अहंकार
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उलझनो के संसार का निर्माण अहंकार से ही होता है।समर्पण,प्रेम, आनंद, मौन, समृद्धि, संतुष्टि, विश्वास,ईश्वर के प्रति दासत्व का भाव होने से ही ये उलझन दूर हो सकती है एवं निर्गुण ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है।मैं,मेरा घर,मेरी भक्ति,मेरा परिवार,मेरा घर,मेरा शरीर,मेरी आत्मा,मेरा मित्र,मेरा गाँव, मेरा देश,मेरा धर्म इस प्रकार के सभी भाव जिनमे "मेरा" शब्द उपयोग होता है ये सभी अहंकार ही है।और ये अहंकार हमको हमारे लक्ष्य,परिवार, मित्र,समाज और ईश्वर से दूर ही करता है।इस अहंकार को दूर करने से अच्छा उपाय हैं कि स्वयं ही एकांकी रहना,स्वयं में दासत्व भाव को रखना,सभी कार्यो को कर्तव्य पूर्वक समपन्न कर उस कार्य से भी अलग हो जाना।जैसे हनुमान का चरित्र होता है शक्ति-भक्ति सम्पन्न हो कर भी उन्होंने दासत्व का भाव स्वीकार किया।
अहंकार में तीन गए!
धन,वैभव और वंश!
ना मानो तो देख लो!
रावण, कौरव और कंस!
🚩जै श्री महाकाल🚩
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