गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

वर्तमान

वर्तमान काल ही सत्य एवं शाश्वत है इस काल में हमको सजग एवं चेतन रहते हुए विशेष सूझ-बुझ के साथ कार्य लेना चाहिए और इसे अनुभूत करना चाहिए।जिससे की जब हम भूतकाल में पहुचे तो हमारे वर्तमान काल के कर्म एवं अनुभूतियों के अनुसार सही निर्णय ले सके।यही कर्म एवं अनुभूतियाँ भविष्यकाल में भी जाने पर सही निर्णय लेने का कार्य करती है।
आशय यह है की वर्तमान के कर्मो द्वारा ही भुत एवं भविष्य का निर्माण एवं परिवर्तन होता रहता है।
रामायण में भी इस विषय पे लिखा गया है
"कर्म प्रधान विश्व करि राखा"
मानव अपने भाग्य का विधाता स्वयं होता है।
व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार©
।।राहुलनाथ।।
भिलाई,36गढ़, भारत
+919827374074

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