकना ,नवीन वस्त्र ,बंधा हुआ पशु ,चांदी,वनस्पति का दर्शन ,स्पर्श,या वर्णन सफलता देने वाला है |सर्प ,खरगोश,सूअर व गोह का केवल नाम उच्चारण ही इष्ट कारक है इनका दर्शन या आवाज नहीं |रीछ ,भालू,वानर का शब्द व दर्शन शुभ है पर इनका नाम उच्चारण नहीं | पूर्व दिशा में अश्व या श्वेत रंग के पदार्थ ,दक्षिण में शव व मांस ,पश्चिम में कन्या व दही ,उत्तर में ब्राह्मण ,साधु व गौ के दर्शन कार्य सिध्धि का संकेत करते हैं |
अंगार ,राख,कीचड ,कपास,तुष,खुले केश ,काली वस्तु,लोहा,वृक्ष की छाल,पाषाण ,विष्ठा औषधि तेल ,चमड़ा,खाली या टूटा पात्र,नमक,लस्सी,लोहे की जंजीर ,उपला ,तेज वायु का चलना ,तेज वर्षा,वमन ,सर मुंडाया व्यक्ति ,छिन्न अंग,रोगी,रजस्वला या गर्भिणी स्त्री,मद्यप ,जटाधारी,कलह, पशुओं या पक्षियों की आपस में लड़ाई ,वस्त्र खिसक कर नीचे गिरना ,शरीर के वाम अंगों का फडकना ,सन्यासी,नपुंसक,रोता हुआ प्राणी अशुभ फल का संकेत करते हैं |
🚩🚩🚩जयश्रीमहाँकाल 🚩🚩🚩
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।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।
🚩🚩🚩जयश्रीमहाँकाल 🚩🚩🚩
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।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
https://m.facebook.com/yogirahulnathosgy/
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चेतावनी-हमारे लेखो को पढने के बाद पाठक उसे माने ,इसके लिए वे बाध्य नहीं है।हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे ।क्योकि हमारा उद्देश्य केवल विषय से परिचित कराना है। किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में अपने योग्य विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श ले। साधको को चेतावनी दी जाती है की वे बिना किसी योग्य व सफ़ल गुरु के निर्देशन के बिना साधनाए ना करे। अन्यथा प्राण हानि भी संभव है। यह केवल सुचना ही नहीं चेतावनी भी है।
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