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तिलक किस अंगुली से लगाना चाहिए?
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मोक्ष एवं शक्ति प्राप्ति के लिए तिलक अंगूठे से
शत्रु नाश करने के लिए तर्जनी से
धन,दीर्घायु प्राप्त करने के लिए मध्यमा से
शांति एवं समृद्धि प्राप्त करने के लिए अनामिका उंगली से
तिलक लगाया जाना चाहिए।
#ब्रह्माण्ड_पुराण_के_अनुसार_तिलक_में
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अंगुठे के प्रयोग से – शक्ति,
मध्यमा के प्रयोग से – दीर्घायु,
अनामिका के प्रयोग से- समृद्धि
तथा तर्जनी से लगाने पर – मुक्ति प्राप्त होती है।
देवताओं पर केवल अनामिका उंगली से तिलक बिन्दु लगाया जाता है।
और शिवलिंग पर तर्जनी मध्यमा और अनामिका से त्रिपुंड बनाया जाता है।
तिलक विज्ञान विषयक समस्त ग्रन्थ तिलक अंकन में नाखून स्पर्श तथा लगे तिलक को पौंछना अनिष्टकारी बतलाते हैं।शास्त्रानुसार यदि द्विज (ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य) तिलक नहीं लगाते हैं तो उन्हें “चाण्डाल” कहते हैं। तिलक हमेशा दोनों भौहों के बीच “आज्ञाचक्र” पर भ्रुकुटी पर किया जाता है। इसे चेतना केंद्र भी कहते हैं।
"शिव पुराण" के अनुसार जो व्यक्ति माथे पर त्रिशूल लगाता है उस पर शिव भगवान की विशेष कृपा होती है और उस पर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं।मस्तज पे तिलक लगाने से व्यक्ति का गौरव बढ़ता है।तिलक का धार्मिक महत्व होने के साथ साथ वैज्ञानिक महत्व भी है।मस्तिष्क में सेराटोनिन एवं बीटाएंडोरफिन रसायनों का संतुलन होता है।इससे मेघाशक्ति बढ़ती है और मानसिक थकावट नही होती।सिर,ललाट,कंठ, हृदय,दोनो बाहु,बाहुमूल,नाभि,पीठ,दोनो बगल में इस प्रकार कुल 12 स्थानों पे तिलक करने का विधान है।(विष्णु संहिता के अनुसार)
#तिलक_किसका_लगाया_जा_सकता_है?
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पर्वताग्रे नदीतीरे रामक्षेत्रे विशेषतः।
सिन्धुतिरे च वल्मिके तुलसीमूलमाश्रीताः।।
मृदएतास्तु संपाद्या वर्जयेदन्यमृत्तिका।
द्वारवत्युद्भवाद्गोपी चंदनादुर्धपुण्ड्रकम।।
#भावार्थ-
चंदन हमेशा पर्वत के नोक का, नदी तट की मिट्टी का, पुण्य तीर्थ का, सिंधु नदी के तट का, चींटी की बांबी व तुलसी के मूल की मिट्टी का चंदन वही उत्तम चंदन है। तिलक हमेंशा चंदन या कुमकुम का ही करना चाहिए। कुमकुम हल्दी से बना हो तो उत्तम होता है। तिर्थ स्नान, जप कर्म, दानकर्म, यज्ञ होमादि, पितर हेतु श्राद्धकर्म तथा देवों का पुजनार्चन ये सभी कर्म तिलक न करने से निष्फल होता है |सिंदूर, केशर, अष्टगंध और भस्म का तिलक लगाना भी श्रेष्ठ हैतुलसी के मूल की मिट्टी का या गोपी चंदन का भी तिलक लगाया जाता है।
#तिलक_लगाने_का_मंत्र
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केशवानन्न्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम ।
पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु ।।
कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् ।
ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।।
दोनों भौंहों के बीच में जहां तिलक लगाते हैं वह आज्ञा चक्र होता है, यहां पर शरीर की प्रमुख तीन नाड़ीयां इडा, पिंगला और सुषुम्ना आकर मिलती है जिस कारण इसे त्रिवेणी या संगम भी कहा जाता है। यहीं से पूरे शरीर का संचालन होता है और यह हमारी चेतना का मुख्य स्थान भी है। इस स्थान पर तिलक लगाने से स्वभाव में सुधार आता है वह देखने वाले पर सात्विक प्रभाव भी पड़ता है।
#तिलक_किस_दिन_किसका_लगाये?
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सोमवार ◆◆ सफेद चंदन और विभूति या भस्म
मंगलवार ◆◆ लाल चंदन या चमेली तेल मिश्रित सिंदूर
बुधवार ◆◆ सूखा सिंदूर
गुरुवार ◆◆ केशर मिश्रित सफेद चंदन, हल्दी या गोरोचन
शुक्रवार ◆◆ लाल चंदन या सिंदूर
शनिवार ◆◆ लाल चंदन या विभूति या भस्म
रविवार ◆◆ लाल चंदन या हरि चंदन
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🙏🏻🚩जयश्री महाकाल🚩🙏🏻
लेखक एवं संकलनकर्ता
।। #राहुलनाथ ।।™ (ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्री)
शिवशक्ति_ज्योतिष_एवं_अनुष्ठान,भिलाई,छत्तीसगढ़, भारत
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#चेतावनी:-इस लेख में वर्णित नियम ,सूत्र,व्याख्याए,तथ्य गुरू एवं साधु-संतों के कथन,ज्योतिष-तांत्रिक-आध्यात्मिक-साबरी ग्रंथो एवं स्वयं के अभ्यास अनुभव के आधार पर मात्र शैक्षणिक उद्देश्यों हेतु दी जाती है।इसे मानने के लिए आप बाध्य नही है।अतः बिना गुरु के निर्देशन के साधनाए या प्रयोग ना करे।विवाद या किसी भी स्थिती में लेखक जिम्मेदार नही होगा।विवाद की स्थिति में न्यायलय क्षेत्र दुर्ग छत्तीसगढ़,भारत।
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