सोमवार, 5 जून 2017

गुरु महिमा

गुरु महिमा
अपने ह्रदय के रहस्य को मात्र गुरु के समक्ष ही प्रकट करना चाहिए, जितना अधिक आप ऐसा करेंगे उतना ही अधिक आपको अपने गुरु से सहायता और सहानुभूतियां प्राप्त होगी।इस सहानुभूति का अर्थ है पाप और प्रलोभन के विरुद्ध संघर्ष में शक्ति की वृद्धि।गुरु के अतिरिक्त किसी अन्य के समक्ष रहस्यो को प्रगट करने से "अज्ञानियों" द्वारा हास्यरूपी प्रतिक्रिया प्राप्त हो सकती है जिससे आत्म विश्वास का ह्रास होने की संभावना होती है।

।।"तुम गुरु को साष्टांग प्रणाम करके उनसे परी प्रश्न करके तथा उनकी सेवा करके इसे सीखो ज्ञानी ब्रह्मनिष्ठ गुरु तुम्हें ज्ञान में निर्देश प्रदान करेंगे"।।गीता:4/34

जिस प्रकार चिड़िया अपने अंडों को अपने पंखों के नीचे दबा के रखती है जिससे उसके स्पर्श से मिलने वाली गर्मी से अंडे पक जाते हैं मछलियां अंडे देने के बाद उसको देखती रहती है और वह मछली की दृष्टि मात्र से पक जाते हैं कछुआ अंडा देता है और उसके बारे में सोचता रहता है और उसके सोचने मात्रा से अंडे पक जाते हैं इसी प्रकार गुरु द्वारा शिष्य को अध्यात्मिक शक्तियां, चिड़ियों की तरह स्पर्श द्वारा मछलियों की भांति दृष्टि से एवं कछुओं की भांति संकल्प से संप्रेषित हो जाती है।

🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
।।राहुलनाथ।।©₂₀₁₇
भिलाई,छत्तीसगढ़,भारत
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