शनिवार, 29 अक्तूबर 2022

स्त्रियों को दंडवत प्रणाम क्यों नहीं करना चाहिए?

स्त्रियों को दंडवत प्रणाम क्यों नहीं करना चाहिए?
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पूजा के यह विविध प्रकार पंचोपचार, दशोपचार, षोडशोपचार पूजन कहे जाते हैं। इन सभी प्रकारों में सर्वश्रेष्ठ प्रकार षोडषोपचार पूजन विधि का माना गया है। षोडषोपचार पूजन विधि में सोलह विविध उपचारों से भगवान की पूजा की जाती है जिसमें अंतिम उपचार षाष्टांग दंडवत प्रणाम माना गया है। दंडवत प्रणाम की हमारी पूजा विधि में सर्वाधिक मान्यता होती है। 

दंडवत प्रणाम को सभी प्रकार के प्रणामों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है किंतु क्या आप यह जानते हैं कि हमारे शास्त्रों में स्त्रियों को दंडवत प्रणाम करने का सर्वथा निषेध है। शास्त्रानुसार स्त्रियों को कभी भी किसी के भी सम्मुख दंडवत प्रणाम नहीं करना चाहिए।
स्त्री का गर्भ और उसके वक्ष कभी जमीन से स्पर्श नहीं होने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि उसका गर्भ एक जीवन को सहेजकर रखता है और वक्ष उस जीवन को पोषण देते हैं।
इसलिए दंडवत प्रणाम को स्त्रियां नहीं कर सकती है। जो करती भी है उन्हें यह प्रणाम नहीं करना चाहिए। । ज्योतिष शास्त्र का मेरा ज्ञान ही इस उत्तर का मूल स्रोत है । चित्र-लेख सोर्स है सोशल मीडिया ।
इसका समाधान हमें 'धर्मसिन्धु' नामक ग्रंथ में मिलता है, जिसमें स्पष्ट निर्देश हैI।चित्र-लेख सोर्स है सोशल मीडिया ।
जी🙏🏻🚩आदेश-जयश्री माहाँकाल  🔱

#राहुलनाथ_राहुलनाथ्™ भिलाई 
(ज्योतिष-तंत्र-वास्तु एवं अन्य अनुष्ठान-जीवन प्रशिक्षक)
महाकाल आश्रम,भिलाई,३६गढ़,भारत,
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