मंगल सूत्र और अनाहत (हृदय) चक्र,कुण्डलिनी विज्ञान
*****************************
भारतीय सांस्कृति जो कि हमारे ऋषि-मुनियों हमे उपलब्ध हुई है उसके अनुसार,विवाह के समय 7 फेरो के अलावा मंगल सूत्र भी पहनाया जाता है किंतु सोचने का विषय यह है कि जब विवाह दो लोगो का हुआ है तो फिर मंगलसूत्र सिर्फ स्त्री के लिए क्यो?पुरुष के लिए क्यु नही??😊
इसे समझना होगा की हमारे पूर्वजों में और वो साधक,ऋषि-मुनियों ने,जो कि सफल शोधकर्ता भी थे,उन्होंने ये नियम क्यो बनाया।
इस विषय को समझने के लिए हमे भी अध्यात्म का सहारा लेना पड़ेगा।समझने का प्रयास करते है।
हमारे शरीर जो हमे दिखता है उसके के अलावा हमारे और भी शरीर है जो हमे दिखाई नही देते किन्तु वे होते है हमारे प्रत्यक्ष शरीर की पूरी बनावट सूक्ष्म रूप से हमारे अवचेतन मन से होते हुए अतिचेतन मन मे छप जाती है और है हर मन का अपना अलग शरीर होता है जैसे अतिचेतन की इलेक्ट्रॉनिक बॉडी।इस प्रकार हमारे मन सात है भीतर से भीतर के तरफ और हर मन का एक शरीर होता है इन बातों को ध्यान के माध्यम से इसे समझा जा सकता है।बस हमे पता हो कि ध्यान होता क्या है और कैसे किस पे लगाया जा सकता है?
हमारे शरीर के भीतर,हमारे शरीर के सातों मनो के सात चक्र होते है । मूलाधार ,स्वाधिष्ठान, मणि पुर,अनाहत,विशुद्ध,आज्ञा और सहस्त्रार चक्र आदि।इन सभी चक्रो के गुण एवं भावनाये भिन्न-भिन्न होते है।इनमे अनाहत चक्र का मूल गुण प्रेम होता है फिर वह माता-पिता,भाई-बहनों, मित्रो और पति-परिवार सब के लिये हो सकता है।ये चक्र जिसका भी जागृत होता है उसका व्यवहार और वाणी आदि शांत और सौम्य होती है।इन चक्रों को जागृत करने का आसान तरीका है इन चक्रो पे ध्यान लगातार लगाए रखना।इस मंगल सूत्र को धारण करने से ध्यान लगातार चेन या धागे के कारण विशुद्धचक्र पे एवं लॉकेट के अनाहत चक्र से लगातार टकराने से इन दोनों चक्रो पे ध्यान लगातार लगा रहता है चुकी इस मंगलसूत्र को पति द्वारा धारण कराया जाता हैं इसी कारण ध्यान इन चक्रों को सक्रिय करता है और पति के लिए लगातार शुभकामनाएं प्रसारित करता है जिससे पति की आयु,व्यापार, स्वास्थ आदि पत्नी की मनोस्थिति एवं कामना केअनुसार बनता बिगड़ता रहता है।इस स्थान पे यदि माता-पिता,या अन्य लोगो द्वारा दिया गया लॉकेट सूत्र में दिया जाए तो देने वाले के प्रति,उसकी कामनानुसार फल देने लगते है।इसी क्रिया के अनुसार तावीज आदि धारण कराये जाते है।इसी श्रेणी में यदि इन सूत्रों को यदि कमर में बांधा जाए तो मणिपुर चक्र जागृत होगा,औऱ पैर में बांधा जाए तो मूलाधार चक्र।ये सामान्य सा नियम है कि शरीर मे जहां भी दबाव या स्पर्श महसूस होगा ध्यान वही लगा रहता है।काम वासना में लगे लोगो का मूलाधार,शक्ति एवं जल का ज्यादा उपयोग करने वालो का स्वाधिष्ठान, भोजन में रुचि रखने वालों का मणिपुर,प्रेम से अनाहत,ज्ञान-विद्यादि में रुचि से विशुद्ध एवं एकांकी ध्यानादि से सहस्त्रार सक्रिय हो जाता है।इस विषय को समझने के लिए कुण्डलिनी विद्या को समझना होगा।
।।क्रमशः।।
🚩जै श्री महाकाल🚩
व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार©2020 सर्वाधिकार सुरक्षित
।। राहुलनाथ।।™
(ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्री)
📞 📞+ 917999870013,
+919827374074 (w)
**** #मेरी_भक्ति_अघोर_महाकाल_की_शक्ति ****
चेतावनी:-इस लेख में वर्णित सभी नियम ,सूत्र,
व्याख्याए,एवं तथ्य हमारी निजी अनुभूतियो के स्तर पर है और यहां तांत्रिक-आध्यात्मिक ग्रंथो एवं स्वयं के अभ्यास अनुभव के आधार पर कुछ मंत्र-तंत्र सम्बंधित पोस्ट मात्र शैक्षणिक उद्देश्यों हेतु दी जाती है।जिसे मानने के लिए आप बाध्य नहीं है।
विवाद की स्थिति में न्यायलय क्षेत्र दुर्ग छत्तीसगढ़,भारत,©कॉपी राइट एक्ट 1957)
🚩JAISHRRE MAHAKAL OSGY🚩
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें