गुरुवार, 21 जुलाई 2016

।।झंडे का फण्डा ।।

।।झंडे का फण्डा ।।झंडे को निवास स्थान पे ना लगाए?
पताका(झंडा)क्या होता है?इसका उपयोग क्या है?
पताका का उपयोग सामान्यतः मंदिरो में किया जाता है।पताका किसी धर्म या देश की प्रतीक हो सकती है।युद्ध भूमि में पताका का उपयोग हार-जीत के लिए किया जाता रहा है। पद विजय की पताका,युद्ध आदि में किसी स्थान पर विजयी पक्ष की वह पताका जो विजित पक्ष की पताका गिराकर उसके स्थान पर उड़ाई जाती है।
किन्तु इसके ठीक विपरीत निवास स्थान में पताका को लहराने का नियम मैंने कही नहीं पढ़ा है।यदि आपने अपने निवास पे पलाका लहराई,तो इसका मतलब साफ है की,आपका घर,घर ना हो के या तो मंदिर हो जाएगा या युद्ध की भूमि बन जाएगा।मंदिर हो या युद्ध भूमि दोनों ही स्थान के अपने नियम होते है मंदिर की पताका हमेशा लहरानी चाहिए वही देश के सम्मान की पताका एवं युद्ध भूमि की पताका सूर्यास्त के समय उतार देनी चाहिए।किसी विशेष उद्देश्य से निवास पे किये जाने वाले पूजा- अनुष्ठान के काल में पताका की स्थापना की जा सकती है किन्तु उसे भी सूर्यास्त के समय उतार देना चाहिए।
आज कल निवास स्थान में ध्वजा लगाना एक फैशन सा बन गया है।बहुत से मित्रों ने अपने निवास स्थान के नैऋत्य(दक्षिण-पश्चिम)कोण में झण्डा लगा के रखा होता जिसपे हनुमान जी का चित्र पहाड़ उठाये हुए बना रहता है एवं घर के मूल द्वार पे हनुमान जी का चित्र लगा होता है।एक परिवार से मैंने पूछा की :साहब आपने ये हनुमान जी को यहाँ क्यों लगाया हुआ है ?तो उनका जवाब था की हमारे निवास के दक्षिण पश्चिम कोण में वजन कम है जो वास्तु के नियम के अनुसार दोषकारक होता है इसीलिए वजन बढ़ाने के लिए ये झण्डा लगाया है।जिसमे हनुमान जी एवं उनके पहाड़ का वजन ,हमारे घर के इस कोण के वजन को बराबर करता है।और हमारे दरवाजे पे हमारी रक्षा के लिए हनुमान जी की खड़ी मुद्रा में फोटो लगाईं है जिससे वे हमारी रक्षा करेगे।।
मैंने कहा भाई !क्या अपने हनुमानजी को नौकरी पे रखा है?क्या आप हनुमान जी को महीने का वेतन देते है जो वे आपके घर के दोनों स्थान में खड़े हो के पहरा देते है।
हो सकता है हनुमान जी आपके प्रेम के वश हो कर ऐसा करते भी होंगे किन्तु ऐसी अवस्था में क्या आप "श्रीराम" जैसे व्यक्तित्व को धारण करते है।यहाँ तो वेतन लेने वाले को भी 12 घंटे में छुट्टी हो जाती है और यहाँ आप पिछले 5 वर्षो से हनुमानजी से लगातार ,बिना वेतन के काम करवा रहे है।क्या?प्रेम वष आप स्वयं किसी के लिए ऐसा कार्य कर सकते है? वे सज्जन शर्मिन्दा हो गए।और आने वाले मंगलवार को ध्वजा उतारने का संकल्प ले लिया।
धर्म ध्वज केतु के हाथ में होता है जो की सामान्यतः एक पुन्यकारक एवम् धार्मिक प्रवृति का देवता है इसे जो कार्य दे दिया जाए ,ये पूर्ण निष्ठा के साथ करता है।मतलब जहा झंडा होगा वहा ,झंडे के डंडे में केतु का निवास होता है।इसके ठीक विपरीत 180 अंश पर राहु का निवास होता है जो की अकास्मिक घटनाओ को देने वाला एक रहस्य मई देवता है।जहाँ झंडा होगा वहाँ केतु होगा,और जहा केतु होगा वहा राहु भी होगा।ये दोनों देवता लगातार उलटी चाल चलते है।ये अच्छे चरित्र को अचानक बुरा एवं बुरे को अच्छा कर देते है।इसीलिए आपको झंडा लगाने के पहले 100 बार सोच लेना चाहिए ये ही उचित होगा।आजकल  सोशल मीडिया पे लिखे लेखो को पढ़कर,टी वी पे उपाय,सुनकर हर व्यक्ति तकरीबन 25 प्रतिशत तो स्वयं ही ज्योतिष बन गया है।टी वी पे दिखाए जाने वाले नित्य राशि फल के अनुसार जीवन यापन करने लगा है।आप ही सोचिये ,भारत की आबादी मान लेते है 1 अरब है इन 1 अरब लोगो को 12 राशियों में बाँटा जाए तो ,एक राशि में कुल 83333333.33 व्यक्ति आते है।क्या आपको लगता है की इन सब व्यक्तियो का दिन एक जैसे ही होगा?
ज्योतिष का विश्लेषण एक बहुत ही सूक्ष्म क्रिया है इस विषय पे हम कभी और बात करेगे।
तो हम झंडे के विषय में बात कर रहे थे।यदि आपको लगता है की आपके निवास स्थान में दक्षिण-पश्चिम में दोष है या आपको लगता है की आपको हनुमान जी की रक्षा की आवश्यकता है  तो आपको चाहिए की आप किसी मंगलवार को,हनुमान मंदिर में एक ध्वजा,लड्डु,सिंदूर,मख्खन एवं मीठा पान हनुमान जी को प्रदान करे,उस मंदिर में जब-जब आपका दिया झंडा लहराएगा,आपको हनुमान जी की कृपा मिलती रहेगी।।
इस लेख को लिखने का आशय अंधश्रद्धा को दूर करना मात्र है किसी भी सज्जन की धार्मिक आस्था को ठेस पहुचाना नहीं है।यदि किसी मित्र की आस्था को ठेस पहुची हो तो मैं कर बद्ध हो कर क्षमा मांगता हूँ।
(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
******राहुलनाथ********
{आपका मित्र,लेखक,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
फेसबुक परिचय:-https://m.facebook.com/yogirahulnathosgy/
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।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।
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(©कॉपी राइट एक्ट 1957)

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