अप्सरा साधन विधि क्रोध भैरवानुसार
उन्मत्त भैरव भूत डामर तंत्र में अप्सरा साधन नामक दशम पटल में उन्मत्त भैरव इसे कहते हैं कि, आज मैं आपको अप्सरा साधन की विधि बताने जा रहा हूं जिसे आप गुप्त रुप से कर सकते हैं
ॐ श्रीं तिलोत्तमा,श्रीं ह्रीं कांचनमाला,ॐ श्रीं हूँ कुलहारिणी,ॐ हूँ रत्नमाला,ॐ हूँ रंभा,ॐ श्रीं उर्वशी,ॐ रमाभूषिणि।
क्रोध भैरव को नमस्कार करके यह सब साधन मंत्र मैं कह रहा हूं।।3।।
पर्वत शिखर पर चढ़कर एक लाख मंत्र का जाप करें उसके बाद पूर्णिमा तिथि में अर्चना करके घी का प्रदीप निवेदन करें,सारी रात जप करने पर रात के अंत में देवी आगमन करती है उसके बाद साधक के चंदन द्वारा अर्घ्य प्रदान करने पर शशिदेवी संतुष्ट होकर साधक को वर प्रार्थना करने को कहती है शशिदेवी भार्या होकर इच्छानुसार रसायन द्रव प्रदान करती है एवं दीर्घायु तक पालन करटी है ।।4।।
साधक दूध पीकर 7 दिन तक दशसहस्त्र मंत्र का जाप करें उसके बाद सातवें दिन चंदन के द्वारा मंडल निर्माण कर के शक्ति के अनुसार पूजा करे।शुक्ल पक्ष के अष्टमी तिथि को पर्वत शिखर पर आरोहर करके जप करें,सारी रात जप करने पर रात्रि के अंत में देवी आगमन करके साधक को समक्ष उपस्थित होती है एवं साधक की भार्या होकर चुंबन तथा आलिंगन करके राज्य प्रदान करती है उसके बाद साधक को स्वर्गपूर में प्रदर्शन कर आती है साधक इस प्रकार से आजीवन विधित भोग कर के मरने के बाद राज कुल में जन्म ग्रहण करते हैं।।5।।
किसी नदी संगम स्थल पर जाकर चंदन के द्वारा मंडल निर्माण करके अगूरु के द्वारा धूप देकर बलि प्रदान करें, उसके बाद 7 दिन तक प्रतिदिन 8000 मंत्र जप करें तदनंतर सातवें दिन पूजा करके धुप प्रदान करके रात में पुनर्वार मंत्र का जप आरंभ करना होगा, रात के अंत में देवी के उपस्थित होने पर चंदन के द्वारा अर्घ्य दें इससे देवी संतुष्ट होकर साधक को वर ग्रहण करने को कहेगी तब साधक कहे हे देवी मुझे मातृवत् पालन करो उसके बाद देवी साधकों को वस्त्र अलंकार तथा भोज्य वस्तु प्रदान करती है ।।6।।
कोई तिथि नक्षत्र का विवेचन न करके नदी तट में जाकर 10 हजार बार मंत्र जप करें इस साधना में उपवास नहीं करना होता इस प्रकार 1 मास तक जप करके धुप प्रदान करके,रात को पुनः जप करे इस प्रकार आधी रात तक जप करने पर देवी आगमन करती है तत्क्षणात् साधक उन्हें अर्घ्य प्रदान करें इससे देवी संतुष्ट होकर साधक की भार्य होकर प्रतिदिन लक्ष्य स्वर्ण मुद्रा तथा नाना विद रसायन द्रव्य प्रधान करती है।।7।।
किसी देवालय में जाकर 8000 बार जप करें इस प्रकार 1 मास तक जब करें मासांत में पूर्णिमा तिथि को पुनर्वार जब प्रारंभ करें इसके बाद विविध उपचार से अर्चना करने पर आधी रात को नुपुर ध्वनि सुनाई देगी थोड़ी देर बाद देवी के समीप में उपस्थित होने पर साधक पुष्पासन प्रदान करें इससे देवी संतुष्ट होकर साधक से कहेगी तुम क्या चाहते हो तब साधक कहे तुम मेरी भार्या हो जाओ ।इस प्रकार सिद्धि होने पर देवी भार्या कर्म करती रहती है एवं अभिलाषित भोजन द्रव्य प्रदान करती रहती है तथा रत्नमाला देवी आजीवन साधक का प्रतिपालन करती रहती है ।।8।।
प्रतिपदा तिथि में चंदन द्वारा मंडल निर्माण करके गूगूल द्वारा धूप प्रदान कर के 8000 पूवोक्त रंभा मंत्र का जप कर के प्रतिपद से चतुर्दशी तक इस प्रकार जप करके पूर्णिमा को विविध उपाय उपचार से त्रिसंध्या तीन बार पूजा करके सारी रात मंत्र जप करें रात के अंत में देवी आगमन करके साधक की भार्या होती है एवं साधक को अभिलाषित तथा विविध रसपूर्ण भोजनिय वस्तु प्रदान करती है इस प्रकार सिद्धि होने पर साधक दीर्घायु तक जीवित रह कर रंभा देवी के प्रसाद से मरने के बाद में राज कुल में जन्म ग्रहण करता है।।9।।
रात को किसी देवालय में जाकर चंदन के द्वारा मंडल मना कर धुप प्रदान करके उर्वशी का 10000 मंत्र जाप करें इस प्रकार 1 मास तक जप करके मासांत में महति पूजा करके रात को जप करें सारी रात इस प्रकार से जब करने पर रात के अंत में देवी आगमन करती है तब साधक पुष्पासन प्रदान करें,इससे देवी संतुष्ट होकर साधक का मंगल पूछकर कहेगी तुम क्या अभिलाषा करते हो तब साधक कहे हे देवी तुम मेरी भार्या ही हो जाओ एवं विविध रस विशिष्ट भोजन मुझे अर्पण करो इस प्रकार मंत्र सिद्धि होने पर उर्वशी अप्सरा साधक का आजीवन तक पालन करती है यह देवता सिद्धि होने पर साधक को अन्य स्त्री का परित्याग करना होगा,अन्यथा साधक की मृत्यु हो सकती है ।10।।
रात को सूची होकर अकेले बिस्तर पर बैठ कर भोजपत्र में कुमकुम के द्वारा भूषणी की प्रतिमूर्ति अंकित करके चंदन के द्वारा धुप प्रदान करके भूषणी देवी का 8000 मंत्र जप करें 1 मास तक प्रतिदिन इस प्रकार जप करके मासांत में देवी की अर्चना करके पूनः मंत्र 8000 बार जप करे इससे आधी के समय में देवी आगमन करके साधक की भार्या होती है एवं साधक के प्रति संतुष्ट होकर नानाविध अभिलाशीत द्रव्य तथा स्वर्ण प्रदान करती है।11।।
क्रोधराज कहने लगे यदि उपरोक्त साधना में भी देवीगण आगमन नहीं करती है "ॐ कटु कटु अमुकी हुँ फट्।।
इस मंत्र का 8 हजार जप करें इससे भी पूर्वोक्त देवीगढण आगमन न करें तब तत् क्षणात उन सब का मस्तक फट कर उनकी मृत्यु होती है उसके बाद
ॐ वंध वंध हन हन अमुकी हुँ
इस मंत्र से अप्सरा गणों को वंध करें ।।12।।
इस समय अप्सराओं के वशीकरण मंत्र कह रहा हूं
"ॐ चल चल अमुकी वशमानय हूँ फट्"
यह मंत्र जप करने पर अप्सरा गण वशीभूत होती है तदनंतर क्रोध भूपति ने मनुष्य के उपकारार्थ में जो आठ अप्सरा साधना कहा हैं वह कहा जा रहा है
।इस विधान क्रम से मुद्रा बंधन आदि करके साधना करने पर अप्सरागण जननी,भगनी,भार्या तथा दासी होकर मनुष्य के वशीभूत होती है।। 14।
मुद्रा बंध प्रणाली इस प्रकार है दोनों हाथों की मुठ्ठी बांधकर पद्मावृत्त करें एवं मध्यम अंगुली सूची के आकार से रखे यह मुद्रा दुख विनाश करती है 15।। दोनों हाथों को खड़गाकार खंड की तरह करके रखें इस मुद्रा का नाम सात्रिद्यकारिणी है यह मुद्रा बंधन मात्र से सभी अप्सरा तत्क्षणात् वशीभूत होती है दोनों हाथ पद्मावृत करके रखने पर भी अप्सरा साधना मुद्रा होती है ।।16 ।।
तदनंतर क्रोधराजोक्त आह्वाहन मंत्र कहां जा रहा है "ॐ सर्वाप्सर आगच्छ आगच्छ हूँ हूँ ॐ फट्"
इस मंत्र से आह्वाहन करने से तत्क्षणात् अप्सरा गणो का साक्षात्कार होता है ।।17 ।।
ॐ सर्व सिद्धि योगेश्वरी हूँ फट्"
यह मंत्र अप्सराओं का संनिधिकारक है
"ॐ क्लीं स्वाहा"
इस मंत्र से अप्सराओं को अभिमुख किया जा सकता है
"ॐ वां प्रां हूँ हूँ यं हौं"
यह मंत्र अप्सराओं का मोहन कारक है ।।18।।
।।इति भूत डामरे तन्त्रे अपसरः साधनं नाम दशमः पटेलः।।
अप्सरा साधन के कुछ मंत्र।।
१-ॐ उर्वशी प्रियः वश करी हुं
२-ॐ ह्रीं उर्वशी अप्सरायः आगच्छागच्छ स्वाहः
३-ॐ ह्रीं उर्वशी ममः प्रियः ममः चित्तानुरंजनः करि करि फट।
४-ॐ नमोहः भगवती उर्वशी दैवीं देही सुंदरः भार्या कुलः केतू पद्य्मनी।
५-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीं तिलोत्तमः अप्सरः आगच्छ आगच्छ स्वाहः ।।
६-ॐ अपूर्व सौंर्दयायः अप्सरायः सिद्धियेह नमः।
विशेष: इस खंड में बहुत से गुप्त प्रयोग विधि का वर्णन किया गया है बस आवश्यकता है उन्हें सही क्रम से समझने मात्र की।इस विधान को करने से पहले क्रोधराज भैरव एवं भैरवी का तंत्रोक्त पूजन ,भोगादी प्रदान कर नमस्कार कर विधि प्रारम्भ करनी चाहिए ।यह बहुत दुष्कर एवं जटिल साधना है इसे गुरु के सानिध्य में करना चाहिए एवं साधना से पूर्व सभी अप्सराओ के आह्वाहन एवं स्थापन की मुद्राओ को एवं मूल मंत्रो को सिद्ध करना चाहिए।यह दी गई जानकारी भूतड़ामर तंत्र द्वारा साधको के ज्ञानार्थ ली गई है एवं इसके मूल रूप में कोई परिवर्तन नहीं किया है
।। राहुलनाथ ।।™
" महाकालाश्रम "
भिलाई,छत्तीसगढ़,भारत
पेज लिंक:-https://www.facebook.com/rahulnathosgybhilai/
0⃣9⃣1⃣9⃣8⃣2⃣7⃣3⃣7⃣4⃣0⃣7⃣4⃣
चेतावनी-हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे । किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में अपने योग्य विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श ले। साधको को चेतावनी दी जाती है की वे बिना गुरु के निर्देशन के साधनाए ना करे। अन्यथा मानसिक हानि भी संभव है। यह केवल सुचना ही नहीं चेतावनी भी है।
विशेष:-इस पोस्ट से सम्बंधित पूजा विधि एवं अन्य जानकारी के लिए ऊपर दीये गए नंबर व्हाट्सऐप पे संपर्क करे।।
Kiya aap mandal ki jankari de sakte he plz
जवाब देंहटाएंSir muje dixa leni he. Me gujrat me rehta hu. Koi najdiki sansthan ka addres dijiye.
जवाब देंहटाएंHallo sir me aap se Rambha apsara sadhna ke liye konsha mantra or margadarsh chahta hu
जवाब देंहटाएंये ग्यान मंत्र maharnav से कॉपी पेस्ट किया गया है
जवाब देंहटाएंYa book aap da sakta hai kya
जवाब देंहटाएं