!!पासवर्ड मौत का!!
!!जै श्री महाकाल!!
एक रेखा हैं जिवन की ! जैसा की रेखा में होता है! इसके भी दो छोर हैं!पहला छोर पर धन हैं सुख है ऎश्वर्य हैं जबकी धन हैं तो सोना हैं चाँदी हैं घर है वाहन है भोग है ! किन्तु जैसा की होता है अच्छे के साथ बुरा और बुरे के साथ अच्छा ,
उसी प्रकार इसके इस छोर पर छल है,कपट हैं,ईष्या हैं भेद –भाव भी इसी स्थान पर !और दुसरे छोर पर कुछ भी नही मात्र शुन्य के,इस स्थान मे! इस स्थान में गुरु भी नही और ग्यान भी नही !!
इन दोनों छोरों के बिच मे जिवन मानव का हमेशा झुलता रहाता है !!ये सब बाते मन की स्थिति से हैं "माईंड सेट" से हैं !! इस "माईड सेटिग" की क्रीया ही "तन्त्र" कहलाती हैं! यहि शास्वत तन्त्र हैं!क्योकी तन के भीतर मन निवास करता हैं! तन से मन को जोडने हेतु संकेतों की आवश्यक्ता होती हैं! और इन संकेतो का निर्माण करने हेतु आकृ्तियों की आवश्यक्ता होती है! और ये आकृ्तियो का निर्माण ही अक्षर है!
अक्षरों से स्पन्दनों का निर्माण होता हैं! स्पन्दन ही "माईंड सेटिग" करता हैं जैसे अक्षरों का चयन होता है! वैसे ही स्पन्दनों के बार-बार प्रहार करने से जो उन स्पन्दनो के भावा अनुसार "माईंड सेटिग" हो जाती हैं और "माईंड सेटिंग" से पुरा व्यक्तित्व बदल कर भावो के अनुसार हो जाता हैं यही से भविष्य निर्माण की क्रिया प्रारंभ होती है !! इन स्पन्दनों का सही चयन कर के एक सुत्र करने कि क्रीया ही “मन्त्र” कहलाती हैं!
इस तन्त्र एवं मन्त्र के बिच मे जोडने हेतु एक माध्यम की आवश्यक्ता होती है जिसे कहते है”यन्त्र” !
ये यन्त्र बनता है माध्यम का शरीर !!
इनही तिन मुख्य क्रियाओ द्वारा जिवन एवं प्रकृ्ति का संचालन महादेव करते रहते हैं !! किन्तु कुछ ऎसे लोग भी जो ईस "माईंड सेटिंग" की क्रीया को जानते है! परंपरानुसार !! इस “माईंड सेटिंग” के अनुसार समाज का जितना कल्याण किया जा सकता है उतना अहित भी !! सही मन्त्रों द्वार समाजिक का या भक्तों का कल्याण हो सकता है तो गलत मंत्रो द्वारा विनाश भी !!
मतलब इन मन्त्रों के कारण जो जप रहा होता है! वह खुद तो बरबाद होता है साथ-साथ अपने कुल को भी बरबाद कर देता है !!
क्योकी उसको लगने लगता है कि यह सब उसकी आत्मा करवा रही है! लेकिन ये ये सब मंत्रों का चमत्कार है !!
इन स्पंदनो के समुह को आप मन्त्र या आज की भाषा मे “पासवर्ड” भी कह सकते है !वैसे भी "शास्त्रों मे लिखा है कि दान देने से कल्याण होता है लेकिन ये नही लिखा है कि किसका होता है !!"
किन्तु इन पासवर्डो मे से सही और गलत का चयन कौन करेगा ?
कहते है सही गुरु मिल जाये तो ये यह कार्य गुरुदेव करेगे !! किन्तु गलत गुरुदेव को भी यदी गलत गुरुदेव मिल गये हो तो ??? ये चयन कौन करेगा कि जो वो मन्त्र स्व्यं पढ रहे है वो सही है ? इस अवस्था मे ये बन जायेगा!
!!पासवर्ड मौत का!!
यहा विश्वास की आवश्यक्ता पढ्ती है!समर्पण की आवश्यक्ता पडती है!!
बहुत से पासवर्ड हैं जैसे- सभि देवताओ के नाम !!
जो ईश्वर द्वरा नहि बने इनका निर्माण मानव ने स्व्यं किया है क्योकी ईश्वर तक के सफर मे वाणि भी साथ नही देती !!
इस जिवन रेखा के एक छोर का नाम शास्त्रों ने “काली” दिया है और दुसरे छोर का नाम “ शिव” !!एक तरफ पुर्ण स्त्री का सम्राज्य होता है और दुसरी और पुर्ण पुरुष का !! किन्तु इस रेखा का मद्य बिन्दु आधा पुरुष एवं आधा नारी होती है !! क्योकी निचे से उपर की ओर ये लगातार पुरुष होते जाती है और उपर से निचे की और स्त्री !! यहि "अर्धनारीश्वर" है !!
यह स्थान हृ्दय का स्थान होता है !!जिसे अनाहद चक्र भी कहते है !!
गणित मे रेखा की परिभाषा हैं कि एक ऎसा बिन्दु जो अपना विस्तार कर लेता है वह रेखा कहलाता है !! किन्तु एक बिन्दु के रेखा बनने मे बहुत से बिन्दुओं की आवश्यक्ता होती है!
उसि प्रकार इस जिवन की रेखा मे भी अन्य बिदुओ का निर्माण होता है!! शस्त्रों मे मुखय रुप से इन बिन्दुओ के नाम 9 माने है ! जैसे स्त्री को मानने वाले ईसे नव दुर्गा कहते है!ग्रहों को मानने वाले ज्योतिष गण ईसे “नवग्रह” कहते है! साधुगण इसे "नवनाथ" कहते है! जो कुण्डली साधना करते है वे ईसे "चक्र" कहते है !
इस प्रकार के लाखो पासवर्ड धर्ती पे फैलाये गये है सोच –समझ कर !!
हर पासवर्ड का एक निश्चीत प्रभाव हो रहा है !! यदि आपने किसी भी प्रकार के मन्त्र का जाप कीया है और आपको लाभ हो कर यदि हानी हो रही हो तो उससे बचने का एक उपाय है जो मै आपको कहता हु धयान दे कृ्पा करे !! आपका एक प्रयास आपको एवं आपके परिवार को बचा सकता है !! जो भी मन्त्र आपने जप किया है उसे उतनी हि संख्या मे उलटा जाप करे
जैसे :- यदि आपने राम शब्द का जाप किया है
तो इसका उल्टा जाप निम्न प्रकार से होगा,
र+आ+म +राम किन्तु जब उल्टा करेगे तो ये हो जायेगा ,
म+आ+र=मार
आदेश यह पोस्ट मेरे निजी अनुभव के अनुसार है किसि धर्म ग्रंथ से या किसी तथा कथित गुरुदेव के मुख से लिया नही है !! ये मेरी अपनी अनुभुतियों का स्तर है !! यदी आपको ये पोस्ट सही लगे तो कमेंट में लिखे ! इसके आगे कि जानकारी क्रमश : मै आपको देने का प्रयास करुगा !! मेरा संकल्प समाज से धर्म के नाम पे कचडा फैलाने वालो का सफ़ाया !कर धर्म की सही जानकारी का प्रचार करना!
क्रमश:
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।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।
(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
इस लेख में लिखे गए सभी नियम,सूत्र,तथ्य हमारी निजी अनुभूतियो के स्तर पर है।विश्व में कही भी,किसी भी भाषा में ये सभी इस रूप में उपलब्ध नहीं है।अत:इस लेख में वर्णित सभी नियम ,सूत्र एवं व्याख्याए हमारी मौलिक संपत्ति है।हमारे लेखो को पढने के बाद पाठक उसे माने ,इसके लिए वे बाध्य नहीं है।इसकी किसी भी प्रकार से चोरी,कॉप़ी-पेस्टिंग आदि में शोध का अतिलंघन समझा जाएगा और उस पर (कॉपी राइट एक्ट 1957)के तहत दोषी पाये जाने की स्थिति में तिन वर्ष की सजा एवं ढ़ाई लाख रूपये तक का जुर्माना हो सकता है।अतः आपसे निवेदन है पोस्ट पसंद आने से शेयर करे ना की पोस्ट की चोरी।
चेतावनी-हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे ।क्योकि हमारा उद्देश्य केवल विषय से परिचित कराना है। किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में अपने योग्य विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श ले। साधको को चेतावनी दी जाती है की वे बिना किसी योग्य व सफ़ल गुरु के निर्देशन के बिना साधनाए ना करे। अन्यथा प्राण हानि भी संभव है। यह केवल सुचना ही नहीं चेतावनी भी है।
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