भगवान का मोजा !!
मित्रों आपने देखा होगा?
जब गाय भैस का बछडा मर जाता है तब बहुत से पशु पालक उस बछडे के शरिर के भीतरी अंगो को निकाल कर,उसके चर्म मे भुसा भर कर उसे एक स्थान से सिल देते है !एक प्रकार का मोजा पहना देते है !
ठिक उसी प्रकार ईश्वर ने हमे भी एक मोजे मे डाल कर एक स्थान से सिल रखा! कही भी हमारे शरिर के चर्म मे जोड नही है प्रकृ्तिक रुप से !सिवाय एक स्थान के !वह स्थान लिन्ग के निचे एक रेखा के रुप मे !!
जहां आदिश्क्ति कुंडलिनि शक्ति विराज मान रहती है!!
सारे रहस्य योग शात्र के इसि स्थान पे उप्लब्ध है!
शरिर के ह अंग के स्विच यहि है!जैसे विमान मे ब्लैक बाक्स होता है!
उसी प्रकार हमारे शरीर रुपि वायुयान,जिस्मे आत्मा निवास करता है!
इस्का ब्लैक बाक्स यही उपलब्ध होता है !!
इसे ही लंका पुरी भी कहते है !!
पुरे शरिर मे फैली नाडियो का संग्रह यहि होता है !!
अश्वनि(मुद्रा) देवता इस स्थान की सेवा करते है और रक्षा भी!!
साधना पुजा के समय अथ्वा ध्यान के अवस्था मे इस स्थान पे एक प्रकार का स्पन्दन प्रारम्भ हो जाता है !कुछ कम्पन सा महसुस होने लगता है!
मेरि अनुभुति के अनुसार ये कम्पन गाय को छुने के दौरान,यह गाय को छुये स्थान मे होने वाले कंपन के समान होता है !
यह कंपन सर्प के रेंगने समान भि महसुस होता है!!
यह कंपन कुंडलि जागरन का प्रतिक होता है!!
*****जयश्री महाकाल****
******स्वामी राहुलनाथ********
(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
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।। मेरी भक्ति गुरु की शक्ति।।
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