षड्यंत्री खान राहु भाईजान...राहु वालो
राहु की खुराक विचार हमेशा शरीर पे प्रतिक्रिया करती है।करता राहु है भरता केतु है स्त्री को देखता राहु है आँखों से,तारीफ़ करता है होठो से और जुते पड़ते है केतु(शरीर) को।इसी प्रकार लगातार उपायो द्वारा राहु केतु के साथ षड्यंत्र करता रहता है।इसका इलाज बुद्धि(बुद्ध)के पास होता है।बुद्ध ही सेनापति है और बुधवार के देवता श्री गणेश है ।
इस संग्राम के,बुद्ध की शरण में जाने से चन्द्रमा(मन)के साथ धोखा हो जाता है क्योकि केतु के पास मस्तक(दिमाग) नहीं होने के कारण वो जिस ग्रह के साथ होता है उसके दिमाग का उपयोग करता है।और इधर राहु हमेशा मन(चंद्रमा) को विचारो के माध्यम से ग्रहण लगाता है।
ऐसी अवस्था में यदि षड़यंत्र कारी बुद्ध केतु(शरीर)से मिल जाए ,तो राहु का काम तमाम हो जाता है ।जैसे राहु जनित दोषो में बुद्धि (बुद्ध) की सहायता से हमेशा प्रसन्न रहना चाहिए,जोर-जोर से हँसना चाहिए ।इस विपरीत प्रतिक्रिया के षड़यंत्र से उस राहु के साथ ही छल हो जाता है जो सबको छलता रहता है।फिर दौड़ता है राहु अपने आचार्य के पास समाधान के लिए,क्योकि शुक्राचार्य का चेला राहु ,जिसने कसम खाई थी समुद्र मंथन के समय ,हिन्दू सनातन धर्म के विरुद्ध चलने की वो आज भी अपने वचन के अनुसार कार्य कर रहा है।ये आपकी पत्रिका में जहा भी विराजमान होगा वहा 70%राशियों में उस पत्रिका के फल को उलटा कर देगा।धर्म गुरु बृहस्पति से सीधा बैर रखने वाला,यह सीधे मानसिक स्थिति को बदल कर उलटा करने में सक्षम है।चमत्कार एवं आश्चर्य से भरा यह ग्रह आपकी इच्छाओ को अपनी इच्छा एवं धर्म (असुर)के अनुसार ही पूर्ण करता है।इसके पास शरीर ना होने से ये ये प्रणाम नहीं सलाम करता है,आप सीधा लिखते है ये उलटा लिखता है।
और राहु के जाते ही सारा धुँआ छट जाता है मन निर्मल हो जाता है आत्मा(सूरज) की किरणें धरातल तक पहुचने लगती है।
राहु से लड़ने के लिए इन षडयंत्रो को करते रहना चाहिए।
हंते को हनिये,पाप पुण्य ना गिनिए।
*****जयश्री महाकाल****
(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
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।। मेरी भक्ति गुरु की शक्ति।।
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