पैंसठिया शिव
२२-३-९-१५-१६
१४-२०-२१-२-८
१-७-१३-१९-२५
१८-२४-५-६-१२
१०-११-१७-२७-४
पैंसठिया यंत्र सुखों का प्रदाता एवं इच्छाओ को पूर्ण करने में अत्यंत प्रभाव शाली यंत्र है।किसी भी शुभ तिथि मुख्य तः चतुर्दशी तिथि को सोमवार पड़ने से इस यंत्र का निर्माण अनार की कलम द्वारा गोरोचन,केसर,अष्टगंध की स्याही को मिलाकर बिना कटे-फटे भोजपत्र पे लिखना चाहिए।यंत्र प्रातः काल स्नानादि के उपरांत लिखे।इस काल मे गुलाब की खुशबू वाली धूपबत्ती का उपयोग करे।
आसन में बैठने के बाद सर्वप्रथम गुरु का स्मरण कर गुरु का ध्यान कर उन्हें प्रणाम कर ,आदिगुरु भगवान शिव की मन ही मन स्तुति करे-
।।स्तुति।।
यस्यांके च विभाति भूधरसुता देवापगा मस्तके।
भाले बाल विधुर्गले च गरलं यस्योरसि व्यालराट ।।
सोsयं भूति विभूषणः सुरवरः सर्वाधिपः सर्वदा।
सर्वः शर्वगतः शिवः शशिनिभः श्रीशंकरः पातु माम्।।
इस स्तुति के बाद भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का दस हजार रुद्राक्ष की सिद्ध माला से जाप करे।यंत्र की पंचोपचार द्वारा पूजन कर इस यंत्र को स्वर्ण या ताँबे के तावीज में रख कर दाहिनी भुजा पर काले धागे से बांध लें।
ऐसा करने से भगवान शिव के आशीर्वाद से सभी व्याधियो का हनन होता है और सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है।
।। राहुलनाथ ©₂₀₁₇।।™
" महाकालाश्रम "
भिलाई,छत्तीसगढ़,भारत
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