शत्रु-मोहन
“चन्द्र-शत्रु राहू पर, विष्णु का चले चक्र।
भागे भयभीत शत्रु, देखे जब चन्द्र वक्र।
दोहाई कामाक्षा देवी की, फूँक-फूँक मोहन-मन्त्र।
मोह-मोह-शत्रु मोह, सत्य तन्त्र-मन्त्र-यन्त्र।।
तुझे शंकर की आन, सत-गुरु का कहना मान।
ॐ नमः कामाक्षाय अं कं चं टं तं पं यं शं ह्रीं क्रीं श्रीं फट् स्वाहा।।”
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।।राहुलनाथ ।।
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||जयश्री महाकाल ।।
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