52 बावन वीर एवम वीर कंगन साधना
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वीर मूल रूप से भैरवी के अनुयायी होते है और भगवान भैरव की उपासना करके उनके गण कहलाते है जैसे भगवान भैरव महादेव महाकाल के गण है उसी प्रकार वीर भैरव के गण कहलाते है।भैरव भगवती काली के पुत्र है इसी कारण वीर देवी महाकाली के दूत भी कहलाते है ,जब भी आप शत्रु के सर्वनाश के लिए महाकाली का कोई अनुष्ठान करते है तो सर्वप्रथम शत्रु पर वीर चलाकर एक बार चेतावनी देने का विधान है इस चेतावनी के बाद ही काली की शक्ति शत्रु पे कार्य करती है।
वीर साधना का विधान बहुत ही गुप्त है वीर साधना 61 दिन तक एक कमरे में बंद हो कर करनी पड़ती है जहां साधक का मुख 61 दिन तक गुरु के अलावा कोई नही देख सकता ,साधना काल मे महाकाली एवं भैरव-हनुमान की प्रतिमा के अलावा 52 पुतलियों की आवश्यकता होती है।काला वस्त्र एवं आसान का उपयोग होता है इस साधना काल ने 61 दिन ,दाँतो को साफ करना,बाल काटना,बालो में तेल लगाना,नहाना,खाना खाने के बाद मुख शोधन करना,कपडे बदलना या धोना,नाखून-बाल काटना,नाक-कान साफ करना,झूठे बर्तनों को धोना,जिन बर्तनों में भोजन सामग्री बनाई जाती है उस बर्तन को धोना इत्यादि सब मना होता है।यह साधना स्मशान में ज्यादा फलीभूत होती है किंतु स्मशान में 61 दिन निरंतर साधना करना सामान्य साधको के लिए सुलभ नही होता ऐसे में साधको को स्मशान से मिट्टी या भस्म (नियम विधि)पूर्वक लाकर कमरे में स्थापित कर ,कमरे को स्मशान समझते हुए 61 दिन करनी होती है।इस साधना का एक गुप्त मंत्र है जिसमे 52 विरो के नाम का सम्बोधन किया जाता है उनका आह्वाहन किया जाता है ये साधना बहुत दुष्कर है सभी विरो का भोजन अलग अलग होता है और साधक को ये भोग स्वंय बनाकर देवताओ को अर्पित करना होता है।1994 में गुरुदेव के शिव शंकर नाथ जी के सानिध्य में इस साधना को मैंने किया था किंतु ये साधना उस समय सम्पूर्ण नही हो पाई थी जिस कमरे पे साधना की जा रही थी उस स्थान कमरे के पास रहने वाली दो कन्याओं पे अचानक देवियो का आवेश आ गया था और वो दोनों कन्याये पूजा स्थान पे पहुँच जाती थी और गालियां देती हुई कमरे के दरवाजों पे पत्थर इटे मारना शुरू कर देती थी इससे स्थानीय लोग भयभीत हो गए थे जिससे 43 दिन की साधना के उपरांत साधना को ठंडा करना पड़ा था कालांतर में गुरुदेव के समाधि लेने के बाद ,स्वप्न में गुरुदेव का आदेश मिलने पर 2007 में यह साधना भिलाई से 43 किलोमीटर दूर शिवनाथ नदी के तट पर सम्पन्न की गई थी।जिसमे सफलता प्राप्त हुई थी किन्तु बार-बार विरो को कार्य देने में सक्षम ना होने के कारण मैंने उनका विसर्जन इस वचन के साथ कर दिया था कि जब भी मैं उनका आह्वाहन करू उनको आना होगा ।
कुछ लोग इस साधना द्वारा वीर कंगन एवं वीर मुद्रिका का निर्माण कर विरो को कंगन या मुद्रिका में स्थान दे देते है किंतु इस कंगन को सम्हालना सबके बस की बात नही होती है।इन साधनाओ को करने के बाद मैंने जाना कि इन साधनाओ से लाभ कम समाज की हानि ज्यादा है क्योंकि यहां सहायता के लिए साधना कौन करता है सभी का कोई ना कोई स्वार्थ ही होता है।
चामुंडा जी के सेवक इस साधना को आसानी से कर सकते है।
ये पूर्ण रूप से तांत्रिक शाक्त मत की साधना है तांत्रिको को इसमे सफलता प्राप्त होती है।इस साधना को करने के पूर्व साधक को गुरु के शरण मे रहकर शक्तिशाली शरीर रक्षा मंत्र को सिद्ध करना होता है इस शरीर रक्षा कि सिद्धि पहले ही 43 दिन में कर लेनी चाहिए ,शरीर रक्षा के लिए मैंने गुरु मुख से प्राप्त "साबर लक्ष्मण रेखा मंत्र" का प्रयोग किया था जो लक्ष्मण जी ने सीता जी की सुरक्षा के लिए उपयोग किया था जिसको तोड़ पाना महाप्रतापी रावण के बस में भी नही था।इस साधना को एक बार सिद्ध करने के बाद समाज के कल्याणार्थ बहुत से वीर कंगन या मुद्रिका बनाई जा सकती है इसमें सामग्री कोई ज्यादा मूल्यवान नही होती किन्तु मूल्य 61 दिन के समय एवं जोखिम का हो सकता है।
साधक चाहे तो गुरु आदेश से एक-एक वीर की 7 दिवसीय साधना भी कर के भी सिद्धि प्राप्त कर सकता है किंतु ऐसे में सवा वर्ष का समय लगता है और सवा वर्ष नियम पालन करना सबके बस की बात नही होती।
52 विरो के नाम
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स्थान एवं जाती भेद के अनुसार इनके नामो में भेद हो सकता है।
01. क्षेत्रपाल वीर
02. कपिल वीर
03. बटुक वीर
04. नृसिंह वीर
05. गोपाल वीर
06. भैरव वीर
07. गरूढ़ वीर
08. महाकाल वीर
09. काल वीर
10. स्वर्ण वीर
11. रक्तस्वर्ण वीर
12. देवसेन वीर
13. घंटापथ वीर
14....रुद्रवीर
15. तेरासंघ वीर
16. वरुण वीर
17. कंधर्व वीर
18. हंस वीर
19. लौन्कडिया वीर
20. वहि वीर
21. प्रियमित्र वीर
22. कारु वीर
23. अदृश्य वीर
24. वल्लभ वीर
25. वज्र वीर
26. महाकाली वीर
27. महालाभ वीर
28. तुंगभद्र वीर
29. विद्याधर वीर
30. घंटाकर्ण वीर
31. बैद्यनाथ वीर
32. विभीषण वीर
33. फाहेतक वीर
34. पितृ वीर
35. खड्ग वीर
36. नाघस्ट वीर
37. प्रदुम्न वीर
38. श्मशान वीर
39...भरुदग वीर
40. काकेलेकर वीर
41. कंफिलाभ वीर
42. अस्थिमुख वीर
43. रेतोवेद्य वीर
44. नकुल वीर
45. शौनक वीर
46. कालमुख
47. भूतबैरव वीर
48. पैशाच वीर
49. त्रिमुख वीर
50. डचक वीर
51. अट्टलाद वीर
52. वासमित्र वीर
(इस पोस्ट में 52 विरो का नामो का संकलन किया गया है)
व्यक्तिगत अनुभूति एवं।विचार©₂₀₁₇
।। महाकाल राहुलनाथ।।™
भिलाई,छत्तीसगढ़,भारत
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चेतावनी:-इस लेख में वर्णित सभी नियम ,सूत्र एवं व्याख्याए,एवं तथ्य हमारी निजी अनुभूतियो के स्तर पर है अतः हमारी मौलिक संपत्ति है।विश्व में कही भी,किसी भी भाषा में ये इस रूप में उपलब्ध नहीं है|लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे । तंत्र-मंत्रादि की जटिल एवं पूर्ण विश्वास से साधना-सिद्धि गुरु मार्गदर्शन में होती है अतः बिना गुरु के निर्देशन के साधनाए ना करे।बिना लेखक की लिखितअनुमति के लेख के किसी भी अंश का कही भी प्रकाषित करना वर्जित है।न्यायलय क्षेत्र दुर्ग छत्तीसगढ़(©कॉपी राइट एक्ट 1957)
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Sir guru Pujan our ghanesh pujan kese kiya jata hai vidhi shamjaye
जवाब देंहटाएंMuje veer aap bana k de sakte kya
जवाब देंहटाएंMuje veer kangan aap de sakte ho kya
जवाब देंहटाएंJiha
हटाएंRam
जवाब देंहटाएंक्या इन ५२ वीरों। के नाम का हावन किया जा सकता है सधारन तौ पर८८९४७२३३७६
जवाब देंहटाएं0 मुझे वीर साधना करनी है इसका मंत्र और विधि चाहिए
जवाब देंहटाएं9079638421
हटाएंमुझे एक वीर कंगन गुरू द्वारा मिला था कुछ महीने मैने उस कंगण को हाथ में पहना था फिर गुरू का और मेरा झगडा हुआ ऊस कारण ओ वीर कंगना मैने पाणी मे फेक दिया उसका कुछ दोष मुझे लग सकता है क्या
जवाब देंहटाएंमेरे घर पर वीर ह कैसे पता करवाऊ कोनसा है
जवाब देंहटाएंCall 9998805264
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंSir mujhe veer Ajayapal ke baare main bataiye please .. mujhe janna hai
जवाब देंहटाएंMuje 52 viroki saadana karni hea muje gurudoraa mantra saamgri milegi meraa nambar 8459074970 gurudevji pilj kol kijiye mujpar kripaa kare
जवाब देंहटाएंमैं इन सभी वीरों को दूर करने की सिद्धि करना चाहता हूं ताकि जिनकी जिंदगी इन वीरों ने बर्बाद कर दी है वो सुखी जीवन व्यतीत कर सके
जवाब देंहटाएंTu bhi dur ho JAYEGA....Haaa..ha...ha
हटाएंCall 9998805264
जवाब देंहटाएंअत्यंत सटीक जानकारी
जवाब देंहटाएंपर ज्ञान में कुछ भी पर्दा नही होता है,
जिसको जो चाहिए दे देना चाहिए
आगे इंसान समझदार होता ही है
9998805264