शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2017

शुक्रनीति

शुक्रनीति...गुप्तता एवं रहस्यमय के चमत्कारी वचन

शुक्राचार्य यद्दपि असुरों के गुरु है , किन्तु ये भगवान् के अनन्य भक्त हैं | ये योगविद्द्या के आचार्य है और इनकी शुक्रनीति बहुत प्रसिद्ध् है | असुरों के साथ रहते हुए भी ये उन्हें सदा धर्मकी, नीतिकी, सदाचारकी शिक्षा देते रहे | इन्ही के प्रभाव से प्रह्लाद, बलि तथा विरोचन आदि भगवद्भक्त बने | शुक्रनीति में अनेक सुन्दर बातें आई हैं, उनमें से कुछ यहाँ दी जा रही हैं –

(१) व्यक्ति को चाहिये कि वह दूरदर्शी बने | सोचविचारकर विवेक से कार्य करे, आलसी किंवा प्रमादी न बने –

दीर्घदर्शी सदा च स्यात् .......... | चिरकारी भवेन्न हि ||

(२) बिन सोचे – समझे किसीको मित्र न बनाये |

(३) विश्वस्तका भी अत्यन्त विश्वाश न करे – ‘नात्यन्तं विश्वसेत् कञ्चित् विश्वस्तमपि सर्वदा ‘|

(४) अन्नकी निन्दा न करे – ‘अन्न न निन्द्दात् |’

(५) आयु, धन, गृहके दोष, मन्त्र, मैथुन, औषध, दान, मान तथा अपमान – इन नौ विषयों को अत्यन्त गुप्त रखना चाहिये, किसीसे कहना चाहिये –

आयुर्वित्तं गृहच्छिद्रम मंत्रमैथुनभेषजं |

दानमानापमानं च नवैतानि सुगोपयेत ||

(६) किसी के साथ कपटपूर्ण व्यवहार तथा किसी की आजीविका की हानि नहीं करनी चाहिये एवं कभी भी किसीका मन से भी अहित नहीं सोचना चाहिये |

(७) दुर्जनों की संगति का परित्याग करना चाहिये –

‘त्यजेदुर्जनसंगतं ‘ |

(८) सुख का उपभोग अकेले न करे , न सभी पर विश्वास ही करे और न सभी पर शंका ही करे –

नैकः सुखी न सर्वत्र विश्रोब्धो न च शङ्कितः |

सब प्रकार के राजधर्म और नीतिसंदर्भों को बताकर अंत में महामति शुक्राचार्य जी भगवान श्री राम को सर्वोपरि नीतिमान बताते हुए कहते है कि इस पृथ्वी पर भगवान श्री राम के समान कोई दूसरा नीतिमान राजा नहीं हुआ –

‘न रामसदृशो राजा पृथिव्यां नीतिमानभूत ‘

इस नीतिवचन द्वारा शुक्राचार्य यही संदेश प्रसारित करते हैं कि राजाओं को श्री रामके समान बनाना चाहिये और प्रजा को श्री राम के आचरणों का अनुकरण करना चाहिये –

‘रामादिवद वर्तितव्यं ‘| इसी में सबका परम कल्याण है |

।।ये 6 वस्तु कभी नहीं टिकती।।
श्लोक

यौवनं जीवितं चित्तं छाया लक्ष्मीश्र्च स्वामिता।
चंचलानि षडेतानि ज्ञात्वा धर्मरतो भवेत्।।

1. यौवन और रूप
हर कोई चाहता हैं कि उसका रूप-रंग हमेशा ऐसे ही बना रहे, वो कभी बूढ़ा (old) न हों, लेकिन ऐसा होना किसी के भी संभव नहीं होता है। यह प्रकृति का नियम (rule of nature) है कि एक समय के बाद हर किसी का युवा अवस्था (young age) उसका साथ छोड़ती ही है। अब हमेशा युवा बने रहने के लिए मनुष्य चाहे कितनी ही कोशिशें कर ले, लेकिन ऐसा नहीं कर पाता।

2. जीवन
जन्म और मृत्यु मनुष्य जीवन के अभिन्न अंग (important part) है। जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु निश्चित ही है। कोई भी मनुष्य चाहे कितने ही पूजा-पाठ कर ले या दवाइयों (medicines) का सहारा ले, लेकिन एक समय के बाद उसकी मृत्यु (death) होगी ही। इसलिए, अपने या अपने किसी भी प्रियजन के जीवन से मोह बांधना अच्छी बात नहीं है।

3. मन
हर किसी का मन बहुत ही चंचल होता हैं, यह मनुष्य की प्रवृत्ति (nature) होती है। कई लोग कोशिश करते हैं कि उनका मन उनके वश में रहे, लेकिन कभी न कभी उनका मन उनके वश से बाहर हो ही जाता है और वे ऐसे काम कर जाते हैं, जो उन्हें नहीं करना चाहिए। कुछ लोगों का मन धन-दौलत में होता है तो कुछ लोगों का अपने परिवार (family) में। मन को पूरी तरह से वश में करना तो बहुत ही मुश्किल (very difficult) है, लेकिन योग (yog) और ध्यान की मदद से काफी हद तक मन पर काबू पाया जा सकता है।

4. परछाई
मनुष्य की परछाई (shadow) उसका साथ सिर्फ तब तक देती है, जब तक वह धूप में चलता है। अंधकार आते ही मनुष्य की छाया भी उसका साथ छोड़ देती है। जब मनुष्य की अपनी छाया हर समय उसका साथ नहीं देती ऐसे में किसी भी अन्य व्यक्ति से इस बात की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए कि वे हर समय हर परिस्थिति में आपका साथ देंगे।

5. लक्ष्मी ( धन)
धन-संपत्ति हर किसी की चाह होती है। हर मनुष्य चाहता है कि उसके पास धन-दौलत हो, जीवन की सभी सुख-सुविधाएं हों। ऐसे में कई लोग धन से अपना मोह बाध लेते हैं। वे चाहते हैं कि उनका धन हमेशा उन्हीं के पास रहें, लेकिन ऐसा हो पाना संभव नहीं होता। मन की तरह ही धन (money)का भी स्वभाव बड़ा ही चंचल होता है। वह हर समय किसी एक जगह पर या किसी एक के पास नहीं टिकता। इसलिए धन से मोह बांधना ठीक नहीं होता।

6. सत्ता या अधिकार
कई लोगों को पॉवर (power) यानि अधिकार पाने का शौक होता है। वे लोग चाहते हैं कि उन्हें मिला पद (post) या अधिकार पूरे जीवन उन्हीं के साथ रहें, लेकिन ऐसा होना संभव नहीं है। जिस तरह परिवर्तन प्रकृति का नियम है, उसी तरह पद और अधिकारों का परिवर्तन (change) भी समय-समय पर जरूरी होता है। ऐसे में अपने वर्तमान पद या अधिकार को हमेशा अपने ही पास रखने की इच्छा मन में नहीं आने देनी चाहिए।

जानें कौन सी हैं वे 9 बाते जिन्हें हमेशा गुप्त रखना चाहिए।

आयुर्वित्तं गृहच्छिद्रं मंत्रमैथुनभेषजम्।
दानमानापमानं च नवैतानि सुगोपयेतू।।

1. मान

कई लोगों के अपने मान-सम्मान का दिखावा करने की आदत होती है। यह आदत किसी भी मनुष्य के लिए अच्छी नहीं होती। मान-सम्मान का दिखावा करने से लोगों की नजर में आपके प्रति नफरत का भाव आ सकता है। साथ ही इस आदत की वजह से आपके अपने भी आपसे दूरियां बना सकते हैं।

2. अपमान

मनुष्य को यदि कभी अपमान का सामना करना पड़ जाए तो उसे इस बात को सभी से गुप्त ही रखना चाहिए। यह बात दूसरों को बताने से आपके लिए ही नुकसानदायक साबित हो सकती हैं। दूसरों को पता चलने पर वे भी अपना सम्मान करना छोड़ देंगे और आप हंसी का पात्र भी बन सकते हैं।…

3. मंत्र

कई लोग भगवान की कृपा पाने के लिए रोज उनकी पूजा-पाठ करते हैं। ऐसे में आप जिन मंत्रों का जप करते हैं, ये बात किसी को भी नहीं बताना चाहिए। कहा जाता है जो मनुष्य अपनी पूजा-पाठ और मंत्र को गुप्त रखता है, उसे ही अपने पुण्य कर्मों का फल मिलता है।

4. धन

पैसों से जीवन में कई सुख-सुविधाएं पाई जा सकती हैं, लेकिन कई बार यही पैसा आपके लिए परेशानी का कारण भी बन सकता है। अपके धन की जानकारी जितने कम लोगों को हो, उतना ही अच्छा माना जाता है। वरना कई लोग अपके धन के लालच में आपसे जान-पहचान बढ़ाकर बाद में आपकों नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।

5. आयु

हमेशा से कहा जाता है कि मनुष्य को अपनी आयु हर किसी के सामने नहीं बतानी चाहिए। आयु को जितना गुप्त रखा जाए, उतना ही अच्छा माना जाता है। आपकी आयु को पता चलने पर आपके विरोध इस बात का प्रयोग समय आने पर आपके खिलाफ भी कर सकते हैं।

6. गृह के दोष

कई लोग गृहों के दोषों से पीड़ित होते हैं, जिसकी वजह से उन्हें कई तरह की समस्याओं और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अपने गृह संबंधी दोषों का वर्णन किसी से भी करना आपके लिए नई मुसीबतों का कारण बन सकता है। गृह शांति के लिए किए जा रहे उपायों का वर्णन यदि किसी से कर दिया जाए तो फिर उसका कोई फल नहीं मिलता है।

7. औषध

औषध का अर्थ होता है डॉक्टर। चिकित्सक या डॉक्टर एक ऐसा व्यक्ति होता है, जो आपके बारे में कई निजी बातें भी जानता है। ऐसे में आपके दुश्मन या आपसे जलने वाले लोग चिकित्सक की मदद से आपके लिए परेशानी या समाज में शर्मिंदगी का कारण बन सकते हैं। इसलिए, बेहतर यही होगा कि आपके औषध या चिकित्सक की जानकारी सभी लोगों से गुप्त रखी जाए।

8. मैथुन यानि कामक्रिया

कामक्रिया पति और पत्नी के बीच की अत्यंत गुप्त बातों में से एक होती है। इस बात को जितना गुप्त रखा जाए, उतना अच्छा होता है। पति-पत्नी की निजी बातें किसी तीसरे मनुष्य को पता चलना, उसके लिए परेशानी और कई बार शर्म का भी कारण बन सकती है।

9. दान

दान एक ऐसा पुण्य कर्म है, जिसे गुप्त रखने पर ही उसका फल मिलता है। जो मनुष्य दूसरों की तारीफ पाने के लिए या लोगों के बीच अपनी महानता दिखाने के लिए अपने किए गए दान का दिखावा करता हैं, उसके किए गए सभी पुण्य कर्म नष्ट हो जाते है।

शुक्रनीति: जिस वंश में आ जाते हैं ऐसे अंश उसका हो जाता है अंत

अपने रोजमर्रा के जीवन में जो काम किए जाते हैं उनमें से कुछ बातों की आदत पड़ जाती है। जो धीरे-धीरे लत बन जाती है। कुछ आदतें ऐसे होती हैं जो लगता है की यह सामान्य हैं लेकिन जिस वंश में आ जाती हैं उस कुल का अंत कर देती हैं। शुक्रनीति के अनुसार 4 ऐसी आदते हैं जिनके करीब कभी भी किसी हालत में नहीं जाना चाहिए।

शुक्रनीति के श्लोक अनुसार-

अनृतात् पारदार्याच्च तथाभक्ष्यस्य भक्षणात्।

अगोत्रधर्माचरणात् क्षिप्रं नश्यति वै कुलम्।।

झूठ बोलना न केवल बुरी आदत है बल्कि पाप का भागी भी बनाता है। झूठ बोलने वाला चाहे स्वयं के हित को ध्यान में रखते हुए झूठ का सहारा लेता है लेकिन भविष्य में उसे दुःखों और परेशानियों से रूबरू होना पड़ता है। कभी भी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए।

हर परिवार की अपनी- अपनी परंपराएं होती हैं। उनका मान-सम्मान सभी छोटे-बड़े सदस्यों को करना चाहिए अन्यथा कुल का नाश होते समय नहीं लगता।

न केवल शुक्रनीति में बल्कि हिंदू धर्म के सभी शास्त्रों में पराई महिला पर बुरी नजर डालना अथवा उससे उसकी इच्छा के विरूद्ध या सहमती से संबंध स्थापित करना महापाप माना (व्यक्तिगत वअनुभूति एवं वगया है। जो पुरूष ऐसा करता है मरणोपरांत उसका वास नरक में होता है। इस पाप से वंश का तो नाश होता ही है साथ ही इसके दुष्प्रभाव का दाग आने वाली पीढ़ियों पर भी लग जाता है।

हिंदू धर्म के सभी धर्म शास्त्रों में मांस खाने की मनाही है। जो व्यक्ति जीव हत्या करके उसका सेवन करता है वह मनुष्य नहीं बल्कि राक्षस के समान है। भगवान ऐसे व्यक्ति पर कभी अपनी कृपा नहीं करते। उन्हें किसी भी धार्मिक काम का फल प्राप्त नहीं होता। मांसाहारी लोगों के जीवन में कभी स्थिरता नहीं आती।
संकलित पोस्ट द्वारा शुक्रनीति -राहुलनाथ

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।। मेरी भक्ति गुरु की शक्ति।।
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