तंत्र और गुप्तता का नियम
एक बीज को धरती में दबाने के बाद ,यदि उसे बार-बार खोल कर देखा गया तो फिर कैसे वृक्ष बन पाएगा ।इसी प्रकार यदि किसी भी मनोकामना, पूजा विधि,मंत्र जाप,अनुष्ठान ,मन्नत,उपवास,प्रतिज्ञा,संकल्प, साधना आदि को गुप्त नहीं रखा गया और उसे अवचेतन की धरती में दबाके ,सबको बार-बार बताके उसे लगातार दबाने के बाद खोदने से ,उसकी गुप्ता टूट जाती है और वो विधि-विचार वृक्ष के समान पनप नही पाता।वो पैदा होते ही मर जाता है।
सकारात्मक प्रार्थना विधि हो या नकारात्मक दोनों इच्छाएं ये अवचेतन की धरती पूरा करती है।
अब सही गलत प्रार्थना विधि पूजा का चयन तो आपके अनुभव पे निर्भर करता है।यदि आप चाहे तो अपने आप के लिए अपने भाई-बंधु,माता-पिता,मित्र,समाज ,ग्राम या देश के लिए सकारात्मक प्रार्थना भी कर सकते है वही,इन सबके लिए नकारात्मक प्रार्थना भी कह सकते है।इसी प्रकार तंत्र में नकारात्मक से सकारात्मक तक के दस अवस्थाओ को ,दश महाविद्या में,दस देवियो का नाम दिया है।यहां दसवीं अवस्था सहस्त्रार के ऊपर की अवस्था है।यही अवस्था सिक्खों का दशम।द्वार है।यही अवस्था क्रिश्चन में अंतिम अवस्था "क्रास" है,इस्लाम मे यही अवस्था "जन्नत का दरवाजा" है।
(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार)
।। राहुलनाथ ©₂₀₁₇।।™
भिलाई,छत्तीसगढ़,भारत
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