गुरुवार, 17 अगस्त 2017

नाथ सम्प्रदाय का पुराणों में स्थान

नाथ सम्प्रदाय का पुराणों में स्थान
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नाथ संप्रदाय पर विपुल श्रेष्ठ सामग्री प्राचीन ग्रंथ में बिखरी पड़ी है पर उनका संतोषजनक सूक्ष्म शोध-संग्रह एवं संपादन शेष है। उदहारण स्वरूप नारद पुराण उत्तर भाग,अध्याय ६९,स्कंध पुराण, नागरखंड,अध्याय २६२,भविष्य पुराण,प्रतिसर्ग पर्व ,में श्रीमत्स्येन्द्रनाथ जी एवं श्री गोरखनाथ जी के प्रादुर्भाव की बड़ी रोचक कथाएं वर्णित है इसके साथ ही मत्स्यनाथ,मीननाथ, अवलोकितेश्वर आदि पर्यायवाची नाम भी प्राप्त होते है।
इसी प्रकार महर्षि दुर्वासा-विरचित 'ललितास्तव' के श्लोक ५६ में हनुमानजी के पिता वायु देवता के साथ-

वन्दे तदुत्तरहरित्कोने वायुम् चमरुवरवाहम्।
कोरकितत्व बोधान गोरक्षप्रमुखयोगिनोपि मुहु:।।

तत्वबोधोत्पन्न योगियोमे श्रीगोरक्षनाथजी का सर्वोप्रथम निर्देश किया गया है।योग-सिद्धियों से संबंध होनेके कारण नवनाथोका भी श्री हनुमान जी से संबंध रहा है।कई बार संस्पर्धा सी भी इनमे चली है जिसका श्री नाथ सिद्ध संत उल्लेख करते है।
साभार श्रीहनुमान अंक,कल्याण,गीताप्रेस

।।राहुलनाथ।।
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