#पौराणिक_बगलामुखी_स्तोत्र।।
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नमो देवि बगले!
चिदानंद रूपे, नमस्ते जगद्वश-करे-सौम्य रूपे।
नमस्ते रिपु ध्वंसकारी त्रिमूर्ति, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते।।
सदा पीत वस्त्राढ्य पीत स्वरूपे, रिपु मारणार्थे गदायुक्त रूपे।
सदेषत् सहासे सदानंद मूर्ते, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते।।
त्वमेवासि मातेश्वरी त्वं सखे त्वं, त्वमेवासि सर्वेश्वरी तारिणी त्वं।
त्वमेवासि शक्तिर्बलं साधकानाम, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते।।
रणे, तस्करे घोर दावाग्नि पुष्टे, विपत सागरे दुष्ट रोगाग्नि प्लुष्टे।।
त्वमेका मतिर्यस्य भक्तेषु चित्ता, सषट कर्मणानां भवेत्याशु दक्षः।।
#विधि
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माता के चित्र पे तिलक लगाए और गुड़, चने और हल्दी से बना नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करके धूप, दीप जलाकर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु प्रार्थना करें। नित्य धूप, दीप आदि जलाकर माता का दर्शन करें। यह सारी क्रिया निष्ठापूर्वक करें, कामनाओं की पूर्ति होगी। यदि भीषण मृत्युतुल्य शत्रु बाधा हो, तो प्रतिदिन पीले वस्त्र के आसन पर बैठकर निम्नलिखित पौराणिक स्तोत्र का एक पाठ निष्ठापूर्वक करे,दरवाजे पर आया शत्रु भी नतमस्तक होकर वापस चला जाएगा।
जिस घर में इस स्तोत्र का नित्य पाठ होता है, उस घर पर कभी भी शत्रु या किसी भी प्रकार की विपत्तिया हावी नहीं हो सकती। न उस घर के किसी सदस्य पर आक्रमण हो सकता है, न ही उस परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हो सकती है।
लेखन-सम्पादन-संकलन~राहुलनाथ
#आपके_हितार्थ_नोट:- पोस्ट ज्ञानार्थ एवं शैक्षणिक उद्देश्य हेतु ग्रहण करे।
बिना गुरु या मार्गदर्शक के निर्देशन के साधनाए या प्रयोग ना करे।
🕉️🙏🏻🚩जयश्री माहाँकाल 🚩🙏🏻🕉️
☯️राहुलनाथ™ 🖋️।....
ज्योतिषाचार्य,भिलाई
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