गुरुवार, 13 जनवरी 2022

शमशान_काली_सहित_श्रीकालीताण्डवस्तोत्रम्

#शमशान_काली_सहित_श्रीकालीताण्डवस्तोत्रम्
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शवारुढा महाभीमां घोरद्रंष्टां हसन्मुखीम ।
चतुर्भुजां खडगमुण्डवराभय करां शिवाम।।
मुण्डमालाधरां देवीं ललजिह्वां दिगम्बराम।
एवं संचिन्तयेत कालीं श्मशानालयवासिनीम ।।

अर्थात "महाकाली शव पर आरूढ़ है, शरीर की आकृति डरावनी है!देवी के दांत तीखे और महाभयावह है! ऎसे में महाभयानक रुप वाली, हंसती हुई मुद्रा में है!उनकी चार भुजाएं है! एक हाथ में खडग, एक में वर, एक अभयमुद्रा में है. गले में मुण्डमाला है, जिह्वा बाहर निकली है, वह सर्वथा नग्न है, वह श्मशानवासिनी है!
यही देवी संहार करने वाली है!सृ्ष्टि करना उनका कार्य नहीं है. अपितु प्रलय उनकी प्रतिष्ठा है!शव उनका आसन है,उनकी चार भुजाएं संहार की मुद्रा में है!नाश करने के लिये उनके हाथ में खडग है!अन्य एक हाथ में कटा हुआ मस्तक है, जो नष्ट होने वाली प्राणी का रुप है! तीसरे हाथ अभय मुद्रा में है. उनकी आराधना अभयदायक है! गले में मुण्डमाला संकेत देती है. कि मृ्त्यु से कैसे कोई बच सकता है!संकलित

#श्रीकालीताण्डवस्तोत्रम् 
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हुंहुंकारे शवारूढे नीलनीरजलोचने ।
त्रैलोक्यैकमुखे दिव्ये कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ १॥
प्रत्यालीढपदे घोरे मुण्डमालाप्रलम्बिते ।
खर्वे लम्बोदरे भीमे कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ २॥
नवयौवनसम्पन्ने गजकुम्भोपमस्तनी । 
वागीश्वरी शिवे शान्ते कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ३॥
लोलजिह्वे दुरारोहे नेत्रत्रयविभूषिते । 
घोरहास्यत्करे देवी कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ४॥ 
व्याघ्रचर्म्माम्बरधरे खड्गकर्त्तृकरे धरे ।
कपालेन्दीवरे वामे कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ५॥
नीलोत्पलजटाभारे सिन्दुरेन्दुमुखोदरे ।
स्फुरद्वक्त्रोष्टदशने कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ६॥
प्रलयानलधूम्राभे चन्द्रसूर्याग्निलोचने ।
शैलवासे शुभे मातः कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ७॥
ब्रह्मशम्भुजलौघे च शवमध्ये प्रसंस्थिते ।
प्रेतकोटिसमायुक्ते कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ८॥
कृपामयि हरे मातः सर्वाशापरिपुरिते ।
वरदे भोगदे मोक्षे कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ९॥
इत्युत्तरतन्त्रार्गतमं श्रीकालीताण्डवस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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🙏🏻🚩जयश्री महाकाल🚩🙏🏻
लेखक एवं संकलनकर्ता
।। #राहुलनाथ ।।™ (ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्री)
शिवशक्ति_ज्योतिष_एवं_अनुष्ठान,भिलाई,छत्तीसगढ़, भारत
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#चेतावनी:-इस लेख में वर्णित नियम ,सूत्र,व्याख्याए,तथ्य गुरू एवं साधु-संतों के कथन,ज्योतिष-तांत्रिक-आध्यात्मिक-साबरी ग्रंथो एवं स्वयं के अभ्यास अनुभव के आधार पर मात्र शैक्षणिक उद्देश्यों हेतु दी जाती है।इसे मानने के लिए आप बाध्य नही है।अतः बिना गुरु के निर्देशन के साधनाए या प्रयोग ना करे।विवाद या किसी भी स्थिती में लेखक जिम्मेदार नही होगा।विवाद की स्थिति में न्यायलय क्षेत्र दुर्ग छत्तीसगढ़,भारत।
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