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ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः ,काली ही अपने दक्षिण और वाम रूप में प्रकट हुई हैं,और रक्त(लाल) और कृष्णभेद(काला)से काली ही दो रूपों में अधिष्ठित है।थोड़ा सा गुण धर्म मे भी अंतर है।भगवती काली के अलग अलग नाम उनके स्वरूप, उनके गुण, उनके द्वारा धारण किए गए अस्त्र शास्त्र, उनके महत्व, उनके आविर्भाव के कारण है। भगवती अपने सभी रूपों में सभी कार्य करने में सक्षम है। अलग अलग स्थानों पे अलग अलग स्वरूपों की पूजा होती है। जैसे आसाम में कामाख्या काली, बंगाल में दक्षिण काली।काली कोई एक ,दस या पचास नही बल्कि करोड़ो अरबो कालिया है।आपने बहुत अच्छा प्रश्न किया है। शीघ्र ही इस विषय पे सम्पूर्ण पोस्ट लिखने का प्रयास करेंगे।धन्यवाद
🙏🏻🚩जयश्री महाकाल🚩🙏🏻
●●●●●लेखक एवं संकलनकर्ता:-●●●●●
।। राहुलनाथ।।™ (ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्री)
#शिवशक्ति_ज्योतिष_एवं_अनुष्ठान,भिलाई,छत्तीसगढ़,भारत
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