शनिदेव की साढ़ेसाती एवं पनौती वर्ष 2017
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शनि महाराज धनु राशि में 26 अक्टूबर 2017 गुरुवार को सायं 6 बजकर 11 मिनट पर लौट आएंगे।
शनिदेव के गोचर, साढ़ेसाती और महादशा का हमारे जीवन में बहुत गहरा असर होता है। इसके प्रभाव से न सिर्फ मनुष्य बल्कि प्रकृति में भी बड़े बदलाव होते हैं। ये बदलाव शुभ और अशुभ दोनों हो सकते हैं। इसका फल राशि और कुंडली में शनि की चाल और स्थिति से तय होता है।
शनि के धनु में प्रवेश करते ही तुला राशि के जातकों को साढ़े साती से पूरी तरह से मुक्ति मिल जाएगी , इसके अलावा वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि साढ़े साती का अंतिम दौर प्रारंभ हो जायेगा तथा धनु वालों के लिए इसका मध्य भाग प्रारम्भ हो जायेगा और मकर राशि के जातकों के लिए “शनि साढ़े साती” प्रारम्भ हो जाएगी .
पनौती
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जब जन्म राशी से चौथे और आठवें भाव से शनि देव का गमन होता है तब इस गमन काल को शनिदेव की "अढैया या पनौती" कहा जाता है।शनिदेव का यह गमन काल "अढाई" वर्षो का होता है
सामान्य रूप से हर एक आदमी साढ़ेसाती को लेकर डरा व सहमा-सा रहता है। लेकिन, जो जातक सभी की मदद करते हैं, कपट नहीं करते, सदा पुण्य कर्म करते है, ईमानदार रहते हैं, अभिमान नहीं करते हैं उन सभी के लिए शनिदेव कभी भी बाधा नहीं बनते हैं। एेसे सच्चरित्र जातकों के ऊपर हमेशा शनिदेव की कृपा बनी रहती है।
"कन्या राशि" के जातकों के लिए शनि जन्मकालीन चंद्र से चौथे स्थान पर गोचर करता है। इसलिए, कन्या राशि के लिए शनि की छोटी पनौती (ढैय्या) कही जाएगी।
" वृषभ राशि"की बात करें तो शनि जन्मकालीन चंद्र से आठवें स्थान पर से गतिमात होता है। शनि के इस चाल की वजह से वृषभ राशि के जातक इस समय शनि की छोटी पनौती की अवस्था से होकर गुजरेंगे।
विशेष उपाय
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शनि की पनौती चल रही हो तो काले तिल पानी में डाल के ( थोड़े से मुठी भर के नही) स्नान करें या सप्त धान उबटन वो शरीर पे लगा के स्नान करें | ग्रहों की शांति हो जाती है.... सबकी नौ ग्रहों की शांति और घर में सुख समृधि की वृद्धि हो सकती है | सबसे बड़ी बात डराने वाले लोगों की बातों में न आओ |
नीचे दी गई राशि के जातकों को
ये उपाय अवश्य ही करना चाहिए
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वृश्चिक राशि (न, च) –
शनि की पनौती का अंतिम चरण (चंद्र से दूसरे स्थान पर शनि)
धनु राशि (भ, ध, फ, थ)–
शनि की पनौती के मध्य का चरण (चंद्र के ऊपर से शनि)
मकर राशि (ख, ज) –
शनि की साढ़े साती का प्रथम चरण (चंद्र से बारहवें में शनि)
कन्या राशि (प, ठ, ण) –
शनि की छोटी पनौती (चंद्र से चौथे स्थान पर शनि)
वृषभ राशि (ब,व,उ) –
शनि की छोटी पनौती (चंद्र से आठवें में शनि की उपस्थिति)
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शिवशक्ति ज्योतिष एवं वास्तु
भिलाई,36 गढ़,भारत
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शनि देव के अशुभ होने की निशानी
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* शनि के अशुभ प्रभाव के कारण मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता है या क्षतिग्रस्त हो जाता है।
* कर्ज या लड़ाई-झगड़े के कारण मकान बिक जाता है।
* अंगों के बाल तेजी से झड़ जाते हैं।
* अचानक घर या दुकान में आग लग सकती है।
* धन, संपत्ति का किसी भी तरह से नाश होता है।
* समय पूर्व दांत और आंख की कमजोरी।
शनि बहुत ज्यादा खराब है तो...
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* व्यक्ति पराई स्त्री से संबंध रखकर बर्बाद हो जाता है।
* व्यक्ति जुआ, सट्टा आदि खेलकर बर्बाद हो जाता है।
* व्यक्ति किसी भी मुकदमे में जेल जा सकता है।
* व्यक्ति की मानसिक स्थिति बिगड़ सकती है। वह पागल भी हो सकता है।
* व्यक्ति अत्यधिक शराब पीने का आदी होकर मौत के करीब पहुंच जाता है।
* व्यक्ति किसी भी गंभीर रोग का शिकार होकर अस्पताल में भर्ती हो सकता है।
* भयानक दुर्घटना में व्यक्ति अपंग हो सकता है या मर भी सकता है।
नोट :उपरोक्त स्थिति निर्भर करती है शनि ग्रह की कुंडली में स्थिति और व्यक्ति के कर्मों अनुसार।
उपाय वैदिक
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सरल शनि मंत्र व स्तोत्र
(1)सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्षः शिवप्रियः
मंदचार प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु में शनिः
(2)नीलांजन समाभासं रवि पुत्रां यमाग्रजं।
छाया मार्तण्डसंभूतं तं नामामि शनैश्चरम्।।
(3)प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
(4)ओम शं शनैश्चराय नमः।
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया।
कण्टकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा।।
शं शनैश्चराय नमः।
(5)ओम शं शनैश्चराय नमः।
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु कृष्णौ रौद्रान्तको यमः।
सौरि शनैश्चरा मंद पिप्पलादेन संस्थितः।।
ओम शं शनैश्चराय नमः।
नोट:-इन मंत्रो का नित्य 108 बार जाप करे।
दशरथकृत शनि स्तोत्र
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नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।1
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।। 2
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।। 3
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।। 4
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ।। 5
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ।। 6
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ।। 7
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ।। 8
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।। 9
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ।।10
शनि के अन्य उपाय
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* सर्वप्रथम शनि ग्रह के स्वामी भगवान भैरव से माफी मांगते हुए उनकी उपासना करें।
* हनुमान ही शनि के दंश से बचा सकते हैं तो प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें।
* शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं।
* तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ और जूता दान देना चाहिए।
* कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं।
* छायादान करें अर्थात कटोरी में थोड़ा-सा सरसों का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापों की क्षमा मांगते हुए रख आएं।
* दांत, नाक और कान सदा साफ रखें।
* अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाइकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें।
* कभी भी अहंकार, घमंड न करें, विनम्र बने रहें।
* किसी भी देवी, देवता, गुरु आदि का अपमान न करें।
* शराब पीना, जुआ खेलना, ब्याज का धंधा तुरंत बंद कर दें।
* पराई स्त्री से कभी संबंध न रखें।
शनि की सावधानी
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* यदि शनि कुंडली के प्रथम भाव यानी लग्न में हो तो भिखारी को तांबा या तांबे का सिक्का कभी दान न करें अन्यथा पुत्र को कष्ट होगा।
* यदि शनि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला का निर्माण न कराएं।
* अष्टम भाव में हो तो मकान न बनाएं, न खरीदें।
* उपरोक्त उपाय भी लाल किताब के जानकार व्यक्ति से पूछकर ही करें।
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