विचित्र केतु ****
केतु राहु का धड़ भी एक छाया ग्रह है जो की स्वभाव से पूर्ण पाप ग्रह नहीं माना जाता है। केतु जहां अपने आध्यात्मिक एवं कृपालु स्वभाव के कारण अपना सकारात्मक प्रभाव देता है वही केतु के बुरे प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में कई बड़े संकटों का सामना करना पड़ता है। हालांकि यही केतु जब शुभ होता है तो व्यक्ति को ऊंचाईयों पर भी ले जाता है। केतु यदि किसी प्रकार से अनुकूल हो जाए तो व्यक्ति आध्यात्म के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त करता है।जब भी व्यक्ति पर केतु का अशुभ प्रभाव प्रारम्भ होने वाला होता है तो उसके अंदर कामवासना एकदम से बढ़ जाती है।केतु ग्रह के पास मस्तिष्क नहीं है अर्थात यह जिस भाव में या जिस ग्रह के साथ रहता है, उसी के अनुसार फल देने लगता है।जन्म पत्री के अनुसार ,आपके भाग्य कारक ग्रह या जो आपके लिए सकारात्मक ग्रह हो उसका रत्न रूपी मस्तक केतु को धारण करने से लाभ होता है। मुकदमेबाजी, अनावश्यक झगड़ा, वैवाहिक जीवन में अशांति, भूत-प्रेत बाधाओं द्वारा परेशान होना भी केतु के ही कारण होता है। शारीरिक रोगों में व्यक्ति को पथरी, गुप्त व असाध्य रोग, खांसी तथा वात एवं पित्त विकार संबंधी रोग हो जाते हैं।केतु और चंद्रमा की युति होने से व्यक्ति मानसिक रोगी हो जाता है। व्यसनाधीनता बढ़ती है और मिर्गी, हिस्टीरिया जैसे रोग होने की आशंका बढ़ जाती है। केतु से प्रभावित व्यक्ति अक्सर डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। भय लगना, बुरे सपने आना, शंकालु वृत्ति हो जाना भी केतु के ही कारण होता है। किसी जानवर को परेशान करने पर, किसी धार्मिक स्थल को तोड़ने अथवा किसी रिश्तेदार को सताने, उनका हक छीनने की सजा देना ही केतु का कार्य है। झूठी गवाही व किसी से धोखा करना भी केतु के बुरे प्रभाव को आमंत्रित करता है।किसी भी प्रकार की ध्वजा हो उस ध्वजा पे केतु का पूर्ण प्रभाव होता है किसी भी प्रकार की शुरुआत या नैतृत्व करने का प्रतीक ध्वजा केतु ही धारण करता है ।निवास पे केतु की भगवा ध्वजा आवाहन एवं प्रतिष्ठित कर लगाने से केतु सकारात्मक फल देता है।केतु को विचित्र भी कहा जाता है ये समय के अनुसार अपने गुणों में परिवर्तन कर ,अचानक कार्य करने में सहायक होता है।लग्नस्थ केतु आपके स्वभाव पे आपके लग्न स्वामी या लगनस्थ ग्रह के अनुसार गुण धारण कर लेता है जिसका प्रभाव जातक पर जीवन भर बना रहता है।आपके जीवन में जो भी भ्रम।पैदा होते है दिमाग में वो राहु एवं।केतु के साथ मिलने से पैदा होते है जब राहु और केतु साथ साथ मिल जाये,जैसे राहु शराब है तो केतु बोतल भी है,राहु गांजा है तो चिलम केतु है।ये दोनों के एक होने से उपद्रव होने लगते है भ्रम पैदा होने लगते है।
।।कैसे दूर करें अशुभ केतु ग्रह के असर को।।
01.भगवान भैरूंजी की उपासना करें। उन्हें केले के पत्ते पर चावल का भोग अर्पित करें।
02.भगवान गणेशजी की पूजा करें। गणेश के द्वादश नाम स्तोत्र का पाठ करें। केतु के मूल मंत्र का रात्रि में 40 दिन में 18,000 बार जप करें।
मंत्र : 'ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नम:'।
03.हरा रूमाल सदा अपने साथ रखें।
04.गरीब को अथवा मंदिर में कंबल का दान करें। कंबल यदि नीला हो तो और भी उत्तम हैं।
*****जयश्री महाकाल****
******राहुलनाथ********
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।। मेरी भक्ति गुरु की शक्ति।।
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