शनिवार, 23 जुलाई 2016

!!आई आई आई सबद से वशीकरण!!

JSM  OSGY.
!!आई आई  आई सबद से वशीकरण!!
अ आ इ ई उ ऊ इत्यादि सभी सबद ईश्वर के प्रतीक है किसी भी सबद के बार बार उच्चारण करने से ,
वह सबद आपको ईश्वर तक पहुचाने में सक्षम होता है!इन सभी सबद में 16 सबद चालक सबद है सभी सबद की अपनी चाल है !पुरे अक्षरो की चाल तो यहाँ बताना मुश्किल है किन्तु कुछ सबद की बता सकता हु उदा. स्वरूप!
जैसे सबसे बड़ा सबद है "आई" !
"आई "का मतलब आना होता है,महाराष्ट्र में आई का मतलब माता होता है किन्तु ये दोनों मतलब बाद में रखा गया !सबद पहले से विराजमान थे!
इस आई सबद की करामात ये है की ये जिस सबद के साथ जुड़ जाएगा वो सबद के गुण जोवन में उपस्थित हो जायेगे!किन्तु इससे पहले की इस सबद को आप किसी सबद में जोड़े इससे पहले आपको ज्ञान होना चाहिये की उस सबद का गुण धर्म क्या है!कुल54 अक्षरो में से 19 सबद का उच्चारण करना मना है!क्योकि इन 19 अक्षरो को मानव को कम से कम जाप करना चाहिए जैसे :-ट,ठ,क्ष इत्यादि!
जैसे ट अक्षर क्षोभन है दुःख दाता है!
इन 54 सबदो में से 16 चालाक सबद हटा दिए तो 38 सबद शेष रहते है।इन 38 सबदो के साथ "आई "सबद जोड़ा जाए तो उन अक्षरो की अनुभूतियाँ होने लगती है,
जैसे:-क+आई=काई,खाई,गाई,घाई,अंगाई इत्यादि!!
आई सबद हो दो और तिन या इससे अधिक सबदो को भी लगाया जा सकता है जैसे,कढ़ाई,रजाई,मंजाई,कलाई,खुदाई इत्यादि!!!
किन्तु आई सबद से सबद को चलने लगते है !किन्तु इन सबदो की रोक नहीं आने पर,प्राणों पर बन आता है!यही सिद्धि का राज है।इस मूल चालक सबद जो 16 है इनमे से हर सबद का अपना कार्य है,कोई चलाता है कोई स्तंभित करता है,कोई उड़ाता है !कुल मिला कर यह मायाजाल है,इसी कारण वष सिद्धोने,मुनियो ने मौन को स्वीकृति दी है क्योकि यदि आपने कुछ भी कहा तो आपका अस्तित्व बदल जाएगा,और जैसे ही आप मौन रखते है आप शिशु के सामान बन जाते है क्योकि जन्म के बाद जब तक बोलना नहीं आता तब तक आपका स्वरूप मूल होता है,बाद में सबदो के उच्चारण स आपका अस्तित्व बदल जाता है!
मैंने लगातार इन सबदो को दोहराया  और इनकी अनुभूतियों को दर्ज किया।जैसे अ सबद को 5 लाख,आ सब्द को 5 लाख।इस प्रकार 54 लाख सबद को दोहराया!इन सबदो को दोहराने की विधि गुरु मुख से प्राप्त होती है जो मुझे भी गुरु मुख ही मिली,जिसे मंत्र उत्कीलन कहा जाता है!कोई सिद्ध गुरु ही इन 54 सबदो के सही क्रम को बता सकते है।किताबो में इस क्रम को बदल दिया गया हैँ।इस विधि को जानने के बाद सभी मंत्र स्वत: सिद्ध हो जाते है।
क्रमश:.....

।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
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