साधना-पूजा के मूल सूत्र-भाग 1
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किसि भी साधना या पूजा को करने के पहले साध को प्राणायाम की साधना करनी चाहिये ये प्राणायाम तीन प्रकार के होते हैं-लघु,मध्यम और उत्तम अनमें प्रथम लघु प्राणायाम 12मात्राऔं का,मध्यम 24 का,तथा उत्तम प्राणायाम 36 मात्राऔं का होता है "आँखो की पलको को खुलने फर बंद होने में जो समयावधि लगती वही एक मात्रा कहलाती है"
इसी प्रकार आसन में बैठने के बाद सर्व प्रथम अपनी गर्दन को 7 बार गोल दाई तरफ से घुमाये फिर 7 बार दाई तरफ से।फिर 7 बार आगे से पीछे की तरफ ले जाएं ।इससे गर्दन के पास की मास पेशियां एवं नसे मुक्त होती है जो कि साधक की साधना में सहयोग प्रदान करती है गर्दन के पीछे का स्थान शक्ति संचार एवं एकत्रीकरण का मूल स्थान उसी प्रकार है जैसे कि मूलाधार का शक्ति स्थान ,जहां सभी नस-नाड़ियो का संग्रह होता है।इस सूत्र का नित्य उपयोग कर हमें साधना करने में बहुत सहायता मिली है।हमारा निजी अनुभव कहता है कि साधक को कुछ दिनों तक इस प्रयोग को अवश्य करके देखना चाहिए।
🕉️🙏🏻🚩आदेश-जयश्री माहाँकाल 🚩🙏🏻🕉️
👉व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार©२०१६
☯️।।राहुलनाथ।।™🖋️।....भिलाई,३६गढ़,भारत
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