गोरखनाथजी और सनातन धर्म का इस्लामीकरण
आज बहुत से लोग इस विषय पे बात कर रहे है कि नाथ पंथ या श्री नाथ जी द्वारा दिए गए इस्लामी मंत्रो द्वारा ,सनातन धर्म का इस्लामीकरण हो रहा है।ये बहुत ही मूर्खता पूर्ण एवं संकेतो से रहित तथ्य है।स्मरण रहे की श्री नाथ पंथ उस समय से धरती पे विराजमान है जब हिन्दू मुस्लिम जैसी अवधारना मन में नहीं होती थी।हिन्दू मुस्लिम का भेद तो स्वतंत्रता के साथ हुआ ,इसके पहले सभी एक साथ ही रहे है ।श्री नाथ जी ने सबको बराबर सम्मान प्रदान किया जो उस सम्मान के अधिकारी रहे ।श्री नाथजी के भक्ति में उस समय बहुत से मुसलमान ,हिन्दू ,बौद्ध जैसे बहुत लोगो ने नाथ धर्म के नियमो को स्वीकार किया ।ये नाथ धर्म एवं प्रतिष्ठा ही रही की ,नाथजी ने सब को बराबर सम्मान देते हुए अपने साथ रखा।इसका मतलब इस्लामीकरण से नहीं है ना ही सिक्खी करन से।किन्तु हां ये कह सकते है कि जो भी नाथजी के शरण में आया उनका नाथिकरन अवश्य हो गया।इस विषय में मैंने अपने गुरुदेव से भी कभी प्रश्न किया था तब गुरुदेव ने कहा था जो नाथ हो गया उसकी अपनी जात नाथ हो गई और स्मरण रहे की नाथ की कोई जात नहीं होती,नाथ वाही है जो सबको एक सामान ,एक ही दृष्टि से देखता हो फिर वो मानव हो या जिव-जंतु या वनस्पति।हां श्री नाथजी ने कठमुल्लाओं के विषय में कुछ वाणिया अवश्य लिखी है किंतु उन्होंने कोई भेद भाव नहीं किया,ठीक इसके विपरीत उन्होंने हिन्दू पंडितो के विषयमे भी लिखा है इसमें कोई किसी का जोड़ नहीं है।
सोचने समझने का विषय ये है कि कुल मिला के मुख्य 54 सबद है जिनके द्वारा हिंदी, संस्कृत,उर्दू ,सिख सभी भाषाएं बोली और समझी जा सकती है थोड़े प्रयास से।और यहां सोचने समझने की बात ये भी है कि शबद की कोई जात नहीं होती।श्री नाथजी ने बहिष्कार किया आडम्बर का ढोंग का ,जो समाज में आज भी अपने पैर पसारने का कार्य कर रहा है।ऐसे में हमें शान्ति के साथ जो भी व्यक्ति इस विषय में जानना चाहता है उसे समझाना चाहिए एवं उनके भीतर बनने वाली ग्रंथियों को खोलकर समाज का कल्याण करना चाहिए।सोचिये उस परमात्मा ने जब संसार की रचना की होगी तो उसने हिन्दू,मुसलमान,सिक्ख,ईसाई, फ़ारसी,अरबी नहीं बनाए होंगे।उन्होंने इंसान को बनाया और कुछ लोगो ने अपनी अपनी सोच के बराबर के लोगो को जोड़ कर ,अपनी सामान मानसिकता के अनुसार धर्म बना दिया।मृत्यु जब आती है जो की एक सामान्य क्रिया है वो नहीं पूछती की तू हिन्दू है सिख है मुसलमान है वो तो आती है और ले जाती है।ये बात अलग है कि फिर धर्मानुसार उनका कफ़न दफ़न फिर धर्मानुसार कर दिया जाता है।
(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार)
*****जयश्री महाकाल****
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